असंगठित क्षेत्र की तुलना में संगठित ब्रांड का कामकाज बेहतर

Thursday, 27 August 2020

भारत में प्लाइवुड, फर्नीचर, डेकोरेटिव सरफेस इंडस्ट्री और व्यापार में असंगठित क्षेत्र के प्लेयर का वर्चस्व रहा है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद, बाजार ब्रांड और पॉलिसी संचालित कंपनियों की व्यवस्थित काम काज की दिशा में थोड़ा थोड़ा बदलना शुरू हो गया है। जैसा कि इस बड़े बदलाव में अब तेजी आ रही है, क्योंकि डीलर ऐसे ब्रांडों की ओर देख रहे हैं जिनमें मंदी से मुक्त रहने के लिए कुछ बिक्री हुई है। कोविड 19 के चलते स्पेसिफायर और ग्राहको में प्लाइवुड और डेकोरेटिव सेगमेंट के ब्रांडेड उत्पादों की पहुंच और स्वीकृति बढ़ी है। संगठित ब्रांडों ने असंगठित क्षेत्र से लगभग दो महीने पहले अपना काम काज शुरू कर दिया था, क्योंकि उनकी मानव संसाधन नीति के चलते श्रमिकों को ‘अनलॉक 1.0‘ के तुरंतबाद प्लांट में वापस बुलाने का काम शुरू कर दिया था। संगठित कंपनियों ने असंगठित की तुलना में तेजी से अपने पेमेंट भी प्राप्त किए, क्योंकि उनके लेनदेन ज्यादातर ऑनलाइन और डिजिटल ट्रांजेक्शन के माध्यम से हो रहे थे, इसलिए बिना फिजिकल लेनदेन के वे मटेरियल प्राप्त करने में सक्षम थे। आर्गनाइज्ड ब्रांड कोविड के चलते पैदा हुए अवसर और वैक्यूम का लाभ उठा रहे हैं और किफायती रेंज के उत्पाद लॉन्च कर रहे हैं। वे ग्रामीण और कुछ शहरी क्षेत्रों में अपने सेल्स नेटवर्क फिर से योजना बना रहे हैं।

एक तरफ जहां असंगठित क्षेत्र खर्चों में कटौती करने की कोशिश कर रहा था, संगठित ब्रांडों ने विज्ञापन और प्रचार शुरू कर दिया और अपने डीलर नेटवर्क और स्टॉक फुटप्रिंट्स का विस्तार किया, क्योंकि प्लाई रिपोर्टर टीम के अध्ययन में यह पाया गया कि उत्तर भारत, बिहार, एमपी, राजस्थान सहित पूरे उत्तर भारतीय राज्यों में ऐसा ही हो रहा है। हरियाणा, पंजाब और यहां तक कि दिल्ली-एनसीआर में भी स्थिति ऐसी ही है।

प्लाई रिपोर्टर के मार्केट सर्वे में स्पष्ट रूप से पाया गया कि कोविड‘ ने ऑर्गनाइज्ड ब्रांडों को बेहतर मौका दिया है जिससेउन्हें एक तिमाही के भीतर 3 से 4 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल करने में मदद मिली है। हालांकि आकड़ों में इसका प्रभाव 8 से 9 महीनों के बाद महसूस किया जाएगा, जब हमारे बाजार सामान्य स्थिति में वापस आ जाएंगे और आकड़े स्थिर हो जाएंगे।

प्र्लाइ  रिपा ेर्ट र क े रिसर्च  टीम द्वारा किए गए बाजार सर्व े  क े अन ुसार, अन्य की त ुलना म े ं ग ्रीन प्र्लाइ , स े ंच ुरी प्र्लाइ , ग ्रीनप ैनल, ड्य ूरा े, आर्कि ड प्र्लाइ  आ ैर ऑस्टिन प्र्लाइ  की स्वीकृति ब ेहतर ह ै। इका ेट ेक, स ैनिक प्लाइव ुड आ ैर अन्य मिड स ेगम े ंट ब ्रा ंड ेड प्रा ेडक्ट र े ंज का विस्तार ग ्रामीण इलाका े ं म े ं टियर 3 शहरा े ं तक हा े गया ह ै। यह भी द ेखा जा रहा ह ै कि विगवाम प्र्लाइ , ट ªा ेजन प्र्लाइ , अम ूल्या प्र्लाइ  आदि ज ैस े उभरत े ब ्रा ंड का ेविड प्रभावित बाजारा े ं म े ं भी ब ेहतर प्रदर्श न कर रह े ह ै ं। उभरत े ह ुए क ैलिब ्र ेट ेड प्लाइव ुड स ेगम े ंट र ेडीम ेड फर्नी चर निर्मा ताआ े ं क े लिए भी वरदान साबित हा े रहा ह ै क्या े ंकि स्थानीय उत्पादन उन्ह े ंचीन स े आयातित प्लाइव ुड पर अपनी निर्भ रता का े कम करन े में मदद कर रहा है।

जिन कंपनियों के पास कैलिब्रेटेड प्लाइवुड के लिए कम्प्लीट सेट अप, मार्केटिंग टूल और सेल्स टीम है, वे ओईएम और फर्नीचर निर्माताओं की बढ़ती रुचि के कारण व्यापक बाजार हासिल कर रहे है। इकोनॉमिकल पैनल की बढ़ती मांग के बावजूद मिड सेगमेंट के ऑर्गनाइज्ड प्लाइवुड ब्रांड की सेल्स रिकवरी तेज होरही है, जो लगभग फरवरी और मार्च में कोविड के पहले स्तर के आस पास पहुंच गई हैं। गौरतलब है कि उत्तर भारत और केरल से प्लाइवुड की 75 फीसदी आपूर्ति होती हैं, जो बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

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