चार साल पहले विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश को प्लाइवुड उत्पादन के लिए एक बहुत ही आकर्षक स्थान माना जाता था, क्योंकि इस क्षेत्र में लकड़ी की सस्ती उपलब्धता थी। लेकिन अब इकाइयों की संख्या और मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी में वृद्धि के साथ स्थिति बदल गई है। आस-पास के क्षेत्र में टिम्बर की उपलब्धता क्षेत्र के प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर के लिए पहले फायदेमंद नहीं रही। समय के साथ स्थिति बदली है और लकड़ी की कीमत 4000 रुपये से 7000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है।
इन चार वर्षों में इस क्षेत्र में उत्पादन क्षमता में तीन गुना वृद्धि हुई है। विशाखापत्तनम बेल्ट में स्थित प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी कई गुना बढ़ गई है, क्योंकि अब इकाइयां आधुनिक तकनीक से लैश हैं। इस क्षेत्र में स्थित सियाम प्लाई, सॉलिड प्लाई, एवरेस्ट प्लाई जैसे प्लाइवुड ग्रुप ने नई मशीनें लगाकर अपनी मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी में वृद्धि की है। साथ ही इस क्षेत्र में कुछ नई इकाइयों ने उत्पादन शुरू कर दिया है।
विशाखापत्तनम में बढ़ती क्षमता के साथ टिंबर की खपत में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहले जब लकड़ी की उपलब्धता अधिक थी और खपत कम थी तो इसका उपयोग पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु जैसे आस-पास के राज्यों में आपूर्ति के लिए किया जाता था। अब उद्योग का कहना है कि उन्हें टिम्बर की कमी हो रही है और उपलब्धता मौजूदा उद्योग के लिए चुनौती बनती जा रही है। स्थिति चुनौतीपूर्ण होने से कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है जिससे इनपुट कॉस्ट बढ़ रही है। कुछ प्लेयर तैयार उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, दूसरी ओर टिम्बर के परिदृश्य के कारण कई प्लांट क्षमता से कम चल रहे हैं।
विशाखापत्तनम बेल्ट को भारत में अच्छी गुणवत्ता वाले प्लाईवुड के उत्पादकों के रूप में जाना जाता है, जिसमें टीम और मार्केटिंग एफर्ट्स के साथ ओर्गनइज्ड वर्क कल्चर है। उद्योग के लोगों ने स्वीकार किया की चुनौतियाँ बढ़ रही है लेकिन एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के पैनल उत्पादकों के लिए यह क्षेत्र अभी भी काफी आकर्षक है। यहाँ फ्यूल वुड भी सस्ती कीमतों पर उपलब्ध है, जो उत्तर भारत में स्थित प्लाईवुड यूनिट्स के लिए काफी बढ़ गई है।