भारतीय डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड उद्योग को इन उत्पादों को बनाने के लिए पीवीसी रेजिन और विभिन्न दूसरे केमिकल की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण काफी उम्मीद बंधी हैं। पीवीसी रेजिन की कीमतें अब 90 रूपए से नीचे पहुंच गई है, जो 9 महीने पहले 180 तक पहुंच गई थी। पीवीसी बोर्ड बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले केमिकल की कीमतों में भी पिछले 6 महीनों में 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि उपलब्धता की इस नरमी से पीवीसी/डल्यूपीसी बोर्डों को अन्य पैनल उत्पादों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी मूल्य पर पेश किया जा रहा है। डीलर भी विभिन्न कंपनियों द्वारा डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्डों की कम कीमतों से उत्साहित हैं और कहते हैं कि अब यह उत्पाद फिर से अपनी बाजार हिस्सेदारी हासिल कर लेगा। डब्ल्यूपीसी/पीवीसी बोर्ड पर्यावरण के अनुकूल, टरमाइट प्रूफ, वाटर रेजिस्टेंस उत्पाद हैं, और यह कई एप्लिकेशन एरिया के लिए व्यापक रूप से जरूरी है।
यह प्रोडक्ट केटेगरी जाली, डोर और डोर फ्रेम के साथ अपनी बाजार हिस्सेदारी में सुधार कर रही है। अध्ययन से संकेत मिलता है कि हाल ही में, भूटान टफ, सबुरी, गट्टानी, जीएमजी प्लाइवुड, सनराइज पैनल्स, आर्किड, ट्रोजन प्लाइवुड, एके प्लाइवुड आदि सहित आधा दर्जन से अधिक प्लाइवुड कंपनियों ने पीवीसी/डब्ल्यूपीसी बोर्ड बिजनेस में कदम रखा है। सेंचुरी प्लाई, ग्रीनप्लाई, ड्यूरो प्लाई, ऑस्टिन प्लाइवुड आदि जैसे प्लाइवुड ब्रांड ने भी इसकी मांग को देखते हुए डब्ल्यूपीसी बोर्ड बेच रहे हैं।
ट्रेड से मिली जानकारी के अनुसार पिछले 3-4 महीनों में चीन से पीवीसी बोर्डों के आयात बढ़ने की वजह से चीनी उत्पादकों ने बोर्ड की कीमतें कम कर दी हैं, जो कि चेन्नई, केरल, मुंबई आदि जैसे बंदरगाह के नजदीकी शहरों में फिजिबल और कम कीमतों पर भी उपलब्ध है। ट्रेड का कहना है कि उन्हें घरेलू उत्पाद की तुलना में कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले आयातित बोर्ड मिलते हैं।
पीवीसी फोम बोर्ड इंडस्ट्री, पीवीसी रेजिन और अन्य केमिकल की उंची कीमतों के कारण पिछले डेढ़ साल से मुश्किल में था। तैयार बोर्ड की कीमतों में 40 फीसदी की उछाल देखी गई थी, इसलिए इन उत्पादों को अन्य पैनल उत्पादों द्वारा प्रतिस्थापित होना पड़ा था, और इंडस्ट्री अपनी 50 फीसदी क्षमता का ही उपयोग कर पा रही थी। कई डब्ल्यूपीसी/पीवीसी प्लांट्स को पिछले दो वर्षों में अपना ऑपरेशन बंद करने और व्यवसाय से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि इसके कच्चे माल की अस्थिर कीमतों के कारण बोर्ड की कीमत काफी बढ़ गई थी।