हर महीने एमडीएफ का आयात बढ़ रहा है और यह सिलसिला पिछले छह महीनों से जारी है। सूत्रों से मिले संकेत के अनुसार निकट भविष्य में आयात और बढ़ेगा। बढ़ते रुझान के साथ डोमेस्टिक प्लेयर्स मार्जिन पर दबाव के साथ बैकफुट पर नजर आ रहे हैं क्योंकि आयात के चलते उनके व्यापार और लाभप्रदता पर हमला हुआ है, और वे बुरी तरह प्रभावित है। अब वे सुरक्षा के उपाय खोज रहे हैं और एमडीएफ के आयात पर एडीडी लगाने की मांग कर रहे हैं।
इंडस्ट्री ने विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों और देश के दक्षिणी हिस्सों में उत्पाद की पेशकश में प्राइस करेक्शन भी देखने को मिला। हालांकि यह खबर लिखे जाने तक उत्तर भारतीय बाजार पर इसका असर नहीं पड़ा है। अगर टिम्बर की कीमतों में वृद्धि जारी रही तो उम्मीद है कि उत्तरी क्षेत्र भी आयात से बुरी तरह प्रभावित होगा। आने वाले समय में, उत्तर भारतीय बाजार प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि टिंबर की कीमत लगातार बढ़ रही है और 6 रुपये प्रति किलोग्राम की मौजूदा कीमत से 7.5 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंचने की उम्मीद है।
आने वाले आयातित एमडीएफ इस सेगमेंट को काफी ज्यादा प्रभावित किया हैं जिसके कारण एमडीएफ प्लेयर्स के मार्जिन और प्रोफिटेबिलिटी घटी है। आॅर्गनइज्ड एमडीएफ ब्रांडों के तीसरी तिमाही के परिणाम उनके मार्जिन पर दबाव के परिदृश्य को इंगित करते हैं। यदि हम प्रभाव को देखें, तो प्रमुख सप्लायर के अंतिम तिमाही के परिणाम स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि बाजार में विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में प्लेन एमडीएफ सेगमेंट में भीड़ भाड़ रही है।
डोमेस्टिक एमडीएफ मैन्युफैक्चरर सरकार से आयातित एमडीएफ पर एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि आयातक मार्जिन को बनाए रखने के लिए आयातित एमडीएफ का घनत्व बाजार की तुलना में कम होता है। एचडी़ ़ एमआर ग्रेड में भी घटिया क्वालिटी के बोर्ड लाए जा रहे हैं। मटेरियल सस्ते रेट पर आ रही है, जिसका असर घरेलू उद्योग पर पड़ रहा है। उद्योगों की रिपोर्ट के अनुसार, वे चर्चा भी कर रहे हैं और आयात पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाने के तरीकों और प्रक्रियाओं की तलाश कर रहे हैं।
उद्योग के स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि उद्योग की सुरक्षा के लिए एंटी डम्पिंग ड्यूटी लगाना अनिवार्य है। दूसरी ओर, एमडीएफ का उपयोग करने वाले फर्नीचर निर्माताओं का एक अलग दृष्टिकोण है। उनका कहना है कि उन्हें जेन्युन रेट पर मटेरियल मिल रही है जो ‘मेक इन इंडिया‘ इनिसिएटिव में सहयोग भी कर रही है, इसलिए वे चाहते हैं कि एडीडी लागू नहीं किया जाना चाहिए।