प्लाइवुड उद्योग के यूनिटों में श्रमिकों की कमी के कारण नवंबर महीने में केवल 60-65 फीसदी क्षमता उपयोग दर्ज किया गया है। शादी के मौसम के साथ दिवाली, छठ जैसे त्योहारों में लेबर अपने अपने घरों की ओर पलायन कर गए थे। प्रवासी मजदूर अपने मूल निवास स्थान चले गए। दरअसल नवंबर महीने की शुरुआत से ही उनका पलायन शुरू हो गया था। यमुना नगर के एक ठेकेदार का कहना है कि यह हर साल होने वाली घटना है। मजदूर इस समय घर जाते हैं, और वे कम से कम 20-30 दिन अपने होम टाउन में ही रहते हैं। प्लाई रिपोर्टर के अध्ययन में पाया गया कि हरियाणा, पंजाब, यूपी, गुजरात, आंध्र प्रदेश आदि में स्थित वुड
पैनल इंडस्ट्री में लेवर की कमी महसूस की जा रही है।
लुधियाना के एक प्लाइवुड निर्माता का कहना है कि वह लेवर की कमी के कारण उत्पादन करने में असमर्थ है, जबकि उसके पास 30 दिनों के पेंडिंग आर्डर है। उन्हें उम्मीद है कि प्रवासी मजदूर दिसंबर महीने से आ जाएंगे, क्योंकि वे दिसंबर के पहले सप्ताह तक धान की कटाई और शादी में लगे हुए रहते है।
उद्योग को दिसंबर और जनवरी महीने में अपनी क्षमता उपयोग में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि इससे कच्चे माल की कीमतों में नरमी से उन्हें पिछले महीनों के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिल सकती है। ठेकेदारों का मानना है कि मजदूरों का आना शुरू होने वाला है क्योंकि उड़ीसा, असम, बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश से टिकट बुकिंग शुरू हो रही है। उंम्मीद है दिसंबर के बाद उद्योग में पर्याप्त संख्या में लेबर उपलब्ध होंगे।