भारत के फॉरेस्ट कवर को बढ़ाने में प्लांटेशन का महत्वपूर्ण योगदान

Monday, 21 February 2022

आईएसएफआर (इंडियन स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट) 2021 के अनुसार, भारत का वन क्षेत्र 2019 में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 21.67 फीसदी से बढ़कर 2021 में 21.71 फीसदी हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है की सम्बंधित काल में फारेस्ट कवर में 1,540 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है जिसमें से, 1,509 वर्ग किमी ‘‘आरएफए के बाहर‘‘ की कैटेगरी में है, जबकि केवल 31 वर्ग किमी ‘‘आरएफए के अंदर‘‘ है।

इसी अवधि में, देश के कुल ट्री कवर में भी 721 वर्ग किमी की वृद्धि हुई, जो 2021 में कुल भौगोलिक क्षेत्र का 2.91 फिसदी है, जो 2019 में 2.89 फीसदी था, रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर 2,261 वर्ग किमी (0.28 फीसदी) की वृद्धि हुई है। श्री अनूप सिंह, भारतीय वन सर्वेक्षण (थ्ैप्) के महानिदेशक, जिन्होंने 13 जनवरी को जारी भारत राज्य वन रिपोर्ट (प्ैथ्त्) 2021 पर उठाई जा रही विभिन्न चिंताओं को दूर करने के लिए एक मसौदा तैयार किया है, जिसमें उन्होने कहा कि 2019 की तुलना में फारेस्ट और ट्री कवर में वृद्धि हुई उसमें ट्री आउट साइड फारेस्ट एरिया भारत के फारेस्ट कवर का 28 फीसदी है, और इसमें बागवानी, लुगदी की प्रजातियों के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी हरित क्षेत्र शामिल है।‘‘

‘‘अध्याय 2, तालिका 2.6 में, फारेस्ट कवर के आंकड़ों को इनसाइड रिकार्डेड फारेस्ट एरिया‘ और ‘आउट साइड फारेस्ट एरिया‘ के रूप में विभाजित किया गया है। आरएफए के अंदर मूल रूप से प्राकृतिक वन और प्लांटेशन हैं। आरएफए के बाहर फारेस्ट कवर में आम के बगीचे, नारियल के बागान और कृषि-वानिकी के ब्लॉक वृक्षारोपण शामिल हैं। 

वे अपने आप अलग हो गए हैं और तालिका में स्पष्ट रूप से उल्लेखित किये गए हैं,” भारत के जंगलों की सीमा के बारे में उन्होंने जोर देते हुए नोट में लिखा की यह पारदर्शी रहा है। आईएसएफआर 2021 में, फारेस्ट कवर के 72 फीसदी आंकड़े रिकॉर्ड किए गए फारेस्ट एरिया से संबंधित हैं और mकेवल 28 फीसदी फारेस्ट, वन क्षेत्र से बाहर हैं, देश में प्राकृ तिक वनों की सीमा पर चिंताओं का खंडन करते हुए नोट में कहा गया है।

‘‘अधिकांश आलोचकों ने इस तालिका को नहीं देखा हैऔर अपनी पूर्व-कल्पित धारणा के आधार पर टिप्पणी की है। चाय, कॉफी आदि के क्षेत्र संबंधित बोर्डों और बागवानी विभागों के पास या राजस्व रिकॉर्ड से उपलब्ध हैं, जहां ये विवरण दर्ज किए जाते हैं, ”सिंह ने कहा। सिंह ने कहा किआरएफए के अंदर जंगलों में मामूली वृद्धि चिंता का विषय है। “इसका विश्लेषण करने और पुनः रणनीति बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए क्षेत्रों के साथ तुलना करने की जरूरत है।

क्या हम रिकॉर्ड किए गए वन क्षेत्र के भीतर संतृप्ति तक पहुंच रहे हैं या हम क्षेत्रों को खो रहे हैं या वृक्षारोपण कम सफल हैं? मुझे कोई जागरूकता पैदा करने की जरूरत नहीं है, लेकिन एक गंभीर विचार और विश्लेषण की जरूरत है, ”एफएसआई के महानिदेशक ने मीडिया के साथ साझा किए गए नोट में कहा। उन्होंने बताया कि नवंबर 2020 और जून 2021 के बीच, देश के जंगलों में आग की कुल 345,989 घटनाएं हुई हैं, जबकि 2018-19 में 210,286 की तुलना में 2019-20 में 124,473 हुई यह भी ‘‘चिंताजनक‘‘ था।

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