सितंबर और अक्टूबर के दौरान, दो महीनों में, बाजार में मांग इतनी तेजी से और अचानक बढ़ी कि किसी ने वास्तव में कोविड के लाॅकडाउन के दौरान इसकी कल्पना नहीं की थी। इस समय न केवल प्लाइवुड, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड, बल्कि टाइल, पेंट, बिजली की फिटिंग, स्टील और सीमेंट के अलावा पाइपिंग सहित बिडलिंग मेटेरियल से संबंधित अन्य उत्पादों के सभी रेंज में मांग में तेज उछाल देखी गयी। आश्चर्यजनक रूप से नाॅन बिल्डिंग मेटेरियल केटेगरी के कई उपभोक्ता वस्तुओं में यह ट्रेंड नहीं देखा गया।
प्लाई रिपोर्टर ने उत्सुकता के साथ सर्वे के माध्यम से अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में काफी जानकारी एकत्र की। टीम ने कोविड के बाद उपभोक्ता के व्यवहार और संबंधित उत्पादों की मांग पर ध्यान केंद्रित किया। कई कंपनी के मालिकों और व्यपारियों से पूछा गया कि अचानक मांग में क्यों बढ़ोतरी हुई और वास्तव में कहाँ से माँग आ रही है?
टीम प्लाई रिपोर्टर के निरंतर प्रयासों से देश भर के इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ नियमित रूप से बातें हो रही है, जिसमें व्यापारी, होलसेल, ठेकेदार, कारपेंटर, फर्नीचर निर्माता और साथ ही बड़े उपभोक्ता जैसे बिल्डर सेगमेंट और सीएफओ के अलावा खुदरा दुकानों पर रैंडम वॉक-इन कस्टमर भी शामिल हैं। डिमांड फ्लो और इम्पटी सप्लाई नेटवर्क के अध्ययन के बाद प्लाई रिपोर्टर को यह स्पष्ट है कि यह पेन्टअप डिमांड है। इस सर्वे का सैंपल साइज हजारों में था।
कोविड के चलते जीवन शैली में बदलाव
एक बात स्पष्ट थी कि, अगस्त से अक्टूबर के दौरान मांग काफी हद तक उन उपभोक्ताओं से आ रही थी जिन्होनें लॉकडाउन से पहले अपने काम शुरू किये थे या कोविड के बाद नई जरूरते पैदा होने के साथ अपने घरों का रेनोवेशन का काम शुरू करा दिया था। बदलती परिस्थितियों ने ग्राहकों और कंपनियों को तेजी से एडजस्ट करने के लिए नई कार्य संस्कृति और जीवन शैली में बदलाव के लिए प्रेरित किया। काम के लिए प्रभावकारी होनें और कोविड से सुरक्षित रहने के लिए, ग्राहकों ने फर्नीचर,इंटीरियर स्पेस में बदलाव, होम आफिस, स्टोरेज स्पेस और किचेन बनाने के लिए मांग तेज कर दी जिसके कारण प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी। इसके चलते पाइपिंग और दीवारों के टाइल तथा फर्श के टाइल्स की मांग भी बढ़ी, इसी तरह की प्रवृत्ति फिटनेस के उपकरण, ट्रेड-मिल, साइकिल, कैरम बोर्ड आदि की मांग में उछाल देखी गई जो पिछले कई वर्षों में इतनी नहीं थी। उपभोक्ता सुरक्षित रहना चाहते हैं, इसलिए सर्वे में 12 प्रतिशत रेस्पोंडेंट ‘कोविड के कारण होम रेनोवेशन करने वाले‘ लोगों की केटेगरी से थे।‘‘
तीन महीने तक लगभग कोई उत्पादन नही
अगस्त-सितंबर के दौरान स्टॉक पॉइंट पर बहुत कम इन्वेंट्री, मांग में तेजी का प्रमुख कारण था। लॉकडाउन के बाद, 22 मार्च से 15 जून तक वुड पैनल डेकोरेटिव से संबंधित अधिकांश उद्योगों में काम ठप था। कई प्लांट में कामगारों की दिक्क्तें थी जिससे बाजारों में 3 महीने की आपूर्ति लगभग शून्य हो गई, इसके विपरीत, स्टॉक पॉइंट्स से मटेरियल ‘नकद बिक्री‘ के मॉडल पर बेचा और पेमेंट किया जा रहा था। असल में प्लाईवुड और लेमिनेट उद्योग का उत्पादन लगभग तीन महीने बाजारों तक नहीं पहुंच सका, जिससे रिटेलर पॉइंट से भारी मांग उठी। कारखाने से लेकर उपभोक्ताओं तक लगभग खाली स्टॉक पड़े फनल के चलते अगस्त के बाद अचानक मांग में वृद्धि हुई।
