डब्ल्यूपीसी और पीवीसी बोर्ड के निर्माता इस समय गहरे संकट में हैं, क्योंकि उन्होंने कच्चे माल के कारण इनपुट कॉस्ट में इतनी वृद्धि की कभी कल्पना भी नहीं की थी, जिसने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पीवीसी बोर्ड केटेगरी में स्थापित क्षमता का लगभग 60 फीसदी ठप पड़ी है क्योंकि वे हाई इनपुट कॉस्ट के कारण कॉस्ट मेन्टेन करने में असमर्थ हैं। कई उद्यमियों को लगता है कि यह एक गलत विकल्प था और उन्हें बाहर निकलना होगा। यह सच है कि वर्तमान परिदृश्य इन प्रोडक्ट केटेगरी में चुनौतियों और मार्जिन को देखकर ऐसा होना लाजमी है। लेकिन, यह सच नहीं है, या आप कह सकते हैं कि यह सिक्के का एक पहलू है, क्योंकि मुझेलगता है कि सूरज उगते ही रात का डर खत्म हो जाएगा, और डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड केटेगरी में, आशा की किरण फिर से नया सवेरा लेकर आयेगा।
यदि यह उद्योग वास्तविकता को स्वीकारंे, तो परिदृश्य उज्ज्वल होगा। उद्योग को 0.55 से अधिक घनत्व वाले बोर्डों का उत्पादन करना चाहिए, प्लाइवुड और एमडीएफ से लड़ने के बजाए इसके फायदे को उजागर करना चाहिए (क्योंकि उन्हें यह समझना चाहिए कि प्लाइवुड और एमडीएफ भी पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद हैं, जो लकड़ी की बहुत बचत करते हैं क्योंकि ये उत्पाद प्लांटेशन टिम्बर से बनाए जाते हैं और काफी रोजगार पैदा करते है। यह हमारे किसानों की आय भी बढ़ता है और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग करता है।) वास्तव में पीवीसी और डब्ल्यूपीसी उत्पाद को अपनी मुख्य विशेषता पर ध्यान देना चाहिए जो कि वाटरप्रूफ, बोरर प्रूफ और फायर प्रूफ है क्योंकि भारत में अपने फर्नीचर बनाने के लिए सही व सटीक प्रोडक्ट की भारी मांग है क्योंकि भारत में वातावरण चुनौतियों से भरा है। उद्योग को एनएफसी बोर्ड कैम्पेन से सीखना चाहिए, जो इसकी डिजाइन, यांत्रिक गुणों और एप्लिकेशन की विविधता पर केंद्रित हैें।
ज्ञातव्य है कि डोर और विंडो फ्रेम के लिए इसी के जैसे उत्पाद केटेगरी में, कच्चे माल की चुनौतियों के बावजूद मांग बढ़ रही है क्योंकि यह उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद का एक विकल्प है, क्योंकि यह लकड़ी (मेरांती, आम, सागवान और अन्य) की जगह लेता है। भारत में 100 से अधिक इकाइयां पीवीसी डोर और विंडो फ्रेम का उत्पादन कर रही हैं, जिनकी रिटेल और प्रोजेक्ट दोनों में अच्छी मांग है। सरकार इन उत्पादों को अपनी परियोजनाओं के लिए भी निर्दिष्ट भी कर रही है। इस प्रकार, इसकी सफलता को देखते हुए, मैं विश्वास दिलाता हूं कि डब्ल्यूपीसी/ पीवीसी बोर्ड मौजूदा चुनौतियों के बावजूद यदि उद्योग इस प्रोडक्ट की वास्तविक विशेषताओं, मानकों और गुणवत्ता पर केंद्रित रहते हैं तो यह फर्नीचर बनाने के लिए एक बेहतर उप्ताद के रूप में बना रहेगा।
इस अंक में मेलामाइन की कीमतों में वृद्धि, एसीपी उद्योग की चुनौतियों, समुद्री माल ढुलाई के नुकसान के साथ-साथ लकड़ी और डेकोरेटिव पैनल इंडस्ट्री और ट्रेड से संबंधित कई न्यूज रिपोर्ट पर विशेष फीचर रिपोर्ट की गयी हैं। श्री सुमित गुप्ता, प्रबंध निदेशक, एलस्टोन एसीपी के साथ बातचीत पढ़ने योग्य है। प्रोडक्ट लॉच, इवेंट, नए डेवलपमेंट और कई इन्फोर्मटिव रिपोर्ट के साथ प्रकाशित किए गए हैं, जो आपको केवल प्लाई रिपोर्टर पत्रिका में ही मिलते हैं। प्लाई रिपोर्टर ने हाल ही में ढेर सारी जानकारी के साथ फिल्म फेस्ड शटरिंग प्लाइवुड पर मेगा एडिशन प्रकाशित किया है, आपको अपनी प्रति अवश्य मांगनी चाहिए।
खूब पढ़ें, खूब बढ़ें।