फरवरी में पार्टिकल बोर्ड उद्योग में अच्छी तेजी देखी गई। सुस्ती के बाद, पार्टिकल बोर्ड सेगमेंट अब पिछले दो महीनों से बेहतर प्रतीत हो रहा है। प्लाई रिपोर्टर के अध्ययन से संकेत मिलता है कि मांग में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन सेंटीमेंट आशाजनक प्रतीत हो रहा है। ओईएम सेगमेंट की रिपोर्ट बताती है कि निकट भविष्य में मांग में और सुधार होगा। पार्टिकल बोर्ड की मांग में चार महीने की सुस्ती के बाद सेंटीमेंट सकारात्मक हो गया, पर तैयार माल की कीमतें निचले स्तर पर पहुंच गईं।
इस भारी गिरावट का कारण माल की गिरती कीमतों के साथ बढ़ते आयात को भी बताया गया है। पार्टिकल बोर्ड उद्योग टिम्बर के इनपुट कॉस्ट में लगातार वृद्धि के साथ-साथ पूरे देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स की बढ़ती संख्या के कारण अनिश्चितता की स्थिति से गुजर रहा है। कोविड के बाद मांग बढने से पार्टिकल बोर्ड मैन्युफैक्चरिंग में अच्छा फायदा मिला था। जिसके बाद पिछले साल कई और प्लांट लगे हैं।
अभी गुजरात और महाराष्ट्र में पार्टिकल बोर्ड प्लांट्स की बहुत अच्छी स्थिति और प्रजेंस है। दक्षिण भारत में, लगभग 10 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के साथ, केरल स्थित इंडस्ट्री भारत में एक अन्य पार्टिकल बोर्ड हब के रूप में उभरा हैं। यहां कई यूनिट्स इंटालटेशन की प्रक्रिया में हैं। उनमें से प्रत्येक की उत्पादन क्षमता लगभग 150 से 200 क्यूबिक मीटर प्रति दिन है। हाल के सभी डेवलपमेंट के साथ केरल पार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्री अब 1500 या 2000 क्यूबिक मीटर की दैनिक क्षमता तक पहुंच गया है।
जनवरी 2023 से पहले पिछले चार महीनों का पाइलअप प्रोडक्शन मैन्युफैक्चरर के लिए एक बोझ था, जिसके कारण पूरे देश में पार्टिकल बोर्ड की मांग बढ़नी ही थी। अब, ओईएम और रेडीमेड फर्नीचर मैन्युफैक्चरिंग के बढ़ने से बढ़ती मांग के साथ, पार्टिकल बोर्ड के स्टॉक हर जगह कम हो गए हैं। इससे इंडस्ट्री में कुछ राहत देखी जा रही है, जैसा कि गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी और दक्षिणी भारत की रिपोर्ट से संकेत मिलता है। हालांकि उत्पाद की कीमत नहीं बढ़ी है, और प्रतिस्पर्धा के कारण मटेरियल को पुराने दाम पर ही बेचा जा रहा है।