भारतीय वुड पैनल इंडस्ट्री में कार्व सर्टिफाइड उत्पाद पर जोर भारत में वुड पैनल इंडस्ट्री के लिए E0, E1, CARB जैसे प्रमाण पत्र भी आवश्यक होने जा रहे हैं। हालांकि सरकारी प्राधिकरण ने ऐसे दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन ये इन्ड यूजर के लिएकाफी महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि जहां भी वुड पैनल और डेकोरेटिव इंडस्ट्री के उत्पादों का उपयोग किया जा रहा है, वहां केमिकल के खतरनाक रासायनिक उत्सर्जन भी होते है।
उद्योग इससे चिंतित हैं और इस तरह के सर्टिफिकेशन को अपनाना चाह रहे हैं क्योंकि इन्ड यूजर हानिकारक केमिकल से प्रभावित हो रहे हैं। इस संबंध में ग्रीनप्लाई के पहल और अभियान के बाद लोग जागरूक हो रहे हैं। वास्तव में टेस्टिंग एजेंसियों को प्रमाणपत्रों की सुविधाओं और उपलब्धता के बारे में पूछताछ करने के लिए सीधे कॉल आ रहे हैं। पहले ऐसी जागरूकता बाजार में नहीं थी। सस्टेनेबल स्टीवर्डशिप प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री प्रमोद गुप्ता ने प्लाई रिपोर्टर से सर्टिफिकेशन की जरूरत और वुड पैनल इंडस्ट्री में इसके भविष्य पर बात करते हुए कहा, “बीआईएस ने आईएस मानकों में हो रहे बदलाव के संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की है। इनमें पार्टिकल बोर्ड व एमडीएफ के लिए इसके मानकों को जारी करने के लिए E0, E1, E2 कम्प्लाइंस की जरूरत शामिल की हैं।
“ये निर्यात करने के लिए अनिवार्य हैं। ठीक उसी तरह जैसे डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के लिए fssai की आवश्यकता प्रमुख है। अन्य देशों के आयातकों को MDF और पार्टिकल बोर्ड के लिए CARB सर्टिफिकेशन की कानूनी जरूरतें हैं। यहां तक कि तैयार उत्पादों के लिए भी मेटेरियल के ये कम्प्लायंस जरूरी है। इसलिए, परोक्ष रूप से यह भारत के लिए भी अनिवार्य होने वाला है।
उन्होंने कहा कि लगभग 15 से 20 कंपनियां पहले से ही CARB सर्टिफिकेशन से प्रमाणित हैं जैसे सेंचुरी प्लाई, ग्रीनप्लाई, ग्रीनपैनल, एक्शन टेसा, रियलप्लाई, विद्या प्लाई आदि और कई इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं। जो लोग CARB के अनुरूप हैं वे पहले से ही म्0 के अनुरूप हैं क्योंकि CARB उत्सर्जन E0 से कम है। वर्तमान परिदृश्य में केवल विदेशी परीक्षण और प्रमाणन एजेंसियां ही CARB सर्टिफिकेशन दे रही हैं। भविष्य में स्वीकृति की बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसे सभी को अनिवार्य रूप से करना होगा; कोई बच नहीं सकता क्योंकि बीआईएस हर उत्पाद के लिए मानदंड लेकर आ रहा है।