प्लाइवुड उद्योग में निचले स्तर से ऊपर तक चार मुख्य स्टेक होल्डर हैं जिनमें, किसान, प्लाइवुड निर्माता, सरकारी अधिकारी और कुशल पेशेवर शामिल हैं। उद्योग के विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक की एक-दूसरे के साथ सहयोग कर आगे बढ़ने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं होती है। सभी स्टेक होल्डर ‘‘एक ही स्ट्रिंग के मोती’’ हैं, और हमारे उद्योग के विकास के लिए, एक साथ मिलकर काम करने के लिए एक दुसरे का सहयोग करना होता है। यहां, मैं प्लाइवुड उद्योग को प्रभावित करने वाले सबसे महत्वपूर्ण कारकों पर विचार करना चाहता हूं जो कच्चे माल की उपलब्धता और इसके समाधान के बीच चुनौती बना हुआ है।
चुनौतियां
हमारा उद्योग कच्चे माल के लिए संघर्ष करता रहता है जो मुख्य रूप से प्रकृति की अनियमितताओं पर निर्भर होते है, जैसे अच्छी बारिश, पर्याप्त वृक्षारोपण, लेवर की समस्या इत्यादि। इसके अलावा, वर्षों से ज्यादा उत्पादन के कारण अत्याधिक आपूर्ति के चलते, किसानों को उनके उत्पादन के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य नहीं मिलता है। वे वृक्षारोपण को अनाआकर्षक महसूस करते है और इस प्रकार अगले सीजन के लिए गेहूं, चावल इत्यादि जैसे अन्य विकल्पों की ओर बढ़ जाते है, जिससे उस सीजन में कच्चे माल की उपलब्धता कम हो जाती है। उद्योग भी अपने उत्पादन की योजना नहीं बना सकता है और ना ही इसकी क्षमताओं को बढ़ा सकता
है, क्योंकि वे अपने प्रोडक्शन आर्डर को पूरा करने के लिए कच्चे माल की उपलब्धता के बारे में अनिश्चित रहते है। यह भी देखा गया है कि भारत एक विशाल देश होने के नाते प्लाइवुड उद्योग उत्तर से दक्षिण व पूर्व से पश्चिम के क्षेत्रों में फैला है, कभी-कभी ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां अच्छे मौसम के कारण कच्चे माल की अत्यधिक आपूर्ति होती है, जबकि कुछ अन्य क्षेत्र कच्चे माल की उपलब्धता की कमी महसूस करते है। यह असंतुलन मूल्य भिन्नता का कारण बनता है जिसमें एक जगह किसानों को अच्छा मूल्य मिलता है जबकि दूसरी जगह के किसान को ज्यादा उत्पादन से नुकसान होता है।
समाधान
शुरुआती समाधान के रूप में, भारत सरकार द्वारा परिवहन सब्सिडी की पेशकश की जा सकती है। यह एक अंतरिम कदम हो सकता है, जबतक कि हम इ-मार्केट प्लेस की स्थापना न कर लें, और जो पूरे भारत में किसानों, लॉजिस्टिक कंपनियों, उद्यमियों को एक साथ ना ले आए। यह एक इलेक्ट्रॉनिक मंडी हो सकता है जिसमें विक्रेताओ और खरीददारों को बोली लगाने का मौका मिले और पूरे भारत में लकड़ी के सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य का पता लग सके। यह ‘‘ई-मंडी‘‘ विशेष रूप से लकड़ी बेचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म किसान को अपने उत्पाद को उच्चतम बोली लगाने वाले खरीदार को बेचने का अवसर प्रदान करेगा। दोनों पक्षों के स्थान की स्थिति का पता नहीं होने के बावजूद चाहे वे उत्तर भारत में स्थित है, तब भी वो दक्षिण भारत के उद्योग को बेच सकेंगे। उदाहरण के रूप में, उद्यमी उस कीमत को बताएंगे जो लकड़ी खरीदने के लिए तैयार है, और किसान इलेक्ट्रॉनिक रूप से सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी लॉजिस्टिक की जांच कर अपने लकड़ी को उद्यमी तक पहुंचा सकते है। अगरए किसान अपने उत्पाद को एक ऐसे उद्योग को बेच सकते है जो दूर स्थित हैए तो वह उस आर्डर पर क्लिक करके उसे स्वीकार कर सकता है और अपने उत्पाद डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए लॉजिस्टिक की व्यवस्था कर सकता है। ट्रककीए ट्रकगुरुए ट्रकसुविधाए ट्रांसैपए फ्रेटबाजार इत्यादि जैसी कई ट्रांसपोर्ट वेबसाइटें पहले से ही काम कर रही और डोर टू डोर ट्रक और माल ढुलाई सेवा के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही हैं जिन्हें हमारे प्लाइवुड उद्योग के साथ एकीकृत किया जा सकता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में वर्तमान प्लांटेशन वुड की कीमतों के आधार पर ;उदाहरण के लिएए आजकल उत्तरी क्षेत्रों में लकड़ी की कीमत बहुत किफायती हैद्धए आर्थिक परिवहन के लिए परिवहन सब्सिडी दिए जाने चाहिए और कोर.