एग्रोवुड सेक्टर के ग्रोथ में लाइसेंस राज सबसे बड़ी बाधा
फर्नीचर लोगों की चैथी मूलभूत आवश्यकता है, इसीलिए भारत फर्नीचर का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। अभी यह आवश्यकता कई देशों से भारी आयात से पूरी होती है, और इसमें सबसे आगे चीन है। प्रधानमंत्री द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत‘ बनाने की घोषणा के बाद, सरकार ने कई क्षेत्रों की पहचान की है, जिन्हें भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्राथमिकता में रखा गया है और, फर्नीचर सेक्टर उनमें से एक है, जहाँ भारत सरकार सहयोग देने पर विचार कर रही है ताकि भारत सबसे बड़ा फर्नीचर निर्माता और निर्यातक बन सके। इस सपने को गति देने के लिए, सरकार को यह समझना चाहिए कि फर्नीचर सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, कच्चे माल, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास के साथ इसके पूरे इको-सिस्टम को बराबर सहयोग देने की आवश्यकता है। फर्नीचर बनाने में कच्चे माल की महत्वपूर्ण भुमिका होती है, इसलिए वुड पैनल उत्पादों जैसे कि प्लाइवुड, एमडीएफ, पार्टिकल बोर्ड, लैमिनेट्स आदि का विकास भी ध्यान में होनी चाहिए और इसलिए सरकार को भारत में एग्री-वुड और प्लांटेशन टिम्बर को बढ़ावा देने की जरूरत है।
सरकार यह समझती भी है कि वुड पैनल सेक्टर का समर्थन किए बिना, सिर्फ फर्नीचर सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने का दृष्टिकोण, केवल सपना ही रहेगा और वुड पैनल उद्योग एग्रो टिम्बर के समर्थन के बिना विकसित नहीं हो सकता। इंडियन वुड पैनल और प्लाइवुड सेक्टर भारत सरकार से मांग कर रहा है कि एग्रो वुड को फार्म प्रोड्यूस ’घोषित किया जाए और भारत में इस सेक्टर के लिए लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया जाए, जो वुड पैनल सेक्टर के विकास में बाधक है।
सरकार यह समझती भी है कि वुड पैनल सेक्टर का समर्थन किए बिना, सिर्फ फर्नीचर सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने का दृष्टिकोण, केवल सपना ही रहेगा और वुड पैनल उद्योग एग्रो टिम्बर के समर्थन के बिना विकसित नहीं हो सकता। इंडियन वुड पैनल और प्लाइवुड सेक्टर भारत सरकार से मांग कर रहा है कि एग्रो वुड को फार्म प्रोड्यूस घोषित किया जाए और भारत में इस सेक्टर के लिए लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया जाए, जो वुड पैनल सेक्टर के विकास में बाधक है।
हालांकि एक बड़ा वर्ग पहले से ही भीड़भाड़ वाले सेगमेंट में होने के कारण इसका समर्थन नहीं करता है, जहां मार्जिन बनाना बहुत कठिन हो गया है, लेकिन वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का मानना है कि, यदि कृषि वानिकी प्रतिबंध मुक्त हो जाएंगे तो सभी का विकास होगा, क्योंकि भारतीय वुड पैनल सेक्टर पूरी तरह से प्लांटेशन टिम्बर पर निर्भर है, जिसे किसानों द्वारा उनकी ही जमीन पर उगाई जाती है। यह पर्यावरण कोनुकसान नहीं पहुंचाता है, बल्कि पर्यावरण का सहायक है और फारेस्ट वुड को बचाता है। यह किसानों की आमदनी बढ़ने में मदद करेगा और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को इससे फायदा होगा। इसके लिए वन विभाग की भूमिका को समाप्त कर कानून में संशोधन करना चाहिए।
साथ खड़े होकर सरकार से सहयोग की मांग करने से पहले इस विषय पर वुड पैनल इंडस्ट्री से जुड़े सभी एसोसिएशन के विभिन्न निकायों से स्पष्टता की आवश्यकता है। वुड पैनल सेक्टर लाखों लोगों को नौकरियां प्रदान करता है, किसान की आय को बढ़ाने में मदद करता है, और पर्यावरण को बचाता है, यह फर्नीचर सेक्टर के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और आखिरकार, पीएम के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को पूरा करता है। इस पर चर्चा होनी चाहिए और सरकार से हर संभव सहयोग की मांग करने की जरूरत है ।
यह अगस्त अंक वुड और डेकोरेटिव पैनल सेक्टर के उद्योग के सभी स्टेकहोल्डर के लिए बहुत सारी जानकारियों और ज्ञान को लाने का सफल प्रयास है। इस अंक में डेकोरेटिव लेमिनेट इंडस्ट्री, फेस विनियर, एसीपी, डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड, प्लाइवुड, फेनाॅल, टिम्बर इत्यादि पर कई रोचक और जानकारी से भरे रिपोर्ट प्रकाशित हंै। भारतीय एचडीएफ फ्लोरिंग इंडस्ट्री आत्मनिर्भर भारत का सपना कैसे पूरा कर सकता है? पर फीचर ’पढ़ने लायक है। आइका लेमिनेट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री जे एल अहूजा का साक्षात्कार भी प्रकाशित हुआ है। प्लाई रिपोर्टर उद्योग और व्यापार के लिए समाचार, विश्लेषण, साक्षात्कार तथ्य और आंकड़े के साथ पेश करने के लिए अथक प्रयास किया गया है और इसे एक संगठित क्षेत्र बनाने के लिए काफी प्रयास जारी है।
पढ़ते रहें, बढ़ते रहें।