देश में मीडियम डेंसिटी फाइबर बोर्ड (एमडीएफ) की मांग प्रतिदिन 1600-1800 सीबीएम है। चूंकि लकड़ी जैसा कच्चा माल दुर्लभ है, इसलिए ये कच्चे माल अन्य प्राकृतिक उत्पादों से प्राप्त करने की जरूरत है। भारत में हर साल भारी मात्रा में कृषि अवशेष उत्पन्न होते है और इसका उपयोग एमडीएफ बनाने में लकड़ी के बदले और जंगल के मूल्यवान पेड़ों को बचाने के लिए किया जा सकता है। दूसरी ओर, सही फायदे नहीं मिलने के चलते किसान इन पूवाल को जलना कृषि कचरे के प्रबंधन का एक तरीके रूप में अपनाते है। पुआल को जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड जैसी गैसें निकलती हैं जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। जांच में पताचला कि कृषि अवशेस से एमडीएफ का उत्पादन नया नहीं है, लेकिन एमडीएफ मैन्युफैक्चरिंग के लिए सीमित तकनीकी जानकारी के कारण पुआल के कई गुणों के चलते इसमें दिक्कते होती है।
गेहूं के भूसे में 4-६ फीसदी सिलिका होता है जो कि अलग अलग जगहों के गेहूं के भूसे में अलग अलग होता है। एमडीएफ मैन्युफैक्चरिंग के लिए गेहूं के भूसे के वजन पर एल्कलाइ ट्रीटमेंट (0.1 और 0.३ फीसदी) के साथ गेहूं के भूसे का अध्ययन किया गया। फाइबर के निर्माण के लिए रिफाइनिंग मापदंडों को 0.2 मिमी के डिस्क गैप के साथ अनुकूलित किया गया, गेहूं के भूसे की प्रजातियों से पैनल मैन्युफैक्चरिंग के लिए 3-4 मिनट के प्रतिधारण समय केसाथ 6 बार दबाव डाला गया और (10 और १२ फीसदी) यूरिया फॉर्मल्डिहाइड रेजिन, फिनोल फॉर्मल्डिहाइड रेजिन और मेलामाइन यूरिया फॉर्मल्डिहाइड रेजिन का उपयोग कर 0.3 मीटर ग 0.3 मीटर ग 6 मिमी आकार के एमडीएफ पैनल बनाया गया। इसका आईएस 12406-2003 ‘‘सामान्य प्रयोजन के लिए एमडीएफ की विशिष्टता‘‘ के अनुसार परीक्षण किया गया। जांच से पता चला कि धूल हटाने और अल्कली ट्रीटमेंट की मात्रा बढ़ने से राख की मात्रा कम हो गई है। राख की मात्रा में कमी यूएफ बॉडेड बोर्डों के लिए 0.1-0.३ फीसदी क्षारीय ट्रीटेड फाइबर में 2 घंटे की थिकनेस स्वेलिंग में भारी कमी आई है। हालांकि, एल्कलाइ ट्रीटमेंट में वृद्धि ने यूएफ बॉन्डेड एमडीएफ बोर्डों के मैकेनिकल प्रॉपर्टी को कम कर दिया। पीएफ बॉन्डेड एमडीएफ बोर्ड ने 0.1 फीसदी एल्कलाइ ट्रीटेड फाइबर के साथ उत्कृष्ट परिणाम दिए। बिना एल्कलाइ ट्रीटेड गेहूं के भूसे के फाइबर बोर्ड को एमयूएफ रेजिन का उपयोग करके और 0.1 फीसदीएल्कलाइ के साथ पीएफ रेजिन का उपयोग करके सफलतापूर्वक बनाया जा सकता है। परिणामों से पता चला कि पैनल के सभी भौतिक और यांत्रिक गुण एमडीएफ के लिए न्यूनतम जरूरतों से ऊपर थे जैसा कि पीएफ और एमयूएफ बॉन्डेड बोर्डों के लिए आईएस-12406-2003 मानकों में निर्दिष्ट है।
इस अध्यन से सम्बंधित पूरा विवरण ममता बी.एस. और सहकर्मियों द्वारा ईपिर्ति अनुसंधान रिपोर्ट संख्या 201, ‘‘मध्यम घनत्व फाइबर बोर्ड-गेहूं के भूसे का विकास‘‘ में उपलब्ध है।