बिहार में वुड बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत प्रस्ताव के आठ महीने बीत गए है, पर इसको अंतिम रूप दिये जाने और इसके निष्पादन तथा कार्यान्वयन की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। बिहार सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग का बिहार वुड बेस्ड इनवेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी, 2020 के लिए दिनांक 26 अगस्त, 2020 का प्रस्ताव बताता है कि किसानों को अपने खेत में अधिक से अधिक पेड़ लगाने को प्रोत्साहन देने के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है कि उन्हें ट्री क्रॉप की बेहतर कीमत मिले। मांग में वृद्धि कर इसे हासिल किया जा सकता है, जो इफिशिएंट और इंटीग्रेटेड वुड बेस्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा देकर ही संभव है। इस नीति के अनुसार, बिहार में 38 जिलों में कुल 2272 लाइसेंस प्राप्त सॉ मिल्स, 279 विनियर प्रोसेसिंग यूनिट्स, 142प्लाइवुड इंडस्ट्रीज और कई फर्नीचर बनाने वाली इकाइयाँ हैं, जो ज्यादातर असंगठित क्षेत्र में हैं।
बिहार प्लाईवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रंजन प्रसाद ने कहा कि नई योजना उद्योग को कई तरह से सहायता दे रही है, क्योंकि पुरानी वुड बेस्ड इंडस्ट्री यूनिट को परियोजना लागत का 35 फीसदी या 70 लाख जो भी अधिक हो, की सब्सिडी मिलेगी और नई इकाइयों के लिए यह 35 फीसदी या 175 लाख, जो भी अधिक हो मिलेगा। उन्होनें आगे बताया कि हमें उम्मीद थी कि बिहार में इस प्रस्तावित नीति को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा, जो उद्योग को बल प्रदान करेगा। अगस्त 2020 में प्रस्ताव आने के बाद हम इस दिशा में आगे बढ़े और सरकार से समर्थन की उम्मीद के साथ इकाइयों के विस्तार और अपग्रेड करने के लिए काम करना शुरू किया, लेकिन नीतियों को नौ महीने बाद भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
इस नीतिगत फैसले से मौजूदा सॉ मिलों, विनियर और प्लाइवुड इकाइयों के साथ-साथ फर्नीचर इकाइयों को बेहतर बनाने के लिए निवेश और एक सकारात्मक व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में मदद मिलेगी। इसके माध्यम से एक्सपैंशन/ डाइवर्सिफिकेशन/ आधुनिकीकरण/टेक्नोलॉजी-अप-ग्रेडेशन/ फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट ऐडिशन, मौजूदा उद्योग/इकाई में वैल्यू ऐडिशन से उद्योग का सुधार होगा। सरकार ने राज्य में नई औद्योगिक नीतिगत ढांचे में वुड बेस्ड इंडस्ट्री को शामिल करके इसे प्राथमिकता दी है।
मुख्यमंत्री ने डेढ़ साल पहले अधिकारियों को प्लाइवुड, विनियर और फर्नीचर उद्योगों के लिए रोड मैप तैयार करने का निर्देश दिया था। अधिकारियों ने बेहतर उत्पादन के लिए मौजूदा औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में आवश्यक बदलाव के लिए उद्योग से वैसे सुझाव मांगे गए थे जो उद्योगपतियों के मनोबल को बढ़ा सकता है। ऐसे विषयों पर तेजी से कदम उठाने के लिए निश्चित रूप से नीति निर्माताओं का ध्यान खींचने की जरूरत है।