भारतीय पीवीसी बोर्ड उत्पादक कच्चे माल की कीमतें बढ़ने से घुटन महसूस कर रहे है। वे रेजिन और अन्य केमिकल की ऊंची कीमतों को लेकर काफी संघर्ष भी कर रहे हैं। अभी तक, पिछले 3 महीनों मेंभारतीय पीवीसी फोम बोर्ड की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है, जिसके चलते आयातित बोर्ड को व्यापक रूप से अपना पैर पसारने और सस्ते डंपिंग के दायरे को बढ़ाने का मौका मिल गया है।
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, चाइनीज पीवीसी फोम बोर्ड की कीमतों में इतनी तेजी नहीं है, जितनी कि भारत में, इसलिए वे वर्तमान परिदृश्य का फायदा उठा रहे हैं। खतरे को भांपते हुए भारतीय डब्ल्यूपीसी और पीवीसी फोम बोर्ड उद्योग, घरेलू उद्योग को बचाने के लिए पीवीसी बोर्ड के आयात पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की वकालत कर रहे हैं। एलस्टोन के निदेशक श्री पवन गर्ग कहते हैं कि कीमतों में बढ़ोतरी और दिन-प्रतिदिन बढ़ती माँग के कारण हम सभी के लिए यह कठिन समय है। इसलिए, इस समस्या को दूर करने के लिए, हम सभी ने एंटी डंपिंग ड्यूटी के लिए क्ळथ्ज् से इस मामले बात करने का फैसला किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत चीन से भारी मात्रा में सस्ते पीवीसी बोर्डm का आयात करता है, जिसका असर पोर्ट क्षेत्र के पास स्थित बोर्ड के उत्पादकों जैसे चेन्नई, केरल, मुंबई आदि पर ज्यादा पड़ा है। प्लाई रिपोर्टर से बात करते हुए, उद्योग के लोगों का कहना है कि आयातित पीवीसी बोर्ड की लगभग 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी पहले से ही है और कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण यह तेजी से बढ़ रहा है। यदि सस्ते डंपिंग को लेकर कुछ उपाय नहीं किए गए तो आयात की हिस्सेदारी और बढ़ जाएगी। आजकल पीवीसी रेजिन की कीमतों में १०० फीसदी बढ़ी हुई है, कीमतें लगभग दोगुना है जिसने भारतीय उत्पादकों को आयातकों के विपरीत कीमतें बढ़ने के लिए मजबूर किया है।
भारतीय डब्ल्यूपीसी और पीवीसी बोर्ड उद्योग भारत में लगभग 130 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के साथ लगातार बढ़ा रहा है। इस सेगमेंट में एसीपी के कई प्लेयर्स जैसे एल्सटोन, अलूटफ, ब्लैक कोबरा आदि के अलावा अग्रणी प्लाइवुड ब्रांड जैसे ग्रीनप्लाई, सेंचुरी प्लाई, ऑस्टिन, अमूल्या इत्यादि ने प्रवेश किया है।