भारत में फर्नीचर सेक्टर के तेजी से संगठित होने के साथ, भारतीय फर्नीचर हार्डवेयर इंडस्ट्री में निश्चित रूप से बहुत सारे अवसर पैदा हुए हैं। इंडस्ट्री के आकलन के अनुसार, भारतीय फर्नीचर सेक्टर अभी लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, और 2024 तक 12 प्रतिशत से ज्यादा की सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। 2020 में भारतीय फर्नीचर रेंटल का अनुमान 4.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था पर अनुमान है कि यह 26 फीसदी के सीएजीआर से बढ़ते हुए 2025 तक 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो जाएगा।
हार्डवेयर की क्वालिटी में भी सुधार हो रहा है क्योंकि नई जीएसटी व्यवस्था के चलते हाई क्वालिटी मेटेरियल के मूल्य निर्धारण और खरीद के मामले में असमानता की खाई को भरने में मदद मिली है। इस लिहाज से भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेहद फायदेमंद साबित हो रही है और डोमेस्टिक तथा इंटरनेशनल प्लेयर्स दोनों बाजार पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है। विदेशी ब्रांड भी नए/ इनोवेटिव प्रोडक्ट की पेशकश के साथ इस बाजार पर आक्रामक रूप से दांव लगा रहे हैं।
हेफले इंडिया, डोरमाकाबा, डोरसेट, अस्सा अब्लॉय, डुनेक्स, हेटिक, ओजोन, मैग्नम, गोदरेज आदि जैसे फर्नीचर हार्डवेयर ब्रांड ने इस बाजार में तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इसके अलावा, प्रीमियम ऑस्ट्रियाई फर्नीचर-फिटिंग निर्माता ब्लम ने बेंगलुरु में अपना नया डिस्ट्रीब्यूटर शोरूम, वेरा एंटरप्राइजेज लॉन्च किया। पूरे देश में डिजिटलीकरण, प्रौद्योगिकी और हाई लिटेंसी डेटा कि पैठ के कारण फर्नीचर इंडस्ट्री अभी एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है।
फर्नीचर और फर्नीचर हार्डवेयर में नए युग के स्टार्टअप तेजी से उत्पादों और उनकी कार्यक्षमता में तकनीक और प्रोसेस इनोवेशन के साथ आ रहे हैं। फर्नीचर हार्डवेयर काफी फंग्सनल और आसानी से इनस्टॉल होने और/या अपनाने के लायक होता जा रहा है। साथ ही, हाल के वर्षों में मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग की आय में वृद्धि ने इस क्षेत्र को बढ़ने में मदद की है।
बाजार भी मेड इन इंडिया उत्पादों से भरा पड़ा है। वर्तमान में, इस बाजार में मेड इन इंडिया डोर पैनल हार्डवेयर का लगभग 60 फीसदी गुजरात के राजकोट से आता है, लगभग 50 फीसदी अलीगढ़ में बने ताले, और बाकी दिल्ली और अन्य शहरों से आते हैं। मार्केट रिपोर्ट कहती है कि कोविड के दौरान ट्रेंड बदला और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला। धीरे-धीरे, गुजरात ने फर्नीचर हार्डवेयर का स्टॉक करना शुरू कर दिया। हालाँकि, अभी भी भारत में पूरे फर्नीचर इंडस्ट्री का एक बड़ा हिस्सा असंगठित ही है।