हरियाणा प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एचपीएमए) ने सफेदा और पोपलर पर बाजार समिति द्वारा २ फीसदी शुल्क की मांग के खिलाफ चिंता जताई है और अब वे इसके खिलाफ अदालत का रुख किया हैं। एचपीएमए के अध्यक्ष श्री जेके बिहानी ने कहा कि हमने एचएसएएम बोर्ड को लिखा था, लेकिन एक हफ्ते बाद भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है, इसलिए हम अदालत में जा रहे हैं, जैसा कि उन्हें सौंपे गए पत्र में हमने कहा था।
बोर्ड को लिखे पत्र में किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिनियम का हवाला दिया था और कहा था कि अगर राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देश का पालन नहीं किया तो एसोसिएशन उच्च न्यायालय का रुख करेगी। उल्लेखनीय है कि जून 2020 में केंद्रीय सरकार के अध्यादेश द्वारा कृषि उपज उत्पाद पर बाजार शुल्क समाप्त करने के बाद एसोसिएशन ने डीसी, यमुनानगर के समक्ष बाजार शुल्क में छूट देने का प्रतिनिधित्व किया था।
मार्केट कमेटी यमुनानगर ने एचपीएमए को एक आदेश जारी करते हुए सफेदा और पोपलर पर लकड़ी के व्यापारियों/ आढतियों से एड वैलेरम के आधार पर इन प्रजातियों पर मार्केट फी (२ फीसदी) की राशि मांग की। समिति ने एसोसिएशन को लिखा है कि मुख्य प्रशासक, एचएसएएम बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश में परिभाषित ‘‘किसान की उपज‘‘, 2020 में प्लांटेशन टिम्बर के रूप में यानी सफेदा और पोपलर जैसी कोई फॉरेस्टरी उत्पादन शामिल नहीं है।
एसोसिएशन ने वानिकी उत्पादन की इस व्याख्या पर अपना मतभेद जाहिर किया और इसे बताया थाः
1) सफेदा और पोपलर हरियाणा कृषि उपज बाजार (पंजाब)अधिनियम 1961 की निर्धारित सूची के तहत निर्दिष्ट किए गए हैं। इन उत्पादों को व्यापार क्षेत्र में बिक्री के लिए किसानों/व्यापारियों द्वारा उगाया और लाया जाता है। ये कृषि उपज हैं।
2) धारा 2 (जे) ‘‘अनुसूचित किसानों के उत्पादन‘‘ को परिभाषित करता है, जिसका अर्थ है कि विनियमन के लिए किसी भी राज्य एपीएमसी अधिनियम के तहत निर्दिष्ट कृषि उपज है।
३) अध्यादेश की धारा ६ (10/2020 ) किसी व्यापार क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य के लिए किसी भी शुल्क, उपकर या लेवी (जो एक अधिसूचित मंडी/बाजार की भौतिक दीवारों के बाहर का क्षेत्र है) के शुल्क से ‘‘अनुसूचित किसानों की उपज‘‘ को छूट देता है।
और संघ का तर्क यह है कि अध्यादेश के प्रावधानों के बारे में कोई अस्पष्टता नहीं है। कोई अन्य दृष्टिकोण मनमाना है और अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार नहीं है। इसलिए, उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के मद्देनजर बाजार शुल्क लागू नहीं है।
प्लाइवुड उद्योग लंबे समय से मार्केट फी से राहत का इंतजार कर रहा था और अतीत में कई बार उन्होंने इसे हटाने का तर्क दिया था। हाल ही में, हरियाणा सरकार के वन मंत्री श्री कवरपाल गुर्जर ने स्थानीय विधायक श्री घनश्याम दास अरोड़ा (यमुनानगर) की मौजूदगी में एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मंडी कर को खत्म करने की मांग की थी। फिर उन्होंने बाद में इस मामले को सीएम के समक्ष रखा, लेकिन सीएम ने स्पष्ट किया था कि लेनदेन किए गए सामान का लेखा जोखा रखना चाहिए, 2 फीसदी टैक्स ज्यादा नहीं है इसलिए यह जारी रहेगा।