ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, कारखानों में श्रमिकों की कम संख्या के कारण दक्षिण में प्लाइवुड निर्माण इकाइयाँ अधिक प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों की कई इकाइयाँ लेबर की कमी के कारण डिस्पैच और ऑर्डर नहीं भेज पा रही हैं।
वुड पैनल उद्योग में मजदूरों की कमी ने फिर से देशभर में प्लाइवुड उत्पादन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, प्लाइवुड उद्योग में कुल उत्पादन 30-40 प्रतिषत तक मजदूरों की कमी के कारण प्रभावित हुआ है।
यमुना नगर और पंजाब, दिल्ली-एनसीआर और शेष उत्तरी भारत क्षेत्र में मजदूरों का पलायन की वार्षिक घटना देखी जा सकती है। विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त रिपोर्टों से पता चलता है कि मजदूर इस महीनों में अपने मूल स्थानों पर चले जाते हैं। यह ज्ञात है कि प्लाइवुड और पैनल उद्योग में बिहार, पश्चिम बंगाल, यूपी और ओडिशा से बड़ी संख्या में श्रमिक कार्यरत हैं।
ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, कारखानों में श्रमिकों की कम संख्या के कारण दक्षिण में प्लाइवुड निर्माण इकाइयाँ अधिक प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों की कई इकाइयाँ लेबर की कमी के कारण डिस्पैच और ऑर्डर नहीं भेज पा रही हैं।
श्रमिक ठेकेदार के अनुसार जून से श्रमिकों की आंशिक वापसी शुरू हो सकती हैं क्योंकि यह उनके लिए ष्षादी, फसल कटाई आदि का समय है, इसके अलावा वे नियमित काम से कभी-कभार छुट्टी लेकर अन्य सामाजिक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं।
इस समस्या को कम करने के लिए, प्लाइवुड उद्योग पिछले 5-6 वर्षों से संकट से उबरने के लिए बेहतर लेआउट के साथ स्वचालन और आधुनिक मशीनों को अपना रहे हैं, फिर भी प्लाइवुड क्षेत्र को अभी भी बड़ी संख्या में मजदूरों की आवश्यकता है। यह अनुमान है कि जून के मध्य तक श्रमिक कारखानों में वापस आ जाएंगे और जून के अंत तक उत्पादन सुचारू रूप से शुरू हो जाएगा।