बालन की कमी से उत्तर भारत कीं प्लाइवुड यूनिट में उत्पादन प्रभावित
बालन यानी फ्यूल वुड की कीमतें उत्तरी क्षेत्र में, विशेष रूप से हरियाणा और पंजाब में काफी ज्यादा हैं। स्थिति इतनी विकट है कि इसके चलते फैक्ट्री ऑपरेशन परेशानी में पड गया है क्योंकि उपलब्धता की कमी के साथ साथ इसका कॉस्ट कई उत्पादकों को फैक्ट्री ऑपेरशन रोकने पर मजबूर कर दिया है। फ्यूल वुड की कीमतें इस क्षेत्र में पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी होने की खबर है, साथ ही इसकी उपलब्धता भी ठीक नहीं है।
प्लाइवुड निर्माताओं को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए फ्यूल वुड और कोर विनियर के लिए कच्चे माल के रूप में टिम्बर की खरीद में परेशानी हो रही है। पंजाब में स्थित उत्पादकों ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि कीमत ज्यादा देने पर किसी तरह कोर विनियर के लिए टिम्बर तो उपलब्ध हो जाता है लेकिन फ्यूल वुड उपलब्ध नहीं है। और बाजार की कीमतें उनके लिए किसी भी तरह से ठीक नहीं है।
यमुनानगर के प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि प्लाइवुड यूनिट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल होने वाली लकड़ी का उपयोग अब काफी मात्रा में एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड बनाने में भी किया जाता है। एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड के लिए कच्चे माल के रूप में इसकी खपत बढने के कारण इन दिनों प्लाईवुड यूनिट के लिए फ्यूल वुड की भारी कमी है।
इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स का कहना है कि कोयला और ब्रिकेट जैसे विकल्प हैं पर, यह भी बहुत महंगा है। इसलिए, फ्यूल वुड की कमी और इसकी बढ़ी हुई कीमत के चलते इंडस्ट्री मुश्किल से सप्ताह में तीन से चार दिन चल पाते हैं। टिम्बर के कारोबारियों का कहना है कि हर साल बरसात के मौसम में लकड़ी की आवक कम हो जाती है क्योंकि इस वक्त टिम्बर की कटाई कम हो जाती है, हालांकि इस साल आवक पहले से ज्यादा प्रभावित हुई है क्योंकि लकड़ी की भारी किल्लत है।