मई 2022 में, एमडीएफ की मांग की तुलना में आपूर्ति में वृद्धि देखी गई, जिसके चलते मैन्युफैक्चरिंग कंपनिया अलर्ट मोड में आ गई है। बाजार से प्लाई रिपोर्टर को मिली जानकारी का अनुसार आपूर्ति बढ़ी है, लेकिन मांग में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। हालांकि यूरिया और टिम्बर की उपलब्धता से जुड़े कई कम्प्लाइंस फैक्टर के कारण उत्पादक आपूर्ति पर रोक लगाए हुए हैं, लेकिन बाजार ने खरीददारी में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई। इसके विपरीत, बाजार में कुछ मैन्युफैक्चरर्स द्वारा ‘वॉल्यूम डिस्काउंट‘ के नाम पर छूट देने की प्रक्रिया में वृद्धि देखी गई। टिम्बर की बढ़ती कीमतों के बावजूद जून के पहले सप्ताह में इसकी बढ़ी हुई आपूर्ति के चलते कीमतों पर नियंत्रण रखे हुए है।
एमडीएफ का बाजार पिछले साल की समान अवधि की तुलना में काफी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। इसके कई कारणों में से एक रुशिल डेकोर, ग्रीन पैनल, एक्शन टेसा आदि में विस्तारित क्षमता से आपूर्ति में इजाफा होना रहा है। छोटे प्लांट वाली नई कम्पनियाँ भी आपूर्ति को बढ़ा रहीं हैं और आयात से उभर रही बातचीत निश्चित रूप से कीमतों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर चर्चा कर रही है।प्री-लेमिनेटेड एमडीएफ की बिक्री छोटे उत्पादकों को मदद करने के लिए जानी जाती है क्योंकि वे बड़े प्लेयर्स की तुलना में सस्ते प्री-लेमिनेटेड बोर्ड की पेशकश कर रहे हैं।
एमडीएफ अब केवल एक सब्सट्रेट मेटेरियल नहीं है, अब इसका उपयोग पैनलिंग, फिटआउट और सरफेसिंग में किया जा रहा है। मेटेरियल का उपयोग अब व्यापक रूप से किया जा रहा है, विशेष रूप से एचडीडब्ल्यूआर के आने के बाद। दिल्ली एनसीआर के टेªडर्स का कहना है कि बिल्डर्स मेट्रो शहरों में अपने वार्डरोब और किचेन के काम करने के लिए सस्ते मेटेरियल चाहते हैं, जो अब इसे इकोनॉमिकल आधार पर ज्यादा खरीद रहे हैं। अब प्री-लेमिनेटेड बोर्ड का किचेन में सीधे उपयोग किया जा रहा है जो अब और अच्छे डिजाइनों में पेश किया जा रहा है।
प्री-लेमिनेटेड एमडीएफ की मांग, जो कुछ साल पहले थीक बोर्ड का मुश्किल से 8 से 10 फीसदी था, अब 18-20 फीसदी तक पहुंच गई है। चूंकि एमडीएफ की डेंसिटी बोर्ड की गुणवत्ता अब तक भरोसेमंदm बनी है, इसलिए मांग बढ़ रही है। छोटे ब्रांड आयात के ज्यादा होने से रिटेल मार्केट में उपयोगकर्ताओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। देखा जा रहा है कि दक्षिण और पश्चिम में कई आयातक सक्रिय हो गए हैं और आयातित बोर्ड की आवक भारतीय बाजार में बढ़ रही है। यदि चीजें कोविड के पहले जैसे प्ररिदृश्य में वापस जाती हैं, तो एमडीएफ सेगमेंट को दोहरी लड़ाई लड़नी होगी, एक वुड बेस्ड पैनल के खिलाफ और दूसरा आयात के खिलाफ।