बीआईएस क्वालिटी कंट्रोल आर्डर (क्यूसीओ) के अनुसार एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड और ब्लॉक बोर्ड पर 10 फरवरी, 2024 से और प्लाइवुड, शटरिंग प्लाइवुड और अन्य पैनल प्रोडक्स के लिए 29 फरवरी, 2024 से बीआईएस सर्टिफिकेशन और आईएसआई मार्क अनिवार्य होगा।
रिपोर्ट लिखे जाने तक यानी 31 दिसंबर, 2023 तक डोमेस्टिक पैनल मैन्युफैक्चरर्स और विभिन्न एसोसिएषन ने ऑर्डर के लागू होने की समय सीमा बढ़ाने के लिए डीपीआईआईटी से संपर्क साधा है। अनुरोध अभी विचाराधीन है। इसका असर वुड पैनलों के इम्पोर्ट ऑर्डर पर दिख रहा है।
पिछले महीने से कई देशों से पैनल प्रोडक्ट के नए ऑर्डर मिलने बंद हो गए हैं। भारतीय कंपनियां अपने मेटेरियल जल्द से जल्द दूसरे देशों से भेजने का अनुरोध कर रही हैं ताकि वे अपनी जर्नी टाइम को ध्यान में रखते हुए समय सीमा से पहले पहुंच सकें।
रूस के बर्च प्लाई के आयात पर प्रभाव
बर्च प्लाई की एक महत्वपूर्ण वॉल्यूम रूस से आयात की जाती है जो अपने अच्छे कैलिब्रेशन और क्वालिटी के कारण विभिन्न उपयोगों और एप्लिकेशन के लिए हाई इंड सेगमेंट में भारतीय बाजार में काफी लोकप्रिय है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अभी रूस से लगभग 1500 सीबीएम बर्च प्लाई आयात होती है, लेकिन क्यूसीओ के कारण, इम्पोर्टर्स द्वारा रूस से नए ऑर्डर रोक दिए गए हैं। इनका कहना है कि रूस से भारत आने में लगभग 60 से 90 दिन लगता है, इसलिए वे रूस को नया ऑर्डर देने में असमर्थ हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2023 के बाद भारत से नए ऑर्डर मिलना बंद हो गए हैं।
रूस से बर्च प्लाइवुड भारतीय यूजर्स में काफी लोकप्रिय है और कई ट्रेडर इसे आयात कर रहे हैं क्योंकि उन्हें इसमें बाजार से अच्छे आर्डर मिलते हैं। गौरतलब है कि भारत प्लाइवुड खपत का एक अच्छा बाजार है। रूस के बर्च प्लाई में उच्च मॉइस्चर रेजिस्टेंस, स्टेबिलिटी, टेंसाइल बिअरिंग स्ट्रेंथ और टेम्प्रेचर डिफरेंस के प्रति प्रतिरोधी होते है। जब मशीनों में नई पॉलिश करने या आधुनिक फर्नीचर बनाने वाली मशीन की मदद से इसे प्रोसेस करने की बात आती है तो इसकी कैलिब्रेटेड फैसिलिटी बहुत उपयोगी होती है। किचेन, फर्नीचर, वार्डरोब, शटर ओईएमएस बर्च प्लाइवुड काफी ज्यादा पसंद करते हैं।
विशेषज्ञों को डर है कि रूस से बर्च प्लाइवुड के इम्पोर्ट में अचानक रोक से कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि कमी के चलते फर्नीचर सेक्टर की लागत बढ़ जाएगी जिससे यूजर डिमांड को पूरा करने में काफी चुनौतियां पैदा होंगी। इसी तरह इंटीरियर डिजाइनर और डेकोरेटर्स को भी दिक्कत महसूस होगी।
एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के आयात पर प्रभाव
इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया से आयात प्रभावित होगा क्योंकि गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) 10 फरवरी, 2023 से लागू होने वाला है। आयात भारत में कुल एमडीएफ बाजार का लगभग 10 फीसदी है जो प्रमुख रूप से इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया से आता है। आयातकों की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर के बाद से भारतीय व्यापारियों/आयातकों द्वारा एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं दिया गया है।
उन्होंने अपना आखिरी ऑर्डर 20 दिसंबर 2023 से पहले दिया क्योंकि इन देशों से भारत तक माल आने में लगभग 25 से 30 दिन लगता है। कुछ स्थितियों में यह बढ़कर 45 दिन भी हो जाता है, इसलिए आयातक नए ऑर्डर देने से झिझकते हैं। उन्हें डर है कि अगर ऑर्डर देर से आए तो यह बंदरगाहों पर फंस सकता है और रिकवरी मुश्किल हो जाएगी, जिससे नुकसान ज्यादा होगा।
सकारात्मकता की बात करें तो एमडीएफ में इंडस्ट्री लीडर्स को लगता है कि डोमेस्टिक प्रोडक्शन मार्केट में सुधार होगा, और लोग भारतीय ब्रांडों, उनकी सेवाओं, प्रोडक्ट प्रोफाइल, तथा इसे यूजर को बेचने से पहले विभिन्न पेशकश के साथ-साथ अपनेपन और देखभाल, प्रोडक्ट के फायदों को समझेंगे। डेटा इंगित करता है कि एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड में क्षमता वृद्धि के मामले में अच्छा ग्रोथ है।
प्लाइवुड के आयात पर प्रभाव
