वुड बेस्ड पैनल से फॉर्मल्डिहाइड के उत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक

Thursday, 02 September 2021

आसान प्रोसेसिंग और डाइमेंशनल स्टेबिलिटी के चलते लकड़ी पर आधारित पैनल को फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग और इंटीरियर डेकोरेटिंग प्रोजेक्ट्स में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। हालांकि, इन पैनल्स से फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन होता है क्योंकि ज्यादातर पैनल में फॉर्मल्डिहाइड आधारित रेजिन का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही अन्य हानिकारक गैसें निकलती है जिससे इंडोर एयर क्वालिटी प्रदूषित हो जाती है। फॉर्मल्डिहाइड को विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा एक संभावित व् खतरनाक कार्सिनोजेनिक और बहुत बड़ा पर्यावरण प्रदूषक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

उत्सर्जन कई प्रकार से हो सकता है जैसेः

1. फॉर्मल्डिहाइड के बचे हुए फ्री रेडिकल जो नेटवर्क में पोलीमराइज नहीं हो पाता है वह पैनल उत्पादन के दौरान या उसके तुरंत बाद उत्सर्जित होने लगता है।

2. एडेसिव हाइड्रोलिसिस के कारण फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन होता है, जो नमी और तापमान के बढ़ने घटने के कारण पूरे जीवन काल तक पैनल से उत्सर्जित होता रहता है।

3. वुड बेस्ड पैनल के संरचनात्मक क्षरण के कारण इसमें इस्तेमाल किए गए फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन होता है।

इनमें से, पैनल में बचे हुए फॉर्मल्डिहाइड के फ्री रेडिकल इंडोर एयर क्वालिटी के प्रदूषण का मुख्य स्रोत है।

वुड बेस्ड पैनल से उत्सर्जित होने वाले फॉर्मल्डिहाइड को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, फ्री फॉर्मल्डिहाइडजिसका उत्सर्जित होना आसान है और बांडेड फॉर्मल्डिहाइड जिसका निकलना कठिन होता है। फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन दर दो चरणों में पूरी होती है। पहले चरण में, उत्सर्जन का मुख्य स्रोत फ्री फॉर्मल्डिहाइड है। इमिशन का रेट पैनल में फ्री फॉर्मल्डिहाइड के एक्सपैन्शन रेट पर निर्भर करता है, जो पैनल में फॉर्मल्डिहाइड की सान्द्रता से भी प्रभावित होता है। पैनल में किसी तरह का वेंटिलेशन फॉर्मल्डिहाइड के रिलीज होने की दर को तेज कर सकता है। बोर्ड में फ्री फॉर्मल्डिहाइड की मात्रा के आधार पर यह 1-2 सप्ताह या 1-3 महीने तक हो सकता है। दूसरे चरण में, उत्सर्जन बोंडेड फॉर्मल्डिहाइड से होता है, जिसका रिलीजिंग रेट बॉन्डिंग स्ट्रेंथ पर निर्भर करता है, और वेंटिलेशन का प्रभाव बहुत कम पड़ता है। दूसरा चरण कई वर्षों तक का हो सकता है।

 

यह पाया गया है कि वुड बेस्ड पैनल से फॉर्मल्डिहाइड रिलीज तब होता है जब पैनल के अंदर हवा का दबाव बातावरण के दबाव से अधिक होता है और हवा के आने जाने के लिए स्थिति सहज रूप से उपलब्ध होता है ताकि फॉर्मल्डिहाइड निकल सके। अध्ययन और लिटरेचर से पताचलता है कि, फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन मुख्य रूप से पैनलके किनारों से होता है, जो कि पैनल की सतह से 2 गुना अधिक था। इसलिए बोर्ड जितना पतला होगा, उतना ही अधिक फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन होगा।

इसका कारण यह है कि हॉट क्युरिंग के दौरान उत्सर्जित फॉर्मल्डिहाइड को आंशिक रूप से मिथाइलिन ईथर के लिंकेज वाले पदार्थों में वापस भेज दिया जाता है। और वापस गर्मी पाकर ये ईथर लिंकेज हाइड्रोलिसिस के चलते विघटित हो जाते हैं और फॉर्मल्डिहाइड उत्सर्जित करते है। माना जाता है कि समय के साथ यूएफ रेजिन से फ्री फॉर्मल्डिहाइड उन अणुओं से निकलते हैं जो मिथाइलोल गु्रप और डाइ-मिथाइल ईथर लिंकेज के हाइड्रोलिसिस से विघटित होते हैं। 

