क्या क्राफ्ट पेपर के चलते फिर बढ़ सकती है एचपीएल की कीमतें?

person access_time3 08 January 2021

लेमिनेट बनाने वाली कंपनियां बहुत अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है जहां बढ़ते इनपुट कॉस्ट वास्तव में व्यावहारिक स्वीकृति स्तर से परे जा चुकी है। आपूर्ति में व्यवधान और अंतर्राष्ट्रीय माल धुलाई की बढ़ती दरों के कारण क्राफ्ट पेपर, मेलामाइन और अन्य कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से एचपीएल उद्योग पर अत्यधिक दबाव हैं। क्राफ्ट पेपर की कीमतों में 45 दिनों से भी कम समय में 33 फीसदी से अधिक उछाल के साथ एक गंभीर मुद्दा बन गया है। अचानक बढे इस कीमत को पेपर बनाने वाली कम्पनियांे उचित ठहरा रही है, लेकिन यूजर इंडस्ट्री प्लेयर अचानक रेट बढ़ने से आहत हंै। यह सर्व विदित है कि क्राफ्ट पेपर लैमिनेट मैन्युफैक्चरिंग के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है।

प्लाई रिपोर्टर ने इस विषय पर सभी के विचारों को कवर करने की कोशिश की है। कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण दुनिया भर में बेस्ट पेपर की आपूर्ति अनियमित और बाधित है। दूसरी ओर, जनवरी 2021 से बेस्ट पेपर के आयात पर चीन द्वारा प्रतिबंध लगाने से चीन को अपना निर्यात बढ़ाने के कारण भारतीय क्राफ्ट पेपर बाजार भी काफी प्रभावित है। उल्लेखनीय है कि चीन ने अपनी घरेलू जरूरतों के लिए बेस्ट पेपर को लुगदी में बदलने के लिए अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में इकाइयां स्थापित की हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में घरेलू और आयातित बेस्ट पेपर की कीमतों में कुछ महीनों में 4,500-5,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है।

क्राफ्ट पेपर का उपयोग लेमिनेट उद्योग में यूनिफार्म थिकनेस और हाई वेट स्ट्रेंथ के लिए निचली परत के ओब्सर्वेन्ट बेस पेपर के रूप में किया जाता है। अच्छा टेंसाइल स्ट्रेंथ हासिल करने के लिए फिल्म फेस शटरिंग प्लाइवुड बनाने में शटरिंग बेस पेपर के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। क्राफ्ट पेपर इसके लेमिनेट बनाने के लिए उपयुक्त बनाता है जो मुख्य रूप से कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में शटरिंग अप्लीकेशन के लिए उपयोग किया जाता है।

Kraft Paper Pain

कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरिंग, क्राफ्ट पेपर पर पूर्ण से निर्भर उद्योग है। यह क्षेत्र क्राफ्ट पेपर के मूल्य वृद्धि से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, वास्तव में प्रभाव इतना गहरा है कि कोरोगेटेड बॉक्स मैन्युफैक्चरिंग उद्योग ने दिसंबर 2020 के दूसरे सप्ताह में 3 दिनों के लिए ऑपरेशन शटडाउन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में क्राफ्ट पेपर की कीमत में 30-35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पेपर मिलें उस समय चीन को सामग्री निर्यात कर रही हैं, जब घरेलू मांगें पूरी नहीं हो रही।

इंडस्ट्री प्लेयर और पेपर इम्पोर्टर की राय है, कि लॉकडाउन के चलते बेस्ट पेपर का पैदा होना और इसक कलेक्शन काफी प्रभावित हुआ है। उसी समय, भारतीय पेपर मिल्स और आयातक लॉकडाउन के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयात नहीं कर सके, जिसके परिणामस्वरूप कम इन्वेंट्री और उपलब्धता में कमी आई। दूसरी ओर डिजिटल काम काज के बढ़ते प्रभाव से पब्लिशिंग इंडस्ट्री की स्थिति बहुत खराब होने के कारण घरेलू स्तर पर बेस्ट पेपर की उपलब्धता में भी कई बध़्ााएं है। कार्यालयों और शिक्षा के क्षेत्रों में बढ़ते डिजिटल ऑपरेशन से भी बेस्ट पेपर कम निकल रहे है जो क्राफ्ट सेगमेंट के लिए चुनौती पैदा कर रहा है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने अदालत के काम काज  के लिए कागज के दोनों ओर छपाई की अनुमति दे दी है, जो देश में बेस्ट पेपर की उपलब्धता के लिए एक बड़ा झटका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप कम से कम 24 मिलियन शीट ।4 पेपर की बचत हो रही है जिससे कम से कम 1.10 लाख किलोग्राम बेस्ट पेपर की कमी होगी।

