वर्ष 2022, शुरुआत से ही ओईएम और रेडीमेड फर्नीचर की बढ़ती मांग के साथ पार्टिकल बोर्ड उद्योग के लिए काफी अच्छा रहा। डिमांड आठ महीनों तक काफी अच्छी थी, जिसने पूरे इंडस्ट्री सेक्टर में इसके विस्तार और क्षमता उपयोग बढाने को तेजी से प्रेरित किया। बगास के साथ-साथ वुड पार्टिकल बोर्ड- दोनों सेगमेंट मिलाकर वर्ष 2023 में 20 फीसदी की क्षमता वृद्धि होने जा रही है।
नए पार्टिकल बोर्ड प्लांट उत्तरी, दक्षिणी क्षेत्रों के साथ-साथ गुजरात में भी आ रहे हैं और उम्मीद है कि 2023 में प्रति दिन लगभग 4000 सीबीएम अतिरिक्त क्षमता बढ़ जाएगी। हालांकि 2022 के आखिरी तीन महीने पार्टिकल बोर्ड उद्योग के लिए ठीक नहीं थे, क्योंकि मांग में कमी से मैन्युफैक्चरर दबाव में थे। परिदृश्य में बदलाव के साथ, इस सेगमेंट में कीमत और मार्जिन दोनों में गिरावट देखी गई है। समुद्री माल ढुलाई खर्च में कमी के कारण पिछले छह महीनों में पार्टिकल बोर्ड के आयात में भी काफी वृद्धि हुई है। आने वाले समय में आयात उद्योग के सामने चुनौती पेश करने वाला होगा।
वर्ष 2021 और 2022 में महामारी के बाद, वर्क-फ्रॉम-होम का चलन बढ़ने के साथ टेबल टॉप आदि जैसे फर्नीचर की मांग में वृद्धि के कारण पार्टिकल बोर्ड की मांग अचानक बढ़ गई। आवश्यकता को पूरा करने के लिए कारखाने अच्छी तरह से काम कर रहे थे और यह देखते हुए कि उन्होंने विस्तार की भी योजना बनाई। आयात सामान्य होने और डोमेस्टिक प्लेयर्स की क्षमता विस्तार के साथ पिछले तीन महीनों में दबाव बढ़ा है।
कैपेसिटी ऐडिशन के मामले में इंडस्ट्री में 2023 में काफी अच्छी ग्रोथ देखने को मिलेगी, लेकिन मार्केट में डिमांड उतनी मजबूत नहीं दिख रही है, खासकर रिटेल सेगमेंट में। रेडीमेड फर्नीचर सेक्टर और ओईएम मांग और क्षमता उपयोग के सहयोगी बनेंगे। कुल मिलाकर, भारत में पार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्री का लगभग 8000 करोड़ रुपये का कारोबार है, जिसमें 65 से अधिक इकाइयां हैं, जो वित्त वर्ष 24 तक 10,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।