हरियाणा वन विभाग द्वारा आदेश के अनुसार सरकार ने प्रदेश में वुड आधारित उद्योग के लिए नए लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वन विभाग की स्टेट लेबल कमिटी की बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर नए लाइसेंस प्रदान करने हेतु रजिस्ट्रेशन करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोल दिए है। वन विभाग ने एसएलसी की बैठक में पंचकूला, यमुनानगर, अम्बाला, कैथल, करुक्षेत्र, करनाल, पानीपत, सोनीपत, रोहतक व् झज्झर आदि के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोलने का निर्णय लिया था।
विभाग द्वारा सुचना जारी कर सम्बंधित जिलों में रजिस्ट्रेशन के लिए वेबसाइट (wwwharyanaforest.gov.in) पर 15 दिसंबर 2021 से 15 जनवरी 2022 तक ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत किये जा सकते है। लाइसेंस के लिए नियम और शर्ते वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसके निर्देशानुसार ही आवेदन किया जा सकता है। सुचना में कहा गया है कि जिन आवेदकों द्वारा वर्ष 2017 व् वर्ष 2018 में लाइसेंस के लिए आवेदन किये गए थे, उनमें से 765 ऐसे आवेदक थे जिनके बकाया 80 फीसदी धनराशि सरकार द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर ऑनलाइन माध्यम से जमा नहीं करने के कारण विभाग द्वारा जारी सुचना 14 के माध्यम से उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया था। यदि निरस्त किये गए आवेदकों में से कोई अब लाइसेंस के लिए इच्छुक हो तो वह नए सिरे से आवेदन कर सकता है लेकिन उसके द्वारा उक्त वर्ष जमा की गई राशि को समायोजित नहीं किया जाएगा क्योंकि नियमानुसार वो राशि जब्त की जा चुकी है।
सरकार के इस आदेश के बाद ऑल इंडिया प्लाइवुड मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री देवेन्दर चावला ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि सरकार ने टिम्बर की उपलब्धता का सही आकलन नहीं किया है। हरियाणा में पड़ोसी राज्यों से काफी टिम्बर मंगवाई जाती है, और लगता है सरकार ने उस टिम्बर को भी हरियाणा में जोड़ लिया है। नए लाइसेंस टिम्बर की उपलब्धता के आधार पर होनी चाहिए थी। उन्होंने ये भी बताया कि यमुनानगर में लगी मौजूदा प्लाइवुड व वुड पैनल कंपनियों को उचित मात्रा में टिम्बर नहीं मिल पा रहा है, जिससे चलते कई फैक्टरियां बंद है। पहले ही यमुनानगर में वुड आधारित यूनिट की उत्पादन क्षमता में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में सरकार के इस आदेश में बाद भी कोई नई यूनिट लगाने से पहले बाजार का आकलन जरूर करेगा, और उसे आकलन जरूर करना चाहिए।