निजी निवेश बढ़ाने और रोजगार पैदा करने के लिए सरकार जल्द ही फर्नीचर को पीएलआई योजना में शामिल करने जा रही है। सरकारी अधिकारियों द्वारा अनौपचारिक बातचीत में यह जानकारी दी गई है। माना जा रहा है कि पीएलआई योजना से जुड़ने के बाद फर्नीचर, प्लाईवुड, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड की खपत काफी तेजी से बढ़ जाएगी। इस योजना के तहत फर्नीचर के साथ खिलौने और साइकिल को भी लाने पर विचार किया जा रहा है, जो कई चरणों में होने की संभावना है।
ज्ञातव्य है कि फर्नीचर सेक्टर एमएसएमई के तहत एक श्रम प्रधान क्षेत्र है। पीएलआई में इसके शामिल होने से पुरे देश में कई फर्नीचर क्लस्टर विकसित होंगे, जिससे कैलिब्रेटेड प्लाईवुड, एमडीएफ और पार्टिकल बोर्ड की खपत भी बढ़ेगी। इंडियन कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन भी लंबे समय से पीएलआई योजना की मांग कर रहा है ताकि घरेलू निर्माताओं को पूँजी लागत की कमी को दूर करने में सक्षम बनाया जा सके। वर्ष 2020 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत कई उत्पादों को शामिल किया गया है, जिसमें मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का कार्य प्रगति पर है और इस योजना के तहत स्पेशल स्टील, ऑटोमोबाइल और ऑटो कॉम्पोनेन्ट धीरे-धीरे अपनी पकड़ बना रहे हैं।
एक अनुमान के मुताबिक, अधिकांश पीएलआई निवेश, मैन्युफैचरिंग और प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2025-26 और 27 में होने की संभावना है। सभी पीएलआई के लिए निर्धारत 1.97 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन में से, 2030 तक 1.5 लाख करोड़ रुपये से कम का उपयोग होगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक, पीएलआई योजना का इस्तेमाल आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के साथ मौजूदा दायरे में इजाफा करने के लिए किया जा रहा है।
यह कंपनियों द्वारा 2.5 -3 ट्रिलियन रुपये का पूंजीगत व्यय उत्पन्न कर सकता है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि योजना शुरू होने के बाद इंसेंटिव के पेमेंट के लिए दावा करने की प्रक्रिया काफी जटिल गई है। इसलिए, यह देखना बाकी है कि योजना के लागू होने के बाद कितनी सफल होगी, जो अभी भी भविष्य के गर्भ में है।