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person access_time4 20 April 2018

ेरहाट, असम स्थित गटानी इंडस्ट्रीज भारत में प्लाइवुड का प्रमुख उत्पादक और उत्तर पूर्व क्षेत्र में अग्रणी निर्माता है। इसका ब्रांड ‘गटानी‘ ‘और’ आॅक्सफोर्ड’ प्लाइवुड बाजार में बहुत लोकप्रिय है क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में लकड़ी की आपूर्ति से संबंधित सभी चुनौतियों के बावजूद उच्च गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को मानक रूप से बनाए रखा है। कंपनी अब डेकोरेटिव लैमिनेट मैन्युफैक्चरिंग के उत्पादन में प्रवेश करने जा रही है, और वे 2021 में अपना उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा है। प्लाई रिपोर्टर के साथ बात चीतके दौरान कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री माखन गटानी ने अपनी भविष्य की योजनाओं और उत्तर पूर्व क्षेत्र में प्लाइवुड उद्योग की वर्तमान स्थिति के बारे में बात की। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।

प्र. नार्थ ईस्ट रीजन में कोविड ने प्लाइवुड उद्योग और व्यापार को कैसे प्रभावित किया?

नॉर्थ ईस्ट रीजन का मतलब 7 राज्य (असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल, मिजोरम, त्रिपुरा और मणिपुर) है। हमारा फैक्ट्री असम में स्थित है और हम मुख्य रूप से मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल और मणिपुर से कच्चे माल की खरीद करते हैं। लेकिन कोविड के कारण सभी राज्यों ने अन्य राज्य के वाहनों और व्यक्तियों के आवाजाही पर प्रतिबंध लागू कर दिया, इसके चलते पिछले महीनों में हमने रॉ मेटेरियल की कमी का सामना किया।

प्र. वर्तमान समय में मांग कैसी है?

मांग में सुधार हो रहा है और हम बेहतर कल की उम्मीद कर रहे हैं।

प्र. कोविड के बाद आपने अपने व्यवसाय में कितना रिकवर किया?

मांग काफी अच्छा है और हम १०० फीसदी दक्षता पर काम कर रहे हैं।

प्र. कोविड के बाद आप प्लाइवुड ट्रेड में क्या बदलाव देखते हैं?

हम प्री या पोस्ट कोविड हालातों में प्लाइवुड ट्रेड में कोई बदलाव महसूस नहीं करते हैं।

प्र. आप प्लाइवुड उद्योग पर वर्तमान कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रभाव कैसे देखते हैं?

मूल्य वृद्धि व्यवसाय का एक हिस्सा है जो मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। केमिकल और फेस विनियर जैसे कच्चे माल जो मुख्यतः आयात किये जाते हैं, कोविड के कारण इसके सप्लाई चेन में कई दिक्क्तें खड़ी हो गई, इसलिए, सब कुछ नियमित तरीके से करने में कुछ महीने और लग सकते हैं। हमें उम्मीद है कि तब तक कीमतों में बढ़ोतरी कम हो जाएगी, लेकिन हमें यह भी डर है कि अगर कीमतों में वृद्धि जारी रहती है तो उपभोक्ता वैकल्पिक उत्पादों की ओर मुड़ सकते हैं।

प्र. नार्थ ईस्ट रीजन के प्लाइवुड इकाइयों के लिए टिम्बर की उपलब्धता कैसी है?

टिम्बर उपलब्ध है, लेकिन यह वन विभागों द्वारा नियंत्रित है और उनके पास कोई दीर्घकालिक नीतियां नहीं हैं, इसलिए उन्हें उद्योग की भलाई, अच्छाई, बुराई के बारे में कोई चिंता नहीं है।

प्र. आपकी जैसी कुछ इकाइयों के अलावा, इस क्षेत्र की अधिकांश प्लाइवुड इकाइयों के लिए टिके रहना बहुत कठिन है, आपका दृष्टिकोण क्या है?

