उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में स्थित प्लाइवुड/लैमिनेट्स उद्योगों में बड़ी संख्या में कामगारों की वापसी देखी जा रही है। इन क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार इन औद्योगिक राज्यों और शहरों में 70 प्रतिशत तक प्रवासी मजदूर काम पर वापस आ गए हैं। चूंकि एक महीने से कोई रेल सेवा नहीं है, इसलिए प्रवासी मजदूर परिवहन की अपनी व्यवस्था या कारखानों द्वारा मिली सुविधा के माध्यम से लौट रहे हैं। उद्योग अपनी इकाइयों में पर्याप्त लेवर रखने की बात करते हैं, लेकिन कोविड के पहले के स्तर तक डिमांड अभी तक नहीं हुई है।
AIPMA के अध्यक्ष श्री नरेश तिवारी ने कहा कि प्लाइवुड फैक्ट्रियों में काम सुचारू रूप से चल रहा है क्योंकि फैक्ट्री मालिकों के अथक प्रयासों से 80 प्रतिशत मजदूर यूनिटों में लौट आए हैं और फैक्ट्री ऑपेरशन दो तिहाई तक पहुँच गया है। दिल्ली एनसीआर प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री विकास खन्ना ने कहा कि फैक्ट्री मालिकों के प्रयासों से मजदूर काम पर वापस आ गए हैं और सितम्बर तक सौ फीसदी श्रमिक वापस आ जाएंगे।
इसके विपरीत, केरल स्थित प्लाइवुड इकाइयां लेवर की उपलब्धता के लिए संघर्ष कर रही हैं। ।ज्ञच्ठड। के अध्यक्ष श्री एमएम मुजीब ने कहा कि हमारे पास मौजूदा समय में पर्याप्त ऑर्डर हैं लेकिन मजदूरों की भारी कमी के कारण उत्पादन करने में असमर्थ हैं। दरअसल, अन्य राज्य के आगंतुकों को राज्य सरकार की 14 दिनों की कोरेन्टीन करने की अनिवार्य राज्य-नीति के कारण लेवर प्रॉब्लम बढ़ गई है।
गुजरात स्थित प्लाइवुड और लैमिनेट्स मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी भी लेवर की कमी के कारण दिक्क्तें महसूस कर रही है। मुंबई, गुजरात और गांधीधाम रीजन से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, जरूरत का केवल आधे श्रमिक ही मौजूद हैं। सार्वजनिक परिवहन जैसे रेलवे और बसों की सीमित संचालन और आवाजाही पर प्रतिबंध के कारण, वर्कफोर्स की वापसी की व्यवस्था यूनिट मालिकों पर है जिसके चलते उनके आने की गति धीमी है। रिपोर्ट से पता चलता है कि जैसे ही सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सेवा शुरू होगी, मैन्युफैक्चरिंग सामान्य हो जाएगी।