बिल्डिंग मटेरियल इंडस्ट्री में यदि निर्माण कार्य ठप रहता है, तो परियोजना की लागत में तेजी से वृद्धि होती है, इसलिए पूर्व-आवंटित फण्ड के साथ पूर्व-निर्धारित परियोजनाओं में लॉकडाउन में छूट के तुरंत बाद उनके रेनोवेशन या कंस्ट्रक्शन का काम फिर से शुरू हुआ। इस तरह की परियोजनाओं में, पहले से ही धनराशि आवंटित होती है, इसलिए कोई भी बुद्धि मान व्यक्ति प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ने के लिए देरी नहीं करना चाहता है, इसलिए लॉकडाउन समाप्त होने के तुरंत बाद सभी काम शुरू हो गए और पहले के अनुमान के विपरित तत्काल मांग पैदा हुई। बहुत से लोग जिनके पास पैसा था और रहने के लिए अच्छी जगह लेना चाहते थे, उन्होंने वास्तव में लॉकडाउन के बाद भी इसका निर्माण शुरू करवा दिए, जिसके कारण प्रीमियम ग्राहकों से भी अच्छी मांग रही।
जब यह पूछा गया कि ‘मांग कहां से आ रही है और क्या यह स्थायी है?’, तो विशेषज्ञ, प्रमोटर्स और यहां तक कि अग्रणी कंपनियां भी जवाब नहीं दे पाईं। विभिन्न कंसल्टिंग एजेंसियों से प्राप्त आंकड़े अस्पष्ट और विरोधाभासी संकेत दे रहे थे। प्लाई रिपोर्टर ने स्पष्ट रूप से पाया कि यह ‘नए अवसरों के साथ-साथ पेन्टअप डिमांड‘ का मिश्रण है।
शादी के दो सीजन आपस में मिल गए
15 मार्च के बाद (आमतौर पर देश में विवाह का एक मौसम होता है) कोविड की आशंका के साथ विवाह को स्थगित कर दिया गया था, लेकिन विवाह की तैयारियाँ जारी रही और फर्नीचर निर्माताओं के पास तथा घर में रेनोवेशन के लिए मटेरियल की मांग लगातार बनी रही। जब मेट्रो शहरों में टोटल लॉकडाउन था और उद्योगों के काम काज ठप थे उस समय ग्रामीण इलाकों, उपनगरों, तीसरे दर्जे के शहरों में मांग धीमी गति से जारी रही। प्लाई रिपोर्टर के वेबिनार के दौरान भी यह स्पष्ट हुआ, कि रिटेल शॉपकीपर ने भी प्रातः 5 से 11 बजे तक लॉकडाउन के दौरान भी अपना व्यापार करता रहा और सप्लाई भी होता रहा।
कई ठेकेदार/बढ़ई चुपचाप काम कर रहे थे इसलिए फनल (स्टॉक) में मटेरियल घट रही थी। सप्लाई चैनलों में, प्लाई,लैमिनेट्स, डेकोरेटिव, टाइल्स आदि जैसे बिल्डिंग मटेरियल मेंकमी आ रही थी, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की उत्पादकता में कई रूकावटे थी। अगस्त में हुए सर्वे में पता चला कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में मई-जून और जुलाई के महीनें में स्थानीय, असंगठित फर्नीचर निर्माताओं और ठेकेदारों को मटेरियल बेची गई इसलिए लॉकडाउन खुलने के बाद सरकार की पहल से तरलता की उपलब्धता और मांग में तेजी आई। सप्लाई चेन में बहुत ही कम इन्वेंट्री के साथ, रियल एस्टेट और इंटीरियर सेक्टर द्वारा मांग बढ़ी जिसके चलते अचानक वुड पैनल डेकोर मटेरियल की बड़ी मात्रा में डिमांड बढ़ी।
ेन्टअप डिमांडः कब तक रहेगा यह दबाव?
