ऑब्जर्वेन्ट क्राफ्ट पेपर की कीमतों की बढ़ती प्रवृत्ति से लेमिनेट इंडस्ट्री का बोझ बढ़ता जा रहा है। क्राफ्ट में मांग और आपूर्ति सितंबर महीने में काफी असंतुलित रही, जो डेकोरेटिव लेमिनेट इंडस्ट्री पर भारी पड़ रहा है। जिसके चलते यह सेगमेंट फिर से काफी ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। उद्योग से मिली जानकारी के अनुसार बी ग्रेड क्राफ्ट पेपर की कीमतें 38 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं, जो लगभग 32 रुपये के आस पास थी। एक महीने में कीमतों में लगभग 20 फीसदी का उछाल आया है।
डेकोरेटिव लेमिनेट उद्योग आज कल मुश्किल परिस्थितियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण, तैयार उत्पाद (एचपीएल) की कीमतों में अक्टूबर महीने में अलग-अलग उत्पाद और कंपनी की कीमतों में 5 से 7 फीसदी फिर से वृद्धि हुई है। कई मध्यम आकार की कंपनियां कैश लॉस में चल रही हैं और उद्योग में टिके रहने में सक्षम नहीं होंगी।
क्राफ्ट पेपर उत्पादकों का तर्क है कि ‘क्राफ्ट पेपर की लागत में वृद्धि चीन के कारण और कंटेनरों की अनुपलब्धता के वजह से हुई है। साथ ही रद्दी कागज नहीं इकठा हो पा रहा है, क्योंकि बेकार कार्टन आदि रिसाइकल के लिए सप्लाई चेन में वापस नहीं आ रहे हैं। पेपर मिल्स इनपुट कॉस्ट में वृद्धि के लिए उपरोक्त दो मुख्य कारणों का हवाला देते हैं इसलिए उनके उत्पाद, क्राफ्ट पेपर की कीमत में वृद्धि हुई है।
उद्योग से मिली जानकारी के अनुसार क्राफ्ट पेपर की कीमतों में वृद्धि उत्तर भारत में ज्यादा है, जबकि गुजरात स्थित इकाइयोंm को ज्यादा भार नहीं है और उन्हें लगभग 34 रूपए प्रति किग्रा ही मिल रहा हैं। यह भी बताया गया है कि चूंकि भारतीय रिसाइकिंग क्राफ्ट पेपर उत्पादकों को चीन से पल्प शीट्स के बड़े ऑर्डर अच्छी दरों पर मिले हैं, यह भी भारत में क्राफ्ट पेपर की कमी का एक बड़ा कारण है। उत्पादकों ने इशारा किया है कि कीमतें निकट भविष्य में 30 से नीचे के पिछले स्तर तक नहीं आएंगी और यह 30 रेंज से ऊपर बनी रहेगी।