उत्पादकों और डिस्ट्रीब्यूटरों के हित में लैमिनेट की कीमतें बढ़ानी जरूरी

Friday, 27 April 2018

डेकोरेटिव लेमिनेट्स की लगातार बढ़ रही मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी, एचपीएल उत्पादक कंपनियों के लिए कठिन स्थिति पैदा कर रही है। बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण निर्माता इनपुट कॉस्ट झेलने किए लिए मजबूर है, जो अंततः छोटे प्लेयर्स को खत्म कर देगा। एचपीएल में केमिकल, क्राफ्ट पेपर, डेकोर पेपर, मार्केटिंग कॉस्ट आदि की बढ़ती लागत के चलते प्रति शीट उत्पादन लागत बढ़ गई है, दूसरी तरफ उत्पादकों और वितरकों पर बेचने के दबाव के चलते एचपीएल की कीमतें नहीं बढ़ रही है।

उत्तर भारत का बाजार कीमतों में युद्ध स्तर की प्रतियोगिता का केंद्र बन गया है जो पडोसी राज्यों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कीमतों के बढ़ने पर रोक लगा रहा है। मार्केट रिपोर्ट के अनुसार लैमिनेट निर्माता आपसी सहमति से कीमतें लागू नहीं कर पाते है।

उद्योग के सूत्रों ने कहा कि जब फिनाॅल और फॉर्मलीन की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई तो पूरे भारत में कीमतें सामूहिक रूप से बढ़ी, लेकिन क्षेत्रीय बाजार के दबाव में कुछ लोगों ने रेट धीरे धीरे कम कर दिए।

प्रोड्यूसर्स और वितरकों ने पुष्टि की है कि कुछ बड़ी क्षमता वाली कंपनियां बाजार की स्थिति बदलने के दवाब में हैं जिसके चलते क्षेत्रीय बाजार पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कीमतों में वृद्धि की घोषणा नहीं कर रहे हैं। कीमतों में वृद्धि को टालना, उत्तर भारत और गुजरात में उत्पादकों के लिए स्थिति और खराब कर रहा है। लैमिनेट के स्टाॅकिस्ट का कहना है कि कीमतों में प्रतिस्पर्धा के चलते दिल्ली एचपीएल के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण बाजार बन गया है। गुड़गांव स्थित एक बड़े रिटेलर के अनुसार अनेकों यूनिट्स और कई नए लैमिनेट फोल्डर के आने से डेकोरेटिव लैमिनेट सेगमेंट बहुत ही भीड़ भाड़ वाला हो गया है इसलिए खराब गुणवत्ता वाले मेटेरियल का उपयोग बढ़ गया है।

225 से ज्यादा लैमिनेट मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री के साथ भारतीय लैमिनेट मैन्यूफैक्चरिंग विश्व में सबसे अधिक लैमिनेट उत्पादन करने वाला देश बन गया है। हाल ही में आयोजित इलमा के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, प्लाई रिपोर्टर ने भारत के डेकोरेटिव लेमिनेट्स उद्योग के बारे में नवीनतम जानकारी प्रस्तुत की, जो यह दर्शाता है कि साल दर साल मैन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी 19-20 फीसदी की दर से बढ़ रही है, लेकिन वॉल्यूम 5 प्रतिशत से बढ़ी है। यदि एसोसिएशन कोई निर्णय नहीें लेता है तो वर्तमान कीमतें कई उत्पादकों में घुटन पैदा करेगा और कई स्टॉकिस्टों को बिजनेस से बाहर कर देगा।

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