आकाश दीप पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, डीके मित्तल कहते हैं, आयातित बेस्ट पेपर (क्राफ्ट पेपर के लिए मुख्य कच्चा माल ) की उपलब्धता अत्यधिक बाधित है और जो कुछ भी घरेलू स्तर पर उपलब्ध है, उसकी कीमत काफी अधिक है। इसका प्रभाव लेमिनेट और शटरिंग प्लाइवुड उद्योग को भी पड़ कर रहा है। आयात में कमी का मुख्य कारण कुछ यूरोपीय देशों में दूसरा लॉकडाउन लगना भी है। दूसरी ओर, देश भर में बच्चों के ऑनलाइन क्लासेस और कार्यालय की गतिविधियों के कारण पब्लिशिंग इंडस्ट्री में काम की अनुपलब्धता से ये वाइट पेपर यूजर इंडस्ट्री (पुस्तक प्रकाशन, नोट बुक मैन्युफैक्चरर्स) क्राफ्ट पेपर के काम में आ गए है, इसलिए बेस्ट पेपर की कमी के साथ क्राफ्ट पेपर की मांग में कई गुना वृद्धि हुई है। प्रकाशन उद्योग के काम में बाधा के कारण बेस्ट पेपर की स्थानीय उपलब्धता भी कम हो गई है। इन सभी कारकों से कीमत आसमान छू रही है। उम्मीद है कि एक या दो महीने में देश के स्कूलों के खुलने के साथ स्थिति सामान्य हो जाएगी और देश में बेस्ट पेपर का आयात भी सुचारू रूप से होने लगेगा।

एसआरके पेपर ट्रेडर्स के अर्चित जैन (नैनी क्राफ्ट पेपर्स के एकमात्र वितरक) कहते है आयात बड़े अवरोध पैदा कर रहे हैं और क्राफ्ट पेपर की स्थानीय उपलब्धता कम है यही कारण है कि लेमिनेट निर्माताओं का इनपुट कॉस्ट बढ़ने की शिकायतें वास्तविक हैं। इसके अलावा एचपीएल कंपनियों ने लेमिनेट्स की अपनी मजबूत मांग के अनुसार ज्यादा वॉल्यूम की मांग कर रही हंै लेकिन यह अचानक आया है। क्राफ्ट पेपर के अलावा कच्चे माल के रूप में लेमिनेट के लिए कोई और विकल्प नहीं है इसलिए निर्माताओं को वर्तमान कीमतों पर खरीदना ही होगा। हम इस मूल्य वृद्धि से प्रभावित नहीं हैं क्योंकि हम । ’ग्रेड ओब्सर्वेन्ट क्राफ्ट पेपर में हैं जो वर्जिन पल्प से बनाया जाता है। आयात में दिक्क्तों के कारण रिसाइकिल्ड बेस्ट पेपर की उपलब्धता कम है। अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक में भी कंटेनर की उपलब्धता बहुत सीमित है जो घरेलू क्राफ्ट पेपर इंडस्ट्री को प्रभावित कर रही है। हमें उम्मीद है कि अगले साल मार्च-अप्रैल तक यह सामान्य हो जाएगा।

