फिप्पी व् इपमा ने किसानों के उगाए टिम्बर को कृषि उत्पाद मानने की मांग की

Thursday, 27 August 2020

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय को लिखे पत्र में फिप्पी ने दी फार्मर्स (एंडोमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एस्युरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस, 2020 के तहत किसानों के उगाए टिम्बर को ‘कृषि उत्पाद’ के रूप में पहचान करने की मांग की है। फिप्पी ने ध्यान आकर्षित किया है कि यद्यपि प्लाइवुड और पैनल उद्योग द्वारा खरीदी गई सभी लकड़ी किसानों की है जो कृषि वानिकी वृक्षारोपण वाले हैं, लेकिन धारा 2 उपधारा (क) के तहत कृषि उपज की परिभाषा में ऐसी लकड़ी का कोई उल्लेख नहीं है। किसानों की जमीन पर उगाई जाने वाली, ऐसी लकड़ी के लिए एक प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, जो बताती है कि इस तरह की लकड़ी की सोर्सिंग किसी वन मूल की नहीं है। इस तरह के प्रमाणपत्र बहुत महंगे हैं और इन प्रक्रियाओं को पूरा करना विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए व्यवहार्य नहीं है। भारतीय प्लाइवुड उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा का पता लगाने के लिए यह स्थिति किसानों और प्लाइवुड उद्योग, दोनों के लिए एक समस्या बन रही है।

माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के आलोक में राष्ट्रीय वन नीति 1988 के लागू होने के बाद प्लाइवुड और पैनल उद्योग, कच्चे माल के लिए पूरी तरह से एग्रो वुड पर स्थानांतरित हो गया है, ये अब जंगल और वन आधारित कच्चे माल का उपयोग नहीं करते हैं। इस संबंध में, फिप्पी इस तथ्य पर विचार करने का अनुरोध किया है कि एक किसान द्वारा अपनी कृषि भूमि में उगाए गए पेड़ को वन उपज कैसे माना जा सकता है? मामले पर स्थायी स्पष्टता लाने के लिए, कच्चे माल के प्रतिनिधित्व की इस अस्पष्टता को तुरंत हल करने की जरूरत है।

कृषि आधारित उद्योग के रूप में मान्यता के लाभ व परिणामः

  • भारत को अधिक निर्यात प्रतिस्पर्धी बनाकर निर्यात-आयात अंतर को खत्म करें।
  •  प्रतिष्ठित सेक्टर के संस्थानों के अंतर्राष्ट्रीय उत्कृष्टता के समर्थन के साथ उत्पाद विकास और इनोवेशन में भागीदारी बढ़ाने के लिए उद्योग को प्रेरित करना।
  • कृषि आधारित उद्योगों के रूप में पहचान आॅटोमेटिक सर्टिफिकेशन का रास्ता साफ करती है, जिससे सच्चाई उजागर होती है कि भारतीय उत्पाद सस्टेनबल ओरिजिन के हैं।
  • उत्पादन में वृद्धि से रोजगार बढ़ेगा क्योंकि क्षेत्र लेवर इंटेंसिव है।
  •  लकड़ी के संसाधन के विस्तार और आत्मनिर्भरता की दिशा में तत्काल काम।
  • बाजार की मांग में वृद्धि के साथ किसानों के हित में वृद्धि।
  • अधिक लकड़ी का उत्पादन यानी देश के लिए अधिक ग्रीन कवर यानी अधिक कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन।
  • प्लाइवुड उद्योग को संगठित क्षेत्र में लाना।

प्लाइवुड और पैनल उद्योग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि पोपलर, सफेदा, रबड़ (नकदी फसल अवशेष), सिल्वर ओक, मेलिया दुबिया, कदम आदि जो किसान खेती की तरह पोधा लगाते हैं, और ये लकड़ी की खेती ही इनकी आमदनी का जरिया है, साथ ही उद्योग के लिए ये लकड़ी एक मात्रा स्रोत है। प्रधानमंत्री मन्त्री आवास योजना और आत्मनिर्भर भारत के विजन (आत्मानिर्भर भारत मिशन) की घोषणा के बाद, इस क्षेत्र में निवेशकों द्वारा दिखाए गए सकारात्मकता के साथ लकड़ी की मांग तेजी से बढ़ रही है।

2016-2019 के बीच वुड बेस्ड इंडस्ट्री में 31,655 करोड़ का निर्यात-आयात अंतर देखा गया है, जो हमारे विदेशी मुद्रा संसाधनों की बड़ी हानि है। फार्मर्स (एंडोमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एस्युरेंस एंड फार्म सर्विस ऑर्डिनेंस, 2020 के\ अंतरर्गत ‘कृषि उपज‘ की परिभाषा के तहत कृषि-उपज लकड़ी जैसे पोपलर, सफेदा, मेलिया दुबिया को शामिल करना और कृषि वानिकी प्रजातियों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग सुविधा प्रदान करना निहित है। प्लाइवुड और पैनल सेक्टर के उद्योगों की जरूरतों के अनुसार कैसुरीना कदम, टोना, मैंगियम और ऐसी अन्य प्रजातियां (सिल्वर ओक, रबर वुड)।

कीमतों में उतार-चढ़ाव और मांग और आपूर्ति परिदृश्य को अध्यादेश के उद्देश्यों में निहित किसानों और उद्योगों के पारस्परिक लाभ के लिए प्रबंधित किया जा सकता है। फिप्पी के तकनीकी सलाहकार श्री सी एन पांडे ने यह भी बताया कि इस पत्र को विचार और कार्रवाई के लिए प्रधान मंत्री कार्यालय को भी भेजा गया है।

उधर ऑल इंडिया प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (।प्च्ड।) ने भी पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री को पत्र लिखा और अपनी मांग को समर्थन करने का आग्रह किया है। प्लाइवुड और पैनल उद्योग क्षेत्र के संबंध में, एक प्रस्तुति के अलावा कुछ महत्वपूर्ण इनपुट पर प्रकाश डाला है।

खेत में उगने वाली लकड़ी के संसाधनों को बढ़ावा देने, प्रोत्साहित करने और विस्तार करने के लिए और लकड़ी के संसाधनों, उद्योग और उसके संबद्ध संघों और संस्थानों को आत्मनिर्भर होने के लिए नई रणनीति और कार्य अपने दम पर लकड़ी की खपत को पूरा करने के लिए नई योजनाओं को क्रियान्वित के लिए, सरकार-उद्योग के साथ काम कर रहे हैं ।

कृषि-उपज लकड़ी को कृषि-उत्पाद के रूप में मानना, इस तरह प्लाइवुड और पैनल सेक्टर के उद्योगों कृषि-आधारित उद्योग के रूप में मान्यता देना, सभी सटाॅक होल्डर, विशेष रूप से किसानों को लाभान्वित करेंगे। यह उद्योग को आसान प्रमाणीकरण और मानकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे भारतीय प्लाइवुड और पैनल उद्योग क्षेत्र अधिक निर्यात प्रतिस्पर्धी बन जाएगा।

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