प्रस्तावित राष्ट्रीय वन नीति 2018, उद्योग के लिए डिग्रेडेड वन भूमि के उपयोग की अनुमति देता है, इसका लकड़ी और लकड़ी पर आधारित उद्योग तथा पेपर बोर्ड निर्माताओं द्वारा स्वागत किया गया है। पिछले हफ्ते फीडबैक के लिए ड्राफ्ट पॉलिसी को सार्वजनिक डोमेन में रखा गया, जिसमें उद्योगों ने गहरी रूचि दिखाई है।
वन विकास निगमों (एफडीसी) के पास उपलब्ध डिग्रेडेड वन क्षेत्रों के विकास के लिए पब्लिक और प्राइवेट पार्टनरशिप के लिए योजनाएं, और लकड़ी की मांग को पूरा करने व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए तथा फारेस्ट कवर बढ़ाने के लिए कृषि वानिकी और कृषि वानिकी के माध्यम से जंगलों के बाहर के पेड़ों का प्रबंधन, इत्यदि कई चुनौतियां है जो लकड़ी आधारित उद्योग सामना कर रही है यह पॉलिसी इसका उल्लेख करता है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन प्लाईवुड एंड पैनल इंडस्ट्री के प्रिंसिपल टेक्निकल एडवाइजर सीएन पांडे ने कहा कि नई वन नीति की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इससे उद्योग को डिग्रेडेड वन भूमि तक पहुंच प्राप्त होती है जो हरित कवर को बढ़ाने में भी मदद कर सकती है।
उद्योग और किसानों को इंटिग्रेटेड करने से एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड और इंटीनियर उत्पादों के लिए लकड़ी के कच्चे माल की उपलब्धता में मदद मिलेगी। लेकिन प्लाइवुड उद्योगों के लिए स्थिति गंभीर है। इंडियन प्लाईवुड इंडस्ट्रीज रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक रहे, श्री पांडे ने कहा कि प्लाइवुड उद्योगों को दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को कच्ची सामग्री के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से विशेष चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग अब अफ्रीका में संभावनाओं की तलाश में है। इसलिए नई नीति लंबी अवधि में समाधान साबित हो सकती है।