थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात पर अंतरिम एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाए जाने के बाद फेनाॅल की कीमतें कथित रूप से बढ़ी हैं। भारतीय लेमिनेट और वुड पैनल उद्योग, जो फेनाॅल का मुख्य उपयोगकर्ताओं को डर है कि आने वाले महीने में फेनाॅल की कीमत और बढ़ जाएगी, जो भारत में लेमिनेट और प्लाइवुड की इनपुट कॉस्ट को प्रभावित करेगा।
सरकार ने थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत में ‘‘ फेनाॅल‘ के आयात पर अंतरिम एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है। डीजीटीआर ने कहा है कि एंटी डंपिंग उपायों को लागू करने से किसी भी तरह से उन देशों से आयात प्रतिबंधित नहीं होगा, इसलिए, यह उपभोक्ताओं को उत्पाद की उपलब्धता को प्रभावित नहीं करेगा।
डीजीटीआर ने घरेलू उद्योग, निर्यातक, आयातक और अन्य इच्छुक पक्ष की राय मांगी है, जो इन प्राइमरी फाइंडिंग के प्रकाशन की तारीख से तीस दिनों के भीतर अपने विचारों से अवगत करा सकते हैं। ज्ञातब्य है कि दीपक फेनोलिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान ऑर्गेनिक्स केमिकल्स लिमिटेड और एसआई ग्रुप इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने थाईलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) से ‘‘फेनाॅल‘‘ के आयात पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने के लिए नामित प्राधिकरण के समक्ष एक आवेदन किया है।
इस पर टिप्पणी करते हुए, श्री जेएल अहूजा, संयोजक,सीओपीयुआई (कॉपोई) ने प्लाई रिपोर्टर से कहा कि प्राइमरी फाइंडिंग और निष्कर्षों के आधार पर डीजीटीआर द्वारा एंटीडम्पिंग ड्यूटी प्रस्तावित है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एंटीडंपिंग ड्यूटी की प्रस्तावित मात्रा बहुत बड़ी, अप्रत्याशित और अभूतपूर्व है। उन्होंने थाईलैंड से लगभग 989 डॉलर की कीमत रखी है, जहां भारत में आयात पर अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 560 डॉलर है। इसलिए, अब इसके आधार पर, जो अंतर है वह डंपिंग ड्यूटी के रूप में जाएगा, मैं इसे डंपिंग मार्जिन कहता हूं।
श्री अहूजा ने आरोप लगाया कि यह एक मोनोपोलिस्टिक निर्माता 1दीपक फेनोलिक्स को बढ़ावा देगा, जो सरकार से अनुचित फायदा लेने की कोशिश कर रहा है। पहले वे फेनाॅल के आयात पर प्रतिबंध लगाना चाहता थे, जो देश के लिए प्रमुख स्रोत है। अब, एंटीडम्पिंग नियम लाया गया है और विभाग जल्दबाजी में काम कर रहा है। उन्होंने कोविड में उद्योग जिस कठिन दौर से गुजर रहा है उसी के प्रतिनिधित्व की परवाह नहीं की। इलमा इस अनुचित कदम को पर कानूनी कार्रवाई करने का विचार कर रहा है। श्री अहूजा कहते हैं कि मुझे यकीन है कि इस पहल से कीमतें बढ़ेंगी, जिसके लिए हमने सरकार के विभिन्न मंचों पर व्यक्त भी किया है और यह भी कहा है कि एंटी डम्पिंग सहित सभी सुरक्षा उपायों का विचार एक बड़ा लाभ कमाने के लिए कुछ सुरक्षा की तलाश करना है। दुर्भाग्य से जब उन्होंने अपना उत्पादन शुरू किया था उस समय पीरियड ऑफ इंज्युरी लगभग छह महीने ली थी, और उस समय कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक थीं।
श्री अहूजा ने कहा कि अब वे प्रावधानों का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं और अब मेक इन इंडिया’ और अन्य योजनाओं जैसे आत्मनिर्भर भारत का संरक्षण लिए हैं। यह डाउनस्ट्रीम उद्योग के लिए उचित नहीं है। लेमिनेट निर्माता जो लगभग 300 छोटे और मध्यम सूक्ष्म उद्योग हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं इसके हित को नहीं देखा गया है। यह देश के नीचले हिस्से को बड़े पैमाने पर रोजगार दे रहा है। इस पहलू पर कोई विचार नहीं किया गया, क्योंकि फेनाॅल के घरेलू उद्योग स्पष्ट रूप से केवल अपना फायदा देखते हैं और यह सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा के माध्यम से हासिल किया गया है ।
फिप्पी के अध्यक्ष श्री सज्जन भजंका ने इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार को एक पत्र भेजा है, और कहा कि डीजीटीआर ने उनके सक्रिय मार्गदर्शन में आयातित फेनाॅल पर अतंरिम एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश की है। फिप्पी ने गलत प्रावधानों को हटाने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए अपने नोटिस में कई विन्दुओं पर ध्यान दिलाना जरूरी माना है ताकि डीजीटीआर की संस्तुत सिफारिश पर 942 डॉलर के सीआईएफ के आयात मूल्य को नॉन इंज्युरी के रूप में लिया जाए।
