Costly Pine Logs Pushes up Board-Doors Prices

person access_time3 28 August 2017

टिंबर की कीमतें बढ़ने के साथ ही घरेलू उत्पादित एमडीएफ की मांग भी तेजी से बढ़ी है। जिसके चलते इसके उत्पादन क्षमता का उपयोग भी तेजी से बढ़ा है। बाजार की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय एमडीएफ उत्पादन की क्षमता पिछले तीन महीनों में 55 प्रतिशत तक पहुॅंच गई है, जो इस वित वर्ष के शुरूआत में महज 40 प्रतिशत पर थी।

एमडीएफ का आयात भी घट रहा है, जो पिछले तीन-चार महीनों में 50 प्रतिशत तक नीचे जाने की रिपोर्ट है। एमडीएफ के आयातकों का कहना है कि विदेशी बाजार में इसकी कीमतें बढ़ने से आयात में कमी आई है। उनका कहना है कि वियतनाम, मलेशिया, कोरिया और थाईलैंड़ में पिछले 3 महीनों में कीमतें 15 प्रतिशत बढ़ी हैं।

प्लाई रिपोर्टर से बातचीत में रूशिल डेकोर के प्रबंध निदेशक क्रूपेश ठक्कर ने कहा कि यदि आप मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम की बात करते हैं तो वे क्वालिटी में अंतर होता है। टेक्नोलाॅजी और मशीनरी का उपयोग भारत के जैसा ही है, सिर्फ प्रोजेक्ट को कैसे पूरा किया जाता है इसमें फर्क है। जैसा वे उत्पादन करते है, वैसा ही हम भारत में भी कर सकते हैं। जहाॅं तक कीमतों का सवालहै इन्वेटरी का खर्च भारत में भी नियंत्रित किया जा सकता है। हम भी उन्हीं की तरह 5 प्रतिशत प्रीमियम चार्ज करते हैं।

इसलिए इंपोर्ट रिप्लेशमेंट संभव है और यह होगा। उन्होंने कहा भारतीय एमडीएफ कंपनियाॅं श्रीलंका, बंाग्लादेश और कई अन्य पड़ोसी देशों में निर्यात कर रही है और नये आयाम खोल रही है। यदि भारतीय mएमडीएफ की क्वालिटी अच्छी नहीं होती तो यह संभव नहीं होता। सेंचुरी प्रोवुड के अवतार सिंह भुल्लर का कहना है कि उनके उत्पादन में मांग में कमी के चलते किसी तरह की मुश्किल नहीं है। आज के समय में हम पूरी क्षमता के साथ उत्पादन कर रहे हैं। अन्य एमडीएफ उत्पादक जैसे-बालाजी एक्शन बिल्डवेल, ग्रीन पैनल, पाइनियर पैनल, सिरडी इंडस्ट्री, इत्यादि में भी हाल के महीनों में उत्पादन क्षमता बढ़ने की खबर हैं।

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