भारी प्रदूषण के कारण नवंबर माह में दिल्ली-एनसीआर की प्लाइवुड इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित रही। प्रदूषण के कारण नवंबर माह में दिल्ली-एनसीआर के उद्यमियों को अपनी फैक्ट्रियों का संचालन बंद करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें प्रतिदिन लाखों रूपयों का नुकसान उठाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली में ट्रकों और बड़े डीजल वाहनों की एंट्री प्रतिबंधित कर दी गयी थी और प्लाइवुड समेत कई उद्योगों का संचालन भी रोक दिया गया था। ट्रकों की एंट्री बाधित होने से प्लाइवुड कारखानों तक कच्चे माल की आपूर्ति थम गयी थी। कारोबारियों और फैक्टरी के संचालकों ने नया ऑर्डर रोक दिया था जबकि कई उद्मियों को पहले से दिये गये कई ऑर्डर्स को निरस्त करना पड़ा। डिमांड और सप्लाई पूरी तरह चरमराई रही। एक मिड साइज यूनिट को औसतन तीन से चार लाख रूपये प्रतिदिन का नुकसान इस अवधि में उठाना पड़ा।
दिल्ली के उद्यमी और कौशिक प्लाइवुड के मालिक कुलदीप सिंह ने प्लाई रिपोर्टर से बातचीत में कहा कि भारी प्रदूषण के चलते हमें 4 से 13 नवंबर तक सभी प्लांट्स को पूरी तरह बंद रखना पड़ा। फैक्ट्री के बंद होने के कारण हमें प्रतिदिन 2 लाख रूपये का नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें लेबर कॉस्ट और अन्य खर्चे अलग से हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में ट्रकों की एंट्री बंद रहने के कारण हमने 10 दिनों तक कोई भी नया ऑर्डर नहीं दिया।
कुलदीप सिंह का कहना है कि इसी अवधि में दिवाली होने के कारण यह समस्या हमारे लिये और भी गंभीर हो गयी थी क्योंकि पहले से ही खाली बैठे वर्कर्स त्योहार के लिये समय से पहले ही घर चले गये थे। कई वर्कर्स काफी देर से काम के लिये लौटे। कुलदीप के मुताबिक दिल्ली के प्लाइवुड मार्केट की हालात अभी भी काफी खराब हैं और भुगतान काफी धीमा बना हुआ है। बाजार में मांग काफी सुस्त है और हम अब भी एक अच्छे वक्त के इंतजार में है।
प्लाइवुड, लेमिनेट, वुड पैनल, फर्नीचर इत्यादि के ट्रेडर्स और मैन्यूफैक्चर्स ने कहा कि नवंबर माह में ट्रकों की एंट्री बंद होने के कारण कच्चा व आयातित माल और अन्य संबंधित सामान प्लाइवुड कारखानों, डिस्ट्रीब्यूटर्स, रिटेलर्स, होलसेलर्स आदि तक नहीं पहुंच सका जिस कारण इस अवधि में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित रहा और बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गयी। उनका कहना है कि मार्केट में मंदी छायी हुई है, जिस वजह से प्रदूषण के कारण हुए इस भारी नुकसान की भरपायी फिलहाल आसान नहीं दिख रही है।