लकड़ी के फर्नीचर का आयात 2 दशकों से लगातार बढ़ रहे हैं और यह प्रवृत्ति मेक इन इंडिया इनिसिएटिव के बावजूद जारी है। पहल के बावजूद फर्नीचर सेगमेंट में कुछ भी बड़ा नहीं हुआ है। हालांकि पिछले वर्ष के आंकड़े भी वही हैं, जहां फर्नीचर आयात में वित्त वर्ष 17-18 के दौरान 2.5 फीसदी की वृद्धि हुई। 11.5 करोड़ रुपये की वृद्धि के साथ वित्त वर्ष 2018 में कुल फर्नीचर आयात 473.10 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वर्ष 461.63 करोड़ रुपये था। बढ़ती प्रवृत्ति दो साल बाद भी जारी रही है। पिछले साल इसने 376.68 करोड़ रुपये से 461.63 करोड़ रुपये तक 85 करोड़ रुपये का बड़ा बढ़ावा दिखाया था, जो लगभग 20 फीसदी की बढ़त दर्शाता है।
वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार लकड़ी के फर्नीचर निर्यात में वर्ष 2016-17 में 449.66 मिलियन डॉलर से 40 मिलियन डॉलर (292.5 करोड़ रुपये) की वृद्धि देखी गई, जो 2017-18 में 533.10 मिलियन डॉलर हो गई है। ईपीसीएच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति से संकेत मिलता है कि लकड़ी के हस्तशिल्प के निर्यात ने वर्ष 2017-18 के दौरान 8.97 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो 4267.37 करोड़ रूपए है, हालांकि, 2018-19 अप्रैल सितंबर, के पहले छह महीनों के दौरान लकड़ी के हस्तशिल्पों के निर्यात में 33.47 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 2619 करोड़ रूपए रही।
उद्योग के कई ग्रुप इंगित करते हैं कि फर्नीचर का आयात बढ़ रहा है और यह अनुकूल बाजार स्थितियों के कारण कुछ समय तक रहने वाला है। हाल के वर्षों में, फर्नीचर बाजार ने कई संगठित प्लेयर्स को आकर्षित किया है, और अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आयातित फर्नीचर सेगमेंट में लगातार वृद्धि हुई।
ब्रांडेड फर्नीचर की बढ़ती मांग के साथ भारत में कई ब्रांड आए हैं। हालांकि स्थानीय कारीगर के फर्नीचर की मांग अभी भी वैसा ही है, लेकिन आयात में वृद्धि हो रही है क्योंकि उपभोक्ता कंटेम्प्रोटी डिजाइन की तलाश करते हैं। इन सभी बातों ने भारत को फर्नीचर और फर्निशिंग उत्पादों का शुद्ध आयातक बना दिया है। भारत मुख्य रूप से चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, इटली और थाईलैंड से आयात करता है।
भारत में रियल एस्टेट और हाॅस्पीटलिटी सेक्टर में रिवाइवल से फर्नीचर उद्योग के कई गुना विकास करने में मदद मिलेगी। भारत के फर्नीचर आयात मुख्य रूप से आधुनिकीकरण और अभिनव डिजाइन की कमी, कुशल श्रम की कमी, सीमित बाजार पहुंच और घरेलू फर्नीचर उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण की कमी के कारण बढ़ रहे हैं। भारत में फर्नीचर कारखानों के संचालन के पीछे भी ये कारण कारगर साबित होंगे।