प्लाई रिपोर्टर के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारतीय लैमिनेट बाजार में लगभग 57 मिलियन शीट की ऑर्डर पेंडेंसी थी, जिसके बाद नवंबर महीने में 40 मिलियन थी। एमडीएफ उद्योगों में भी ऐसा ही दबाव देखा गया जहां आर्डर स्थापित क्षमता से 60 फीसदी अधिक था। लगभग 20 दिनों तक प्लाईवुड के ऑर्डर भी पेंडिंग थे। यहां तक कि छोटे सेल्स नेटवर्क वाली कंपनियों के पास भी पेंडिंग आर्डर देखी जा रही थीं। मांग इस स्तर तक बढ़ गई कि कई निर्माता क्षमता विस्तार की सोचने लगे और इसके लिए योजना भी बनाने लगे।
जब यह पूछा गया कि ‘मांग कहां से आ रही है और क्या यह स्थायी है?’, तो विशेषज्ञ, प्रमोटर्स और यहां तक कि अग्रणी कंपनियां भी जवाब नहीं दे पाईं। विभिन्न कंसल्टिंग एजेंसियों से प्राप्त आंकड़े अस्पष्ट और विरोधाभासी संकेत दे रहे थे। प्लाई रिपोर्टर ने स्पष्ट रूप से पाया कि यह ‘नए अवसरों के साथ-साथ पेन्टअप डिमांड‘ का मिश्रण है। कहीं-कहीं पुराने काम को पूरा करने और सप्लाई चेन मैनेजमेंट में विभिन्न स्तर पर खाली पड़े स्टॉक को पूरा करने के कारण पिछले दो महीनों में अचानक मांग में उछाल आया।
कब तक रहने वाली है यह डिमांड?
वर्तमान परिदृश्य सभी प्लेयर्स के लिए जनवरी 2021 तक ब्राइट है, लेकिन बड़े उत्पादन करने वाले लोग निश्चित रूप से जनवरी की शुरुआत तक इसमें कमी का असर महसूस करने लगेंगे। छोटे उत्पादन करने वाली कंपनियों के पास मार्च तक डमांड बनी रहेगी, लेकिन हाई कैपेसिटी प्लेयर्स को दिसंबर में ही दबाव का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि कई लोग बेरोजगार भी हुए हैं और यहां तक कि घर से काम करने वाले प्रोफेशनल भी वेतन कटौती के कारण कम या आवश्यकतानुसार ही खर्च कर रहे हैं।
देखा यह जा रहा है कि रेसिडेंसियल हाऊसिंग में तेजी हैं और प्लॉट्स और फ्लैटों की बिक्री पहले से कहीं अधिक है। अगस्त और सितंबर में बिल्डर के बाजार में इसी अवधि के कोविड के पहले की बिक्री की तुलना में चार गुना अधिक बिक्री देखी गई। नोएडा, गुड़गांव, बैंगलोर, हैदराबाद, मुंबई के सीबीडी क्षेत्रों में भी यही प्रवृति देखी गई। यह मांग देश भर में बदले हुए परिदृश्य के साथ उत्पन्न हुई क्योंकि देश में कहीं से भी घर से काम करने की स्वतंत्रता दी गई।
विकास अब औद्योगिक गतिविधियों में दिखाई दे रहा है क्योंकि लेमिनेट में तीन महीनों तक लॉकडाउन के कारण लगभग 7 करोड़ से अधिक शीट्स कि कमीहै, अगले तीन महीनों में इसका कुछ हिस्सा पूरा हो जाएगा।वास्तव में लेमिनेट में पहले से ही बहुत सारी इन्वेंट्री थी, इसलिए जब यह पूरा हो जाएगा, तो बाजार को निश्चित रूप से इसके बारे में पहले से ही संकेत मिल जाएगा।
विशेष रूप से आईटी और कंसल्टिंग इंडस्ट्री, लॉ फर्म, डिजाइन फर्मों में काम करने वाले बहुत सारे प्रोफेशनल को घर से काम करने का अवसर प्रदान किया है। यह फर्मों द्वारा कॉस्ट कटिंग के साथ भी किया गया। भारत सरकार ने भी इसके लिए कानूनी दायित्वों में बदलाव लाया और अब स्थायी आधार पर घर से भीm काम करने की अनुमति दे दी।इसके चलते ऑफिस वर्क कल्चर में एक बदलाव होगा जिससे पहले अच्छी तरह से सजाया गया ऑफिस अपना महत्व खो देंगे और जहां पहले घरों को वर्क स्टेशन के लिए महत्व नहीं दिया गया था, वे ‘वर्क फ्रॉम होम‘ के महत्व को देखते हुए बदलाव करेंगे। इससे यह भी इंगित होता है कि रेसिडेंशियल जरूरतों में वृद्धि हो रही है और यह नौकरियों के स्थाइत्व तथा इसके बढ़ते सर्किल के साथ और बढ़ेगा।
2021 में उद्योग और व्यापार के लिए क्या है?
