बिल्डिंग मेटेरियल की कीमतें न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक साल से बढ़ रही हैं। 2021 में वार्षिक औसत पर, जर्मनी में बिल्डिंग मेटेरियल जैसे लकड़ी और स्टीलकी कीमतों में इजाफा 1949 से सबसे ज्यादा रही।
डेस्टैटिस के अनुसार जर्मनी से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि सॉलिड कंस्ट्रक्शन टिम्बर की कीमतें पिछले वर्ष के औसतन एक वर्ष के भीतर 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई हैं। जर्मनी में औद्योगिक उत्पादों के उत्पाद मूल्य सूचकांक पिछले वर्ष की तुलना में 2021 में वार्षिक औसत पर 10.5 फीसदी ज्यादा थी और वार्षिक मुद्रास्फीति दर जनवरी में 4.9 फीसदी होने की उम्मीद है।
थाईलैंड में, पार्टिकल बोर्ड निर्यात की कीमतें जनवरी में 30 फीसदी ज्यादा थी। पार्टिकल बोर्ड की औसत कीमत 31.0 फीसदी बढ़कर 276.5 डालर प्रति टन हो गई। हालांकि सालाना आधार पर जनवरी में वॉल्यूम 29 फीसदी घटकर 101.6 हजार टन रह गया। इसी तरह एमडीएफ में थाईलैंड से निर्यात किये जाने वाले फाइबरबोर्ड की कीमत जनवरी में 27 फीसदी बढ़ी है। थाईलैंड का फाइबरबोर्ड का निर्यात सालाना आधार पर 3.9 फीसदी बढ़कर 172.9 हजार टन हो गया।
पिछले दो सालों से, वियतनाम सहित अधिकांश दक्षिण पूर्व एशियाई एमडीएफ निर्माता ओईएम सेगमेंट के अपने घरेलू रेडीमेड फर्नीचर की मांग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो वास्तव में पहले दुनिया भर में लकड़ी के उत्पादों की मांग को निर्यात के माध्यम से पूरा कर रहे थे, अब खत्म हो गए है। इसके अलावा होम रेनोवेशन में बूम और रियल एस्टेट में उछाल के चलते मांग बढ़ी है।
इसलिए आपूर्ति के मोर्चे पर वैश्विक परिदृश्य अभी भी संतुलित नहीं है। भारत सहित फर्नीचर बनाने वाले दक्षिण पूर्व एशियाई देश अपने घरेलू उपभोग के साथ-साथ निर्यात की जरूरतों के लिए पैनल उत्पादों और फर्नीचर की मांग ज्यादा करेंगे। प्लाई रिपोर्टर का मानना है कि वर्ष 2022 में लकड़ी के उत्पाद की कीमतों या डिमांड साइकल में कोई कमी नहीं देखी जाएगी। खपत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के ट्रेंड के अनुसार ही रहेगी।