प्लाइवुड के लिए फब्व् कार्यान्वयन की समय सीमा 29 फरवरी 2024 है। अभी प्लाइवुड इम्पोर्टर्स के बीच चर्चा चल रही है, और हर कोई जल्दी में है क्योंकि जनवरी 2024 में कोई नया ऑर्डर मिलने की उम्मीद नहीं है। इम्पोर्टर अपने विदेशी विक्रेताओं से तत्काल 15 जनवरी 2024 से पहले ऑर्डर भेजने का अनुरोध कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया और चीन में आखिरी ऑर्डर दिसंबर 2023 में दिए गए थे और तब से कोई नया ऑर्डर जारी नहीं किया गया है। इंडस्ट्री रिपोर्ट से पता चलता है कि कई इम्पोर्टर शिपमेंट क्लियरिंग कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन ये कंपनियां क्यूसीओ से संबंधित कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं हैं।
"नेपाल से प्लाइवुड के आयात में भारतीय बाजारों में मजबूत तेजी देखी गई है, जिसका सीधा असर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्लाइवुड उद्योग पर पड़ा है।"
2022 में आयात पिछले 20 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर आयात बंद हो गया तो लकड़ी की बढ़ती कीमतों के कारण प्लाइवुड की कीमत में काफी वृद्धि होगी। इसके विपरीत, लॉग के आयात में वृद्धि होने की उम्मीद है, और घरेलू मैन्युफैक्चरर को सहयोग देने के लिए बंदरगाह के पास लॉग की विनियरिंग बढ़ेगा।
नेपाल से प्लाइवुड आयात पर असर
नेपाल में, फब्व् से सम्बंधित कार्यान्वयन के बारे में चर्चा रोज होती है, क्योंकि भारतीय का बाजार उनके प्लाईवुड इंडसट्री के लिए एक काफी सहयोगी है, इस बाजार में उनके प्लाईवुड उत्पादन का 60 से 70 फीसदी खपत होती है। भारतीय बाजार पर यह बढ़ती निर्भरता फब्व् लागू होने से नेपाल में बढ़ती चिंता का प्राथमिक कारण है।
नेपाल में प्लाइवुड इंडस्ट्री के सूत्र बताते हैं कि इस मामले पर भारत सरकार से राहत पाने के लिए नेपाल के मैन्युफैक्चरर और नेपाल सरकार के बीच चर्चा चल रही है। प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर ने औपचारिक रूप से नेपाली सरकार से अनुरोध किया है कि वह तिथि आगे बढ़ने के लिए ऑर्डर सुरक्षित करने या विशेष परिस्थितियों में आईएसआई मार्क के लिए भारत सरकार से बात करें।
यह मुद्दा नेपाल और भारत की ट्रेड मीटिंग्स में भी उठाया जा चुका है। नेपाल में मैन्युफैक्चरर इस बात पर जोर देते हैं कि यदि भारत को निर्यात रोक दिया जाता है, तो नेपाल में प्लाईवुड इंडस्ट्री को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। ऑपरेशनल डिमांड समाप्त हो जाएगी, ऐसी स्थिति उत्पन्न होगी कि प्रोडक्शन भी बंद हो जाएगा।
भले ही फब्व् लागू होने की तारीख 29 फरवरी 2024 है, मेटेरियल फरवरी के मध्य तक आती रहेगी, क्योंकि नेपाल से भारत तक मटेरियल पहुंचने में 7 से 10 दिन लगते हैं। सूत्र बताते हैं कि ऑर्डर देना अभी भी संभव है, लेकिन फरवरी के मध्य के बाद भारत में मटेरियल मांगना काफी चुनौतीपूर्ण होगा। इसके बावजूद, इंडस्ट्री ऑर्डर लागू होने की समय सीमा बढ़ाने के लिए स्थानीय सरकार पर सक्रिय रूप से दबाव डाल रही है।
नेपाल से प्लाइवुड के आयात में भारतीय बाजारों में मजबूत तेजी देखी गई है, जिसका सीधा असर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में प्लाइवुड उद्योग पर पड़ा है। दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र के डीलर नेपाल के प्लाइवुड का विकल्प चुन रहे हैं, यह स्वीकार करते हुए कि क्वालिटी भले ही ऊंचे दर्जे की न हो, लेकिन यह किफायती है, जिससे यह एक पसंदीदा विकल्प बन गया है।
विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि अगर आयात रुकता है, तो नेपाल में स्थित इंडस्ट्री को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि इसका प्रमुख बाजार भारत है। इसलिए, मैन्युफैक्चरर क्यूसीओ की तिथि को बढ़ने या विशेष आधार पर सर्टिफिकेट प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लोगों ने भी सरकार और बीआईएस को पत्र लिखकर तिथि बढ़ने की मांग की है और मामला फिलहाल विचाराधीन है। उम्मीद यह है कि तारीख आगे बढ़ सकती है, लेकिन अंतिम फैसला भारत सरकार का होगा।
नष्कर्ष
नेपाल, वियतनाम और इंडोनेशिया की कंपनियां बीआईएस सर्टिफिकेशन हासिल करने के प्रयास कर रही हैं, समय सीमा बताती है कि इसे जल्द हासिल करना संभव नहीं हो सकता। इस बीच, मैन्युफैक्चरर, भारत में अपने संबंधित संघों के साथ, क्यूसीओ के लागू करने की समय सीमा को बढ़ाने की मांग करने के लिए सरकार, बीआईएस और डीपीआईआईटी के साथ सक्रिय रूप से बात कर रहे हैं। उम्मीद है कि विस्तार मिल जाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय सरकार पर निर्भर है।