दिवाली के दौरान हम सभी ने देखा कि बाजार में भीड़ इतनी भारी थी कि ऐसा लग रहा था कि कोविड का कोई डर ही नहीं है, लेकिन दिवाली के बाद बाजार की चमक फीकी पड़ गई। ऐसा दीवाली के बाद अगले पंद्रह दिनों में एक बार फिर से कोविड के मामले बढ़ने के चलते पैदा हुए डर का असर हो सकता है। लेकिन, वास्तव में कोविड की वजह से न केवल बाजार का सेंटीमेंट धीमा हो रहा है, बल्कि लोगों ने भी अपनी स्थिति/परिस्थिति का निर्धारण कर लिया है।
विकास अब औद्योगिक गतिविधियों में दिखाई दे रहा है क्योंकि लेमिनेट में तीन महीनों तक लॉकडाउन के कारण लगभग 7 करोड़ से अधिक शीट्स कि कमी है, अगले तीन महीनों में इसका कुछ हिस्सा पूरा हो जाएगा। वास्तव में लेमिनेट में पहले से ही बहुत सारी इन्वेंट्री थी, इसलिए जब यह पूरा हो जाएगा,
तो बाजार को निश्चित रूप से इसके बारे में पहले से ही संकेत मिल जाएगा। अन्य संकेत यह है कि यदि पेमेंट धीमा हो रहा है तो निश्चित रूप से अगला प्रभाव मांग पर पड़ेगा। वर्तमान में भी आप में से कई थोड़ी धीमी पेमेंट देख रहे होंगे। अनिश्चितता के परिदृश्य के साथ बाजार कि अनियमितता बढ़ेगी और मई 2021 तक एक तरह से भारत का बाजार स्थिर और कोविड के पहले के स्तर पर वापस आता नजर आ रहा है।
प्रमुख बिंदु और याद रखने वाली बातें
- सितंबर-अक्टूबर में मांग में निरंतर उछाल बड़े पैमाने पर नए अवसर और पेन्टअप डिमांड (लगभग 60 प्रतिशत मांग पेन्टअप डिमांड के चलते था) द्वारा प्रेरित था।
- आयात पर प्रतिबंध, सीमा पर झड़पों के बाद मेड इन चाइना से दूरी, प्रोफेशनल द्वारा ऑफिस के काम घरों में स्थानांतरित करना, जो वास्तव् में घरों के इंटीरियर और फर्नीचर मटेरियल की मांग को बढ़ाने में मदद की।
- ऑफिस फर्नीचर निर्माता बुरी तरह से प्रभावित हुए, लेकिन होम फर्नीचर निर्माता के पास मांग की कमी नहीं थी, जो कोविड के पहले के स्तर से 35 से 40 प्रतिशत अधिक थी।
- खाली गोदामों और स्टॉक पॉइंट्स पर सप्लाई गैप के कारण अचानक तेजी की मांग बढ़ी।
- कंपनियों के पास नवंबर में पेन्टअप डिमांड से लगातार आर्डर के दबाव के चलते कच्चे माल की कीमतों में उछाल आया।
- कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि (अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी के कारण यह अपरिहार्य है) केचलते चैनल पार्टनर्स को अपने मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स को साथ देने की जरूरत है, मार्जिन से समझौता करते धीरे-धीरे बढे हुए दाम कंज्यूमर को पास करना होगा। यदि ग्राहक महसूस करते हैं कि, कोई उत्पाद यदि उनकी क्षमता से परे हो रही है, तो वे एक सस्ते विकल्प पर स्विच करते हैं, इसलिए कीमतों के वास्तविक वृद्धि के साथ ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा और यह बनाए रखा जाएगा।
- कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव मार्च-अप्रैल 2021 तक जारी रह सकता है, जब तक कि अंतरराष्ट्रीय लॉजिस्टिक कम्पनियाँ सामान्य संचालन शुरू नहीं करता और कंटेनर की कमी दूर नहीं हो जाती।
- आने वाले समय में मई 2021 के बाद होलसेलर्स जो खासकर सिर्फ मेट्रो तक सिमित है उनके लिए अपनी काम को दुसरे शहरों में भी विकेन्द्रित करने का सुनहरा मौका है। अन्य शहरों में संचालन उनकी सहयोगी कंपनियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होगा।