प्र. कोविड काल के बाद बाजार का परिदृश्य कैसा है?
बाजार अच्छा है और अब रिकवरी भी बेहतर है। हमारी बिक्री में सुधार हुआ है और यह प्री-कोविड स्तर को पार कर गया है। दूसरी ओर, जो परियोजनाएं पहले रुकी हुई थीं, वे शुरू हो गई है इसलिए मांग अच्छी है। तीसरा, जो डीलर गंभीर नहीं थे, वे बाजार से बाहर हैं क्योंकि असली खरीदार, असली और अच्छे लोगों के साथ काम करना चाहते हैं। बाजार में यह भी एक बड़ा बदलाव है। मैन्युफैक्चरिंग लेवल पर भी प्लेयर्स थोक विक्रेताओं, जिन्हें पहले कड़ी प्रतिस्पर्धा के दौर में प्राथमिकता दी जाती थी, उनके बजाय चुनिंदा डीलरों/ डिस्ट्रीब्यूटरों के साथ काम कर रहे हैं।
प्र. आप बाजार में उत्पादों की कीमतें बढनें का क्या प्रभाव देखते हैं?
प्रभाव निश्चित रूप से आएगा, क्योंकि हमारे अधिकांश उत्पाद पेट्रोलियम आधारित हैं जैसे रेजिन, फिल्म, फिनोल, मेलामाइन, आदि। टिम्बर की कीमतें भी रोज बढ़ रही हैं। अगर मेटेरियल की कोई कमी है तो कीमतें बढ़ना तय है। पॉइंट टू पॉइंट परिवहन लागत बढ़ी है इसलिए कीमत हर कदम पर बढ़ जाती है। रोज रोज के हिसाब से दाम बताए जा रहे हैं। यह कंटेनरों के आयात लागत से भी प्रभावित हुआ है।
प्र. क्या आप उतना कीमत बढ़ाने में सक्षम हैं जितना उत्पादों का इनपुट कॉस्ट बढ़ रही है?
नहीं, हम उस हद तक कीमत नहीं बढ़ा पा रहे हैं। पर व्यापार निश्चित रूप से बढ़ी है लेकिन मार्जिन और लाभप्रदता पूरी तरह से निचोड़ा दिया गया है। इतना जरूर है कि हम भी चूजी हैं इसलिए बाजार में साख बढ़ रही है। आने वाले समय में हमें अच्छी पार्टियों को भी क्रेडिट लिमिट बतानी होगी। हालात ऐसे आ रहे हैं, इसके बावजूद हमें सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।
प्र. आने वाले समय में बाजार में किस तरह के डीलर/ डिस्ट्रीब्यूटर रहेंगे और उन्हें क्या करना चाहिए?
उन्हें क्रेडिट कंट्रोल करना चाहिए। हम भी बहुत जल्द ही यह कदम उठाने जा रहे हैं। हमारी खरीदारी कैश में हो रही है, जो पहले क्रेडिट में होती थी। खुदरा विक्रेताओं के स्तर पर भी बाजार में कुछ सुधार होगा, क्योंकि हर तरफ तंगी है। इस तरह, डिफाल्टर बाजार से बाहर हो जाएंगे और सही लोग अपने साख के साथ बने रहेंगे।
प्र. क्या आपको लगता है कि बाजार में बदलाव इस तरह हो रहा है कि विनियर यूजर्स लेमिनेट में शिफ्ट हो गए हैं?
ऐसा नहीं है लेकिन एक बड़ा बदलाव यह है कि विंडो शॉपिंग का समय अब चला गया है। आज बाजार में असली खरीदार ही हैं क्योंकि उनके पास अभी समय नहीं है। ग्राहक विश्वसनीय दुकान पर जाते हैं और बिना समय बर्बाद किए अपना उत्पाद खरीदते हैं। आज ग्राहकों की संख्या फुटफॉल का 80 फीसदी है, जो पहले इसके विपरीत था।