विनियर इम्पोर्ट को हतोत्साहित करने चाहिए तकि देश के बहुमूल्य विदेशी मुद्रा बचाया जा सके। उत्तर प्रदेश में आलू के परिवहन के लिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है। जीएसटी से अब उत्तरी भारत के किसानों को कम कीमत वाली लकड़ी के उत्पादन को स्थानांतरित करने के लिए दक्षिण भारत क्षेत्र में परिवहन की सब्सिडी के रूप में सहायक समर्थन के माध्यम से शुरू किया गया हैए जो हमारे उद्योग को पूरे भारत में एक.दूसरे के साथ जोड़ने में मदद करेगा। यह किसानों और उद्योग दोनों को प्रेरित करेगाए क्योंकि किसानों को उनके उत्पादन के लिए उचित मूल्य मिलेगा और उद्योग भारत के भीतर और उसके आस.पास के नए बाजारों तक पहुंचने में सक्षम होगा।
एक और समाधान के रूप में लकड़ी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एमएसपीद्ध हो सकता है। प्लांटेशन लकड़ी उत्पादक ;जैसे कि रबरए पोपलरए एक्युलिप्टस उत्पादकद्ध को हमारे उद्योग के निर्णय लेने वाले निकायों में अच्छा प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। सबसे पहली कड़ी और मेटेरियल इनपुट प्रदाता होने के नातेए डिसीजन मेकिंग में उनको शामिल करना उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगा। उनके हितों की रक्षा के लिए लकड़ी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ;एमएसपीद्ध प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से मांग की जानी चाहिएए ;जैसा की गन्ना में किया जाता हैद्ध क्योंकि यह एक तरफ किसान की रुचि को बनाए रखने में मदद करेगा और प्लांटेशन टिम्बर की आपूर्ति को सुनिश्चित करेगाए साथ ही वुड पैनल प्रोसेसिंग उद्योग को गति प्रदान करेगा। ऐसी पहल से उद्योग के अनिश्चित ग्रोथ पैटर्न के कारण मेटेरियल इनपुट की कीमतों में होने वाले उतार.चढ़ाव का सामना करने में काफी मदद करेगा।
उपर्युक्त समाधान की आर्थिक व्यवहार्यता को सरकार द्वारा जांच करनी होगीए लेकिन इस तरह के कदम से किसानों की आय और आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलेगा और उद्योग को कच्चे माल की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
इसके संभावित फायदें
- कोर.विनियर का आयात हमारी अर्थव्यवस्था पर एक अनावश्यक बोझ है। प्लांटेशन टिम्बर के किफायती और स्थानीय उपलब्धता कोर.विनियर के आयात को हतोत्साहित करेगा।
- इस कदम से भारतीय किसानों को अपना राजस्व बनाए रखने और प्लांटेशन टिम्बर के स्थिरए सतत और बढ़ते चक्र को प्रोत्साहित करने में भी मदद मिलेगी।
- भारतीय प्लाइवुड निर्माताओं के पास अधिक निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर मूल्य निर्धारण प्रतिस्पर्धात्मकता होगी और निर्यात बाजार पर अधिक ध्यान देने के लिए आधार प्रदान करेगा।
- भारत में भी प्लांटेशन टिम्बर के आधार पर एक स्थिर ग्रीन कवर भी होगा।
उपरोक्त विचारों के कार्यान्वयन के क्रम में सभी स्टेक होल्डरए विशेष रूप से सम्बंधित सरकारी विभागों और अधिकारियों के बीच राष्ट्रव्यापी प्रयास शुरू किया जाना चाहिए। वुड टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन अपने भारतीय वुड पैनल प्रोसेसिंग उद्योग के भविष्य के हितों और प्रतिस्पर्धात्मकता की रक्षा के लिए स्वेच्छा से अपनी सेवा देने में गर्व का अनुभव करेगा।