फेनाॅल की थोक खरीद से हो सकती है बचत

Saturday, 28 July 2018

पिछले दो वर्षों के दौरान 80-90 रुपये के बीच फेनाॅल की स्थिर कीमत के लंबे अंतराल के बाद, फेनाॅल की कीमतों की बाधाएं टूट गई हैं। एक कमजोर अंतरराष्ट्रीय बाजार के बावजूद, हाल ही में पूंजीगत लागत में बढ़ोतरी और देश में मांग में वृद्धि के चलते भारत में फेनाॅल की कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि आयातकों के विचार से खुलासा होता है कि अगर किसी के पास बड़ी मात्रा और बेहतर भुगतान क्षमता है तो यह सस्ता उपलब्ध हो सकता है। ऐसे कुछ प्लेयर्स हैं जो अपने खरीद को मिलाकर वेसेल को थोक में खरीद कर अपनी लागत पर बचत करते हैं।

पिछले दो वर्षों में फेनाॅल का भारतीय बाजार लगातार बढ़ा है जिसने भारतीय आयातकों को बढ़त प्रदान की है जो उद्योग की बढी हुई मांग से लाभान्वित हैं। भारत के बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि वे कंपनियां जो वॉल्यूम आयातक हैं, फेनाॅल में छोटे खरीदार की तुलना में अधिक बचत करते हैं। इसके पीछे की वजह अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति की गतिशीलता है।

पिछले तीन वर्षों के दौरान, वैश्विक क्षमता में तेज वृद्धि के कारण फेनाॅल की कीमते 90-110 रुपये के बीच स्थिर रहा है। फेनाॅल की वैश्विक मांग क्षमता के अनुसार नहीं बढ़ रही है। बढ़ी हुई क्षमता के चलते कई प्लांट के लंबे शटडाउन के बावजूद फेनाॅल की कीमतों को बांध रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि फेनाॅल और एसीटोन डेरीवेटिव बाजारों में कई उत्पादों की मांग में अपेक्षा से कम वृद्धि के चलते कीमतों पर प्रतिस्पर्धात्मक दबाव बना हुआ है। फेनाॅल और एसीटोन के लिए मुख्य सहायक डेरीवेटिव बाजार बिस्फेनॉल-ए, पॉली कार्बोनेट, इपोक्सी रेजिन, फेनोलिक रेजिन और मिथाइल मेथेक्राइलेट हैं, जिनमें से सभी में पिछले कुछ वर्षों में नई क्षमता में निवेश किया गया है।

आईसीआईएस के एक रिपोर्ट के अनुसार, 2010 और 2016 के बीच वैश्विक फेनाॅल क्षमता 2.1 मिलियन टन बढ़ी है। इस क्षमता का अधिकांश हिस्सा चीन के नेतृत्व में एशिया में आया था। 2015 में, चीन में तीन नए संयंत्रों ने प्रति वर्ष कुल 800,000 टन की क्षमता बढ़ाई। पिछले विस्तार के साथ 2010 में चीन में फेनाॅल उत्पादन की क्षमता तीन गुना बढ़ गई। 2016 में, एशिया में दो नए संयंत्रों का संचालन शुरू किये गए। थाईलैंड के पीटीटी फेनोल ने 250,000 मीटर/साल का एक नया प्लांट लगाया और एक दक्षिण कोरिया में लगाया गया। सऊदी अरब में पेट्रो रबीघ के नए संयंत्र में फेनाॅल के प्रति वर्ष 275,000 टन की क्षमता भी शामिल की गई है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, वास्तविक डेरीवेटिव की मांग उन क्षमताओं के साथ नहीं बढ़ सकती है जो निरंतर जांच के तहत फिनोल के ग्लोबल ऑपरेटिंग रेट को बनाए रखते हैं। लेकिन भारतीय बाजार ने होल्डिंग और प्रॉफिट बुकिंग के मामले में स्थानीय आयातकों को बेहतर फायदा दिया है। एक आयातक ने कहा कि फिनोल की वैश्विक मांग हर साल 2.5 से 3.0 फीसदी की औसत से बढ़ रही है जहां एशिया और दक्षिण अमेरिका मांग को बढ़ा रहे हैं। शीर्ष बढ़ते बाजारों में उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण भारत की स्थिति बेहतर है, जो फेनोलिक रेजिन और अन्य संबंधित रसायनों का उपयोग कर रहे हैं। विशेषज्ञ अपना नाम उजागर नहीं करने के शर्त पर बताते हैं कि बाजार में अनिश्चितता के चलते वर्तमान में अच्छे डील के अवसर मौजूद है।

Image
Ply Reporter
Plywood | Timber | Laminate | MDF/Particle Board | PVC/WPC/ACP

Ply Reporter delivers the latest news, special reports, and industry insights from leading plywood manufacturers in India.

PREVIOS POST
Padam Jain Owned New Pragati Plywood Industries Begins Pr...
NEXT POST
A Talk with Visionary Leader Mr. Sajjan Bhajanka, Chairma...