लकड़ी की उपलब्धता में चल रही लगातार गिरावट और मजदूरों की बढ़ती कमी के चलते यमुना नगर में प्लाइवुड फैक्टरियों ने अपना उत्पादन समय को कम करने का विकल्प चुना है। बिक्री में मंदी के कारण कई उत्पादकों को लगातार कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। भुगतान में देरी और व्यापार में चुनाव से प्रेरित मंदी ने प्लाइवुड उद्योगों की चिंता को बढ़ा दिया है। यमुनानगर से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, किराए की कई कारखानों ने अपने परिचालन बंद कर दिया है, ये कारखाने कुछ महीने पहले से अग्रिम भुगतान पर चल रहे थे। प्लाई बोर्ड कारखानों ने पहले अपने परिचालन को एक शिफ्ट में कम करने का फैसला किया और अब यमुनानगर कलस्टर के उद्योग समूहों ने सप्ताह में केवल पांच दिन अपने सयंत्र को चलाने का निर्णय लेने की खबरें सामने आ रही हैं।
जगाधरी पैनल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सतीश चोपाल कहते हैं कि 16 साल के लंबे समय अंतराल के बाद प्लाइवुड उद्योग के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को 2018 में खोला गया था और उद्यमी भविष्य के लिये बेहतर व्यवसाय की उम्मीद लगाये बैठे थे लेकिन मौजूदा स्थिति उनकी अपेक्षाओं के ठीक उलट है और व्यापार की चमक खत्म सी हो गयी है । वह आगे कहते हैं कि प्लाइवुड व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है,
इसलिए उन्होंने अपने कारखानों को सप्ताह में पांच दिन चलाने का फैसला लिया है, यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि बाजार में सुधार नहीं होता है। श्री सतीश चोपाल के अनुसार इस माह चुनाव होने कारण कच्चे माल की अन-उपलब्धता बढने और प्लाइवुड की मांग में कमी के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।
प्लाइवुड निर्माताओं का कहना है कि भुगतान में देरी हो रही है। उत्पादित सामग्री स्टॉक में है और परिचालन लागत लगातार बढ़ रही है। कच्चा माल महंगा हो रहा है और बाजार शुल्क के साथ लकड़ी की कीमत बढ़ रही है जिससे उन पर एक और बोझ पैदा हो रहा है। उत्पाद की बढ़ती लागत ने अन्य राज्यों में बेहतर अवसर खोजने के लिए भी यहां के उद्यमियों को मजबूर कर दिया है।
उद्यमी इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि यहां निर्माण इकाइयों का विस्तार होने से कच्चे माल की लागत बढ़ी है, दूसरी तरफ तैयार उत्पादों की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ईंधन की लागत भी बढ़ी है। ये सभी कारण निर्माताओं के लाभ को नुकसान में बदल रहे हैं।
यमुनानगर में हाल ही में लगभग 250 नए उद्योग सामने आए हैं। इसके अलावा, जिले में लकड़ी आधारित उद्योगों की सबसे बड़ी संख्या है (प्लाइवुड, पीलिंग और सॉइंग के लिए लगभग 1300 सयंत्र) जिसके लिए लगभग 250 लाख क्विंटल कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इन सभी कारणों से यहां के उद्यमी भारी परेशानी से जूझ रहे हैं।