बेहतर दक्षता और उत्पादन यूनिट में लागत खर्च नियंत्रण रखना, साल 2019-20 में उत्पादकों के लिए एक सटीक मंत्र हो सकता है। प्लाइवुड व लेमिनेट सेक्टर को, अगले 2 से 3 साल तक कम मार्जिन पर काम करने को मजबूर रहना होगा, लेकिन समझदार लोग, ऐसी परिस्थिति में भी अपनी मार्केटिंग प्रयासों का बनाए रखेंगे। साल 2019-20, उत्पादन विस्तार का नहीं बल्कि मार्केटिंग प्रयासों के साल के रूप में जाना जाएगा। वे कंपनियां जो किफायती ग्रेड प्रोडक्ट में सटीक ब्रांडिंग रणनीति और कम प्रोफिट मार्जिन कमाने की सोच से काम करेगी, वो इस वित्तीय साल में सफल रहेगी।
जनवरी व फरवरी का महीना, प्लाइवुड और लेमिनेट की सेल व पेमेंट कलेक्शन के लिहाज से काफी चुनौतिपूर्ण रहा। सेल की खराब हालात और बाजार में उधारी की समय सीमा 60 से 90 दिन से बढ़कर, 120 दिन के उपर पहुंच जाने से कई उद्यमियों के चेहरे पर दबाव के रेखाएं साफ साफ दिख रही थी। सेल गिरना और बाजार में उधारी बढ़ना, एक चिंता का विषय है, जिसके कई महत्वपूर्ण फैक्टर रहें हैं। मंदी का पहला कारण रहा, मुख्य रूप से हाउसिंग और रियल्टी सेक्टर में लगातार सुस्ती का माहौल बना रहना व बिक्री में गिरावट आना। जब तक हाउसिंग व बिल्डिंग सेक्टर की मांग में सकारात्मकता नहीं आएगी, तब तक बिल्डिंग मेटेरियल प्रोडक्ट में ग्रोथ नहीं दिखेगा। दूसरा कारण है, बिना किसी सटीक योजना के बेतहासा रूप में उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करना। यहां तक कि प्लाइवुड और लेमिनेट में मांग की तुलना मंे उत्पादन क्षमता दोगुनी हो गई, जिससे कई कंपनियों की सेल घटी और उनकी बाजार हिस्सेदारी कम हो गई। आलम ये है कि प्लाइवुड की उत्पादन क्षमता हर महीने 13 लाख मेट्रिक टन हो गया, वहीं लेमिनेट की उत्पादन क्षमता प्रति माह 400 लाख पर पहुंच गया है, और तथ्य ये है कि ये क्षमता साल 2025 तक भारतीय बाजार की खपत हो सकती है, और ये तब संभव है, जब देश में सही रूप से विकास हो, राजनीति व ग्लोबल हालात बेहतर हो, अगर भारत का विकास दर बेहतर रहता है, तो यह सभी के लिए अच्छा होगा।
तीसरा महत्वपूर्ण कारण है, पूंजी की कमी और बैंकिंग सपोर्ट का अभाव। बैंकिंग नियम अब सख्त हो गए हैं, जो भारतीय उद्यमियों के पारंपरिक आदतों के अनुरूप नहीं है। अब बैंक किसी भी कंपनी को एनपीए घोषित कर सकता है, अगर कंपनी छोटे समय में भी लोन ब्याज चुकाने में असफल दिखती है। इस हालात में बाजार के हर सेक्टर में नकदी की भारी कमी हो गई है, और कई प्रोजेक्ट संघर्ष कर रहें हैं, पूरा होने में देरी हो रही है, और पेमेंट रोटेशन भी खराब हो चुका है। बिल्डिंग मेटेरियल सेक्टर में फंड की कमी मुख्य कारण है, असंगठित कार्य संस्कृति का होना। साल 2017 से कंपनी/उद्यमी अब ज्यादा टर्न ओवर का रिटर्न जमा कर रहें हैं, जिससे उन्हें आयकर व जीएसटी के रूप में ज्यादा पैसा चुकाना पड़ रहा है। बढ़े हुए टैक्स व ब्याज की रकम ने कंपनियों पर पूंजी की भारी कमी का दबाव बना दिया है। बिल्डिंग मेटेरियल सेक्टर के लोग पहली बार, व्यापार में बैंक की जरूरत व फार्मल तरीका अपनाने की समझ बनाएं हैं, जिसे सही होने में थोड़ा वक्त लग रहा है। पहले से विपरीत अब फैक्टरी, डीलर्स को अपने बुक को बेहतर बनाना होगा, व्यापार में पूंजी डालनी होगी, तब व्यापार में टिके रह पाएंगे।
नोटबंदी व जीएसटी ने भारत में व्यापार के नए तरीके अपनाने को प्रेरित किया है, यही कारण है कि बाजार में पैसे की भारी किल्लत आई है। उपर लिखित ये कारण, वर्तमान मंदी के महत्वपूर्ण कारक हैं, हांलाकि कई कंपनियां व अग्रणी ब्रांड अपनी दूरदर्शिता से, जो उन्होंने 5 से 10 साल पहले कर लिया था, वर्तमान संकट से बहुत प्रभावित नहीं हैं।
मिड साइज व महत्वकांक्षी कंपनियों को एक बेहतर विजन के साथ, दिन-रात मेहनत करना होगा। अब पहले की तरह सहज रूप से पैसे कमाने का वक्त नहीं है। उच्च कार्य कुशलता, 1 से 2 प्रतिशत से कम वेस्टेज, बेहतर मार्केटिंग प्लान, समर्पित सेल्स टीम, सही विज्ञापन और प्रोमोशनल प्लान के बेहतर निराकरण से ही वर्तमान हालात का सामना किया जा सकता है। अब आसान तरीके से काम करने के बजाए, बड़े दिल व खुले दिमाग से काम करना होगा।
बेहतर दक्षता और उत्पादन यूनिट में लागत खर्च नियंत्रण रखना, साल 2019-20 में उत्पादकों के लिए एक सटीक मंत्र हो सकता है। प्लाइवुड व लेमिनेट सेक्टर को, अगले 2 से 3 साल तक कम मार्जिन पर काम करने को मजबूर रहना होगा, लेकिन समझदार लोग, ऐसी परिस्थिति में भी अपनी मार्केटिंग प्रयासों का बनाए रखेंगे। साल 2019-20, उत्पादन विस्तार का नहीं बल्कि मार्केटिंग प्रयासों के साल के रूप में जाना जाएगा। वे कंपनियां जो किफायती ग्रेड प्रोडक्ट में सटीक ब्रांडिंग रणनीति और कम प्रोफिट मार्जिन कमाने की सोच से काम करेगी, वो इस वित्तीय साल में सफल रहेगी।
अब समय बताएगा, कि कौन सही रास्ते पर है। सभी को वित्तीय साल 2019-20 के लिए ढ़ेर सारी शुभ कामनाएं। प्लाई रिपोर्टर पढ़े, और अपडेट रहें।