“कच्चे माल के हो रहे कमी की वजह से बंद हो रहे वुड पैनल मैन्युफैक्चरिंग को बचाने के लिए भाईचारा ट्रक वेलफेयर एसोसिएशन ने सरकार से गुहार लगाई है | एसोसिएशन ने इसको लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री तक ज्ञापन दिया है”
उत्तर भारत में टिम्बर हो रहे टिम्बर शोर्टेज अब बिकराल रूप लेता जा रहा है | दरअसल वुड बेस इंडस्ट्री पूरी तरह से टिम्बर पर निर्भर है, और जब टिम्बर की उपलब्धता ही गिरने लगे तो जाहिर सी बात है वुड पैनल इंडस्ट्री में क्राईसिस आना तय है | वुड पैनल मैन्युफैक्चरिंग हब माने जाने वाले यमुना नगर के हालत दिनोदिन बदतर होते जा रहे है | कच्चे माल की उपलब्धता गिरकर 50 फीसदी के आसपास पहुँच गयी है जिसका असर अब वहां के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर साफ़ साफ़ दिखने लगा है |
यमुना नगर के वुड पैनल मैन्युफैक्चरिंग हब से जुड़े सबसे अहम् ट्रांसपोर्ट्स सेक्टर की भी कमर टूटती नजर आ रही है | आलम ये है कि खुद के स्टेबिलिटी के लिए यमुना नगर भाईचारा ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट वलफेयर एसोसिएशन ने इस इंडस्ट्री को बचाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है | इसके लिए इस एसोसिएशन ने बाकायदा ज्ञापन भी भेजा है |
भाईचारा ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट वलफेयर एसोसिएशन के उप प्रधान ताराकांत सैनी ने प्लाई रिपोर्टर के संवादाता से बात करते हुए बताया कि यमुनानगर में प्लाईवुड के साथ साथ कई तरह की वुड बेस इंडस्ट्री है, जो पिछले साल भर से कच्चे माल की मार झेल रही है | बीते छ महीने के दौरान यहाँ करीब 40 फीसदी फैक्ट्रियों में ताला बंदी हो चूका है | इनके मुताबिक़ यमुना नगर से रोड ट्रांसपोर्ट के जरिये पुरे देश में फिनिश माल की सप्लाई होती है, जिसमें गुवाहाटी, मुंबई, पूना और कोलकत्ता सबसे अहम् डेस्टिनेशन है, मगर इन जगहों पर सप्लाई ना के बराबर हो रही है |
इनके मुताबिक़ केवल इस एसोसिएशन से 2000 के आसपास ट्रक मालिक जुड़े हुए है, एक ट्रक पर ड्राइवर के साथ खलासी होते है, जो काम ना होने की वजह से बेरोजगार हो चुके है | इन्होने बताया कि ट्रांसपोर्टर्स के पास काम ही नहीं होने की वजह से संचालकों के सामने अपने गाड़ियों के लिए बैंकों से लिए गए लोन परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं | ट्रक संचालक ईएमआई देने में असमर्थ हैं, उनके घर तक बैंक के पास रहन हो चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस उद्योग को बचाने के लिए नीतियां बनाए अन्यथा उन्हें गाड़ियां सरेंडर करने की सुविधा दे |
उधर हरियाणा प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष जेके बिहानी ने बताया कि ये सच है कि कच्चे माल की हो रही भीषण कमी का असर वुड पैनल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर पड़ा है | वर्तमान में करीब 60 के आसपास ही यूनिट्स ही अपनी क्षमता चल रही हैं | बढ़ते टिम्बर की कीमत और कच्चे माल की गिरती आपूर्ति की वजह से कई फैक्टिर्यों में काम पूरी तरह से ठप्प पड़ा है, जिसका असर ट्रांसपोर्टर्स पर सीधे पड़ रहा है | इन्होने बताया कि यहाँ से निकलने वाले प्रोडक्ट की सप्लाई रोड ट्रांसपोर्ट के जरिये ही होता है, जिसमें पिछले एक साल के भीतर भारी कमी आई है |
बहरहाल ट्रांसपोर्टर्स के गुहार का सरकार पर कितना होगा ये तो सरकार ही बता सकती है | मगर वुड पैनल मैन्युफैक्चरर और ट्रांसपोर्टर्स दोनों ने सरकार से इस इंडस्ट्री को बचाने की बात कह रहे है | इनका कहना है कि इस उद्योग से सरकार को करोडो रुपये का रेवेनू मिलाता है साथ ही इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए है, जिनके सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होने लगी है |