कूमे फेस विनियर अब भारत में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है, लेकिन जब से गर्जन से ओकूमे में परिवर्तन होना शुरू हुआ, तब से ओकूमे की कीमतें बढ़ रहीं है। गेबॉन लिबेरविले पोर्ट पर लॉजिस्टिक एक बड़ा मुद्दा है और यह भारत के लिए शिपमेंट के नियमित प्रवाह के लिए लगातार एक चुनौती रही है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ हफ्तों में भारत में पर्याप्त मात्रा में ओकूमे फेस विनियर के वेसेल भेजें गए हैं। कंटेनरों के जनवरी के मध्य से शुरू होकर फरवरी-मार्च तक आने की उम्मीद है।
फेस विनियर उत्पादक कंपनियों ने डिस्पैच की पुष्टि की और उम्मीद है कि अगले 2-3 महीनों में 400 से 500 कंटेनर आ जाएंगे। निर्माताओं के पास भारत से बहुत सारे पेंडिंग आर्डर थे लेकिन लॉजिस्टिक में दिक्कत के चलते तथा ड्रेजिंग के काम और जहाजों की अनुपलब्धता ने उन्हें पिछले 4 महीने इंतजार करवाया।
भारत के बाजार ने ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज द्वारा डाई करने और डिप्पिंग फार्मूलेशन तैयार करने के बाद ओकूमे फेस विनियर को आसानी से स्वीकार कर लिया। गर्जन फेस का विकल्प प्रदान करने पर सेमिनार आयोजित करके प्लाई रिपोर्टर द्वारा चलाया गया अभियान, ओकूमे का बाजार बनाने में बेहद सफल रहा। लेकिन लॉजिस्टिक के चलते आपूर्ति में होने वाली देरी ने इसके मोमेंटम को रोक दिया। ओकूमे फेस की कीमतें 100 डालर प्रति क्यूबिक मीटर बढ़ गई हैं, जो कंटेनर बाजार में उतरने के बाद कम होने की उम्मीद है। चीन, इंडोनेशिया, म्यांमार और सोलोमन के पीक्यू फेस विनियर की आपूर्ति कथित तौर पर सुचारू रूप से चल रही है और बाजार स्थिर बनी हुई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ओकूमे फेस विनियर की स्वीकृति कोई समस्या नहीं है और प्रति माह 500 से 600 कंटेनरों की उपलब्धता होगी, जिससे ओकूमे की आपूर्ति में सुधार से फरवरी तक कीमतों में 7 से 10 फीसदी तक की नरमी आ सकती है।