फिप्पी ने दावा किया कि डीजीटीआर और उसकी टीम ने अपनी चिंता और जल्दबाजी में दीपक फेनोलिक को फायदा पहुंचने के लिए संबंधित निर्यात डेटा को देखना भूल गए, जो 550 से 760 डालर प्रति मीट्रिक टन तक है, जिनमें से ज्यादातर साऊथ ईस्ट एशिया को निर्यात किया जाता है और वहीं से थाईलैंड निर्यातक भी है। फिप्पी का कहना है कि एक तरफ फेनाॅल के एक बड़े निर्माता दीपक का हित है और दूसरी ओर एग्रो-फॉरेस्ट्री से जुड़े 2 मिलियन किसानों सहित कम से कम 3 मिलियन लोगों का हित है।
फिप्पी ने आरोप लगाया कि एफजीटीआर द्वारा की गई इस सिफारिश का प्रभाव यह है कि यह किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के बिना किसी पसंदीदा कंपनी की जेबों में बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों और व्यक्तियों की निजी संपत्ति को स्थानांतरित करता है। प्रस्तावित एंटी-डंपिंग ड्यूटी, यूजर्स फैक्ट्रियों की संरचना को गिरना है जो पहले से ही महामारी के बाद लॉकडाउन के चलते मुश्किल में हैं। उपभोक्ता उद्योगों को किसी भी सार्थक समर्थन देने के बजाय, एंटी डंपिंग ड्यूटी की विशालता का अंतिम संस्कार करने जैसा है। फिप्पी ने सरकार से आग्रह किया है कि एक ओर सिफारिश को निलंबित करे और डीजीटीआर और डीसीपीसी जैसे अन्य विभागों के झूठे आंकड़ों के फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दे और एडीसी 193-198 के तहत गिरफ्तारी कर उन्हें दंडित करे।में काम कर रहा है। उन्होंने कोविड में उद्योग जिस कठिन दौर से गुजर रहा है उसी के प्रतिनिधित्व की परवाह नहीं की। इलमा इस अनुचित कदम को पर कानूनी कार्रवाई करने का विचार कर रहा है।
श्री अहूजा कहते हैं कि मुझे यकीन है कि इस पहल से कीमतें बढ़ेंगी, जिसके लिए हमने सरकार के विभिन्न मंचों पर व्यक्त भी किया है और यह भी कहा है कि एंटी डम्पिंग सहित सभी सुरक्षा उपायों का विचार एक बड़ा लाभ कमाने के लिए कुछ सुरक्षा की तलाश करना है। दुर्भाग्य से जब उन्होंने अपना उत्पादन शुरू किया था उस समय पीरियड ऑफ इंज्युरी लगभग छह महीने ली थी, और उस समय कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत अधिक थीं।
श्री अहूजा ने कहा कि अब वे प्रावधानों का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं और अब मेक इन इंडिया’ और अन्य योजनाओं जैसे आत्मनिर्भर भारत का संरक्षण लिए हैं। यह डाउनस्ट्रीम उद्योग के लिए उचित नहीं है। लेमिनेट निर्माता जो लगभग 300 छोटे और मध्यम सूक्ष्म उद्योग हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं इसके हित को नहीं देखा गया है। यह देश के नीचले हिस्से को बड़े पैमाने पर रोजगार दे रहा है। इस पहलू पर कोई विचार नहीं किया गया, क्योंकि फेनाॅल के घरेलू उद्योग स्पष्ट रूप से केवल अपना फायदा देखते हैं और यह सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा के माध्यम से हासिल किया गया है ।
फिप्पी के अध्यक्ष श्री सज्जन भजंका ने इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार को एक पत्र भेजा है, और कहा किडीजीटीआर ने उनके सक्रिय मार्गदर्शन में आयातित फेनाॅल पर अतंरिम एंटी-डंपिंग ड्यूटी की सिफारिश की है। फिप्पी ने गलत प्रावधानों को हटाने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए अपने नोटिस में कई विन्दुओं पर ध्यान दिलाना जरूरी माना है ताकि डीजीटीआर की संस्तुत सिफारिश पर 942 डॉलर के सीआईएफ के आयात मूल्य को नॉन इंज्युरी के रूप में लिया जाए।
फिप्पी ने दावा किया कि डीजीटीआर और उसकी टीम ने अपनी चिंता और जल्दबाजी में दीपक फेनोलिक को फायदा पहुंचने के लिएसंबंधित निर्यात डेटा को देखना भूल गए, जो 550 से 760 डालर प्रति मीट्रिक टन तक है, जिनमें से ज्यादातर साऊथ ईस्ट एशिया को निर्यात किया जाता है और वहीं से थाईलैंड निर्यातक भी है। फिप्पी का कहना है कि एक तरफ फेनाॅल के एक बड़े निर्माता दीपक का हित है और दूसरी ओर एग्रो-फॉरेस्ट्री से जुड़े 2 मिलियन किसानों सहित कम से कम 3 मिलियन लोगों का हित है।
फिप्पी ने आरोप लगाया कि एफजीटीआर द्वारा की गई इस सिफारिश का प्रभाव यह है कि यह किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य के बिना किसी पसंदीदा कंपनी की जेबों में बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों और व्यक्तियों की निजी संपत्ति को स्थानांतरित करता है। प्रस्तावित एंटी-डंपिंग ड्यूटी, यूजर्स फैक्ट्रियों की संरचना को गिरना है जो पहले से ही महामारी के बाद लॉकडाउन के चलते मुश्किल में हैं। उपभोक्ता उद्योगों को किसी भी सार्थक समर्थन देने के बजाय, एंटी डंपिंग ड्यूटी की विशालता का अंतिम संस्कार करने जैसा है।
फिप्पी ने सरकार से आग्रह किया है कि एक ओर सिफारिश को निलंबित करे और डीजीटीआर और डीसीपीसी जैसे अन्य विभागों के झूठे आंकड़ों के फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दे और एडीसी 193-198 के तहत गिरफ्तारी कर उन्हें दंडित करे।