किसी भी इकाई की स्थिरता उनके खरीद, उत्पादन, बिक्री, गुणवत्ता, उपभोक्ता संतुष्टि आदि जैसे सभी के लिए दीर्घकालिकप्लानिंग और नीति निर्धारण पर निर्भर करती है और आपको एक अच्छी टीम की सहायता से प्रति दिन इन सभी के लिए बारीकी से नजर रखनी होती है।

प्र. यदि हम यूपी और अन्य उत्तरी क्षेत्र के साथ तुलना करंे तो असम स्थित प्लाइवुड इकाइयों का भविष्य क्या है?

असम स्थित प्लाइवुड इंडस्ट्रीज का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है, क्योंकि कच्चे माल वन विभाग द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिसके कारण कभी-कभी कच्चे माल की कमी हो जाती है। यदि हम इसकी तुलना यूपी और अन्य उत्तरी क्षेत्र से करते हैं तो वहां की सरकार अपने किसानों को लकड़ी उगाने और बेचने की अनुमति दी है, जो कमोबेश यूपी और उत्तर क्षेत्र में प्लाइवुड इकाइयों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।

हमने धीरे-धीरे श्रृंखला को जोड़ने का काम किया और वर्तमान समय में 100 टनप्रति माह से बढ़ाकर 1600 टन प्रति माह कर लिया। हमारे पास अभी 175000 वर्ग फुट का मैन्युफैक्चरिंग स्पेस है, जिसमें एक विस्तृतउत्पाद रेंज जैसे प्लाइवुड, ब्लॉकबार्ड, फ्लश डोर, शटरिंग प्लाइवुड, मेम्ब्रेन डोर्स का उत्पादन किये जा रहे हैं।

प्र. इस स्थिति में, आप अपने ब्रांड को बाजार में किस तरह से स्थापित करते हैं?

हम अपने ब्रांड ‘‘गटानी‘‘ और ‘‘ऑक्सफोर्ड‘‘ को ब्रांड के रूप में ऐसे स्थान देते हैं, जो कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी को मजबूती से थामे हुए है और सभी बाधाओं के बावजूद उत्पाद की उपलब्धता सुनिश्चित करता है, उस गुणवत्ता को बनाए रखताहै जिसके लिए हम जाने जाते हैं।

प्र. हम निश्चित रूप से विस्तार करने की योजना बना रहे हैं

लेकिन चूंकि उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में वन विभाग की नीतियां हमारे लिए अनुकूल नहीं हैं, इसलिए हम भारत के किसी अन्य हिस्से में विस्तार करने की योजना बना रहे हैं।

प्र. क्या आप अन्य संबंधित मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस में भी उतरने की योजना पर काम कर रहे हैं?

हम आने वाले साल में हाई प्रेशर लैमिनेट्स बनाने की योजना बना रहे हैं।

प्र. गटानी इंडस्ट्रीज की ग्रोथ स्टोरी के बारे में संक्षेप में बताएं ?

हमने वर्ष 1991 में कोर-विनियर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के रूप में गटानी इंडस्ट्रीज की शुरुआत की और अप्रैल 1996 में प्लाइवुड मैन्युफैक्चरिंग शुरू करके इसका विस्तार किया। लेकिन दुर्भाग्य से, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिसंबर 1996 में लगाए गए प्रतिबंध के कारण, हमें वर्ष 2002 तक अपना काम बंद करना पड़ा। इन 6 वर्षों में प्लाइवुड उद्योग की पूरी श्रृंखला उत्तर पूर्व क्षेत्र में ढह गई और पूरे उत्तर पूर्वी बाजार पर भारत के अन्य राज्यों ने कब्जा कर लिया। प्रतिबंध वर्ष 2002 में हटा दिया गया तो हमने यूनिट को प्रति माह लगभग 100 टन की बिक्री के साथ फिर से शुरू किया क्योंकि सप्लायर और खरीदार की श्रृंखला टूट गई थी।

हमने धीरे-धीरे श्रृंखला को जोड़ने का काम किया और वर्तमान समय में 100 टन प्रति माह से बढ़ाकर 1600 टन प्रति माह कर लिया। हमारे पास अभी 175000 वर्ग फुट का मैन्युफैक्चरिंग स्पेस है, जिसमें एक विस्तृत उत्पाद रेंज जैसे प्लाइवुड, ब्लॉकबार्ड, फ्लश डोर, शटरिंग प्लाइवुड, मेम्ब्रेन डोर्स का उत्पादन किये जा रहे हैं।

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