केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बकाया की वसूली के लिए तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान करदाताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करें। यह भी निर्देश दिया गया है कि अगर ऐसा होता है तो कर अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
इन्वेस्टिगेशन विंग ने क्या करें और क्या न करें, इसकी विस्तृत खांका तैयार किया है। यह कुछ करदाताओं द्वारा अपनी जीएसटी देयता को स्वेच्छा से जमा करने के बाद तलाशी या जांच के दौरान अधिकारियों द्वारा बल प्रयोग और जबरदस्ती का आरोप लगाने की रिपोर्ट के जवाब में किया गया था। इस संबंध में कुछ करदाताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया।
तथापि, कर अधिकारी को करदाताओं को डीआरसी-03 के माध्यम से स्वैच्छिक कर भुगतान के प्रावधानों के बारे में सूचित करना चाहिए। इस तरह की कार्यवाही से पहले या किसी भी स्तर पर करों के गैर-भुगतानध्कम भुगतान के लिए उनकी देयता के निर्धारण के आधार पर स्वैच्छिक भुगतान करने वाले करदाताओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
बोर्ड के मुताबिक जीएसटी पोर्टल पर डीआरसी-03 जमा कर करदाता स्वेच्छा से टैक्स जमा कर सकता है। केवल करदाता ही अपने लॉगिन आईडी और पासवर्ड के साथ जीएसटी पोर्टल में लॉग इन करके ऐसे स्वैच्छिक भुगतान शुरू कर सकते हैं। कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले स्वेच्छा से करों का भुगतान करने की अनुमति है।
यह करदाताओं को अपनी स्वीकृत देयता का निर्वहन करने की अनुमति देता है, चाहे यह स्वयं का पता लगाया गया हो या कर अधिकारी द्वारा निर्धारित किया गया हो, यह कर के देर से भुगतान के लिए ब्याज का बोझ वहन किए बिना, और उसे एक शो कॉज जारी करने के बाद लगाए गए उच्च दंड से भी बचा सकता है।