हालांकि, अगर फ्री यूरिया को रेजिन में मिला दिया जाए तो यूरिया विभिन्न चरणों में उत्सर्जित सभी फ्री फॉर्मल्डिहाइड को पकड़ लेता है, और इसके रेजिन से बंध जाता है जिससे फॉर्मल्डिहाइड उत्सर्जन कम हो जाता है। ऐसा आमतौर पर उत्पादन के अंत में फ्री यूरिया मिलाकर किया जाता है। अंत में रेजिन में अधिक यूरिया मिलाने से, फॉर्मल्डिहाइड व यूरिया का अनुपात बदल जाता है, जो प्रतिक्रिया को प्रभावित करता है और यूएफ रेजिन के अणुओं की विभिन्न प्रजातियां बनती हैं।  

यूरिया के फ्री रेडिकल न केवल फॉर्मल्डिहाइड के फ्री रेडिकल के साथ, बल्कि स्वयं रेजिन के मिथाइलोल ग्रुप के साथ भी प्रतिक्रिया करता है। चूंकि यह मिथाइलोल ग्रुप ही क्युरिंग के दौरान क्रॉस लिंक बनाते हैं, इसलिए यूरिया को जोड़ने से रेजिन की एडेसिव प्रॉपर्टी कम हो जाती है। इसकामतलब यह है कि मैन्युफैक्चरर्स को फॉर्मल्डिहाइड इमिशन को कम करने के लिए एडेसिव की चिपकाने की शक्ति कम करनी पड़ेगी।

बहुत अधिक गर्मी पड़ने से सॉलिड वुड से फॉर्मल्डिहाइड उत्सर्जित होता है और सामान्यतया कम्पोजिट वुड प्रोडक्ट से इसके उत्सर्जन होने का प्रमुख स्रोत नहीं हो सकता। भले ही लकड़ी को कभी भी गर्म न किया गया हो साथ ही कम या ज्यादा पर्यावरणीय परिस्थिति में भी फॉर्मल्डिहाइड का पता लगाया जा सकता है। लकड़ी से फॉर्मल्डिहाइड उत्सर्जन में एडहेसिव रेजिन नहीं होता, बल्कि लकड़ी में पॉलीसेकेराइड के थर्मल डिकम्पोजिशन द्वारा समझाया जा सकता है।

 

वुड से फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन स्तर लकड़ी की प्रजातियों, नमी की मात्रा, बाहरी तापमान और भंडारण के समय जैसे कारकों पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त, 450 डिग्री सेल्सियस पर मिल से निकले वुड में लिग्निन के पायरोलिसिस से बेंजाइल्डिहाइड पैदा होता है, और 450 डिग्री सेल्सियस पर स्प्रूस और पाइनवुड के पायरोलिसिस से फॉर्मल्डिहाइड, 

एसिटाइल्डिहाइड, 2-प्रोपेनल, ब्यूटेनल और ब्यूटेनोन उत्पन्न होते है, जिससे वुड में पॉलीसेकेराइड के आपस में संघर्ष से या टूटता है और उत्सर्जित होता है।

वुड बेस्ड पैनल से फॉर्मल्डिहाइड का उत्सर्जन एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है, जो निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती हैः


1. मेटेरियल से संबंधित कारक, जैसे पैनल के प्रकार, लकड़ी की प्रजातियां, एडेसिव, और पैनल में उपयोग किये गए ओवरले ।
2. पर्यावरण से संबंधित कारक, जैसे तापमान, आर्द्रता, वायु का वेग और इसके एक्सचेंज रेट।
3. ट्रीटमेंट से संबंधित कारक।
4. पैनल के फेब्रिकेशन से संबंधित कारक, जैसे रेजिन कंटेंट, पैनल के मॉइस्चर कंटेंट, और अन्य।

विभिन्न देशों में विभिन्न वुड कम्पोजिट प्रोडक्ट से फॉर्मल्डिहाइड के उत्सर्जन की सीमा निर्धारित है और इसके मानक और मूल्यों का पालन किया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख देश निम्नलिखित है। 
 

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