स्टार लैमिनेट्स और स्टार पेपर के निदेशक अश्वनी अग्रवाल, कहते हैं क्राफ्ट पेपर के आयातकों ने कुछ महीने पहले तक अपने आयात को रोक रखा था, लेकिन अब बढ़ती मांग के साथ आयातकर्ता सक्रिय हैं। कंटेनरों की भारी कमी है, इसीलिएn भारत में बेस पेपर की आपूर्ति कम हो रही है। आयात में बाधा के कारण क्राफ्ट पेपर और केमिकल की कीमत में काफी वृद्धि हुई है। उम्मीद है कि यह दिक्कत 21 मार्च तक खत्म हो जाएगा। अभी लैमिनेट उद्योग में 20 दिनों से अधिक समय के पेंडिंग आर्डर के साथ उत्पादन जारी है और निर्माता अनिच्छा से ऊंची कीमत पर कच्चा माल खरीद रहे हैं।

इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक क्राफ्ट पेपर की कीमतें बढ़ने से लेमिनेट बेस पेपर की कीमत में 15 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। डेकोर पेपर सप्लायर कंपनियां यह कह रही है कि इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव ने बेस पेपर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियोंको कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर किया। केमिकल, डेकोर और  क्राफ्ट पेपर में हालिया मूल्य वृद्धि से भारतीय लेमिनेट उद्योग, विशेष रूप से असंगठित और नए प्लेयर्स जो न्यूनतम मार्जिन पर काम कर रहे हैं उनके लिए एक परीक्षा की घडी है। मार्च 2020 में आयातित बेस पेपर की कीमतें 10 प्रतिशत तक बढ़ गई थीं, क्योंकि टाइटेनियम डाइऑक्साइड (ज्पव्2), जो बेस पेपर मैनुफैक्चरिंग के लिए प्रमुख कच्चा माल है, की कीमत बढ़ी थी।

इंडस्ट्री प्लेयर और पेपर इम्पोर्टर की राय है, कि लॉकडाउन के चलते बेस्ट पेपर का पैदा होना और इसक कलेक्शन काफी प्रभावित हुआ है। उसी समय, भारतीय पेपर मिल्स और आयातक लॉकडाउन के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयात नहीं कर सके, जिसके परिणामस्वरूप कम इन्वेंट्री और उपलब्धता में कमी आई। दूसरी ओर डिजिटल काम काज के बढ़ते प्रभाव से पब्लिशिंग इंडस्ट्री की स्थिति बहुत खराब होने के कारण घरेलू स्तर पर बेस्ट पेपर की उपलब्धता में भी कई बध़्ााएं है। कार्यालयों और शिक्षा के क्षेत्रों में बढ़ते डिजिटल ऑपरेशन से भी बेस्ट पेपर कम निकल रहे है जो क्राफ्ट सेगमेंट में अराजकता पैदा कर रहा है।

कई एचपीएल निर्माता हैं जो वर्ष 2020 की शुरुआत में अपनी कीमतों में वृद्धि करने में कामयाब रहे थे अब नवंबर के महीने में, क्राफ्ट पेपर और मेलमाइन के चलते एचपीएल की कीमते बढ़ाने की मांग कर रहे है। दिसंबर की शुरुआत तक, डेकोरेटिव लेमिनेट की कीमत में 20 रुपये से 50 रुपये प्रति शीट की वृद्धि हुई है, लेकिन कई कंपनियां क्राफ्ट पेपर की अविश्वसनीय कीमतों की शिकायत कर रही हैं और फिर से लेमिनेट की कीमतें बढ़ने की मांग कर रही हैं।

रिसाइकिल्ड पेपर में 30 से 35 फीसदी के उछाल का मतलब है क्राफ्ट पेपर में 15 फीसदी की महत्वपूर्ण इनपुट कॉस्ट में वृद्धि । ऐसे तर्क थे जो आंशिक रूप से उचित थे, लेकिन एचपीएल निर्माता इसे सिर्फ लाइनर्स और 0.8 मिमी केटेगरी के लिए 24 रुपये प्रति शीट के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इन प्रभावों में मेलामाइन या अन्य कच्चे माल की बढ़ी हुई इनपुट कॉस्ट शामिलनहीं है, यही वजह है कि क्राफ्ट पेपर की कीमतें नवंबर से एचपीएल कंपनियों के लिए एक सिरदर्द बन गया है। यदि स्थिति जनवरी तक जारी रहती है, तो  विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के लेमिनेट उत्पादकों द्वारा एक और मूल्य वृद्धि की मांग होगी।

 

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