सितंबर महीने में लकड़ी की कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई हैं, जिससे प्लाइवुड और अन्य पैनल उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हड़कंप मच गया है। लकड़ी की ऊंची कीमत के चलते बढ़ते इनपुट कॉस्ट ने सीधे तौर पर तैयार उत्पादों को प्रभावित किया है, जिससे इसकी कीमतें हर दिन बढ़ती जा रही हैं। यमुनानगर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, पोपलर की लकड़ी, जिसका उपयोग सभी प्रकार के प्लाइवुड और बोर्ड की मैन्युफैक्चरिंग के लिए किया जाता है, की आपूर्ति कम होने के कारण कीमत में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फरवरी 2020 में ओवर साइज पोपलर वुड के भाव 800 रुपये प्रति क्विंटल थे, लेकिन अब यह 1,000 रुपये प्रति क्विंटल केपार कर चुका हैं।
इसी तरह सफेदा की लकड़ी की कीमतों में भी कीमतें 450 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर पिछले 6 महीनों में 800 रूपए प्रति क्विंटल हो गया है। गौरतलब है कि प्लाइवुड उत्पादों को बनाने में लकड़ी का इनपुट कोस्ट मुख्य होता है, इसलिए उत्पादक तैयार उत्पादों की कीमतों में वृद्धि करने के लिए मजबूर है। लकड़ी के आपूर्तिकर्ताओं का कहना है कि सीमित आपूर्ति के कारण निकट भविष्य में कीमतों में कमी नहीं आएगी। यमुनानगर, पंजाब, उत्तरप्रदेश और उत्तर भारत के अन्य बाजार से मिली जानकारी के अनुसार, उद्योग तैयार उत्पादों की कीमतों में वृद्धि करने को मजबूर है जो मेटेरियल के लिफ्टिंग को भी प्रभावित कर रहा है। उद्योग के सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि क्षमता उपयोग में भारी गिरावट आई है क्योंकि डिमांड कम है और कई छोटी इकाइयां उत्पादन बंद करने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली- एनसीआर आदि से संबंधित उद्योग संघों ने सितंबर महीने में विभिन्न प्रोडक्ट केटेगरी में कीमतों में 6 से 7 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की है।