ज्यादा नमी के चलते टिम्बर की कीमतें बढ़ी

person access_time4 14 November 2019

प्लाइवुड की गिरी मांग के चलते, उत्तर भारत में टिंबर की खपत घटी है, जिसके चलते सप्लाई में थोड़ी बढ़त देखी जा रही है, लेकिन इनमें नमी अधिक होने के कारण टिंबर की कीमतें लगभग 10 से 15 प्रतिशत मजबूत हुई है। उत्पादकों का कहना है कि टिंबर के सप्लाई में सुधार है, और कीमतें भी ठीक-ठाक है, लेकिन नमी के चलते इसका वजन अधिक होने से इस पर खर्च बढ़ गई है। ज्ञातव्य है कि पोपलर की कीमतें 800 से 1000 रूपये प्रति क्विंटल के आस-पास चल रही है, जबकि सफेदा की कीमतें 600 से 700 प्रति क्विंटल के आस-पास उत्तर भारत में घट-बढ़ रही है। यमुना नगर के एक निर्माता का कहना है कि ठंढ के मौसम में यह आम बात है, क्योंकि टिंबर का वजन नमी बढ़ने से बढ़ जाती है, और हमें इसके कारण 10 से 15 प्रतिशत अधिक भुगतान करना पड़ता है। पंजाब के एक प्लाइवुड निर्माता का कहना है कि पहले इस बढ़ी कीमत का ज्यादा असर नहीं पड़ता था, क्योंकि मार्जिन अधिक थी लेकिन अब परिस्थितियाॅं अलग है और कठिनाइयाॅं बढ़ गयी है और मार्जिन भी घटे हैं। इसलिए, यदि कच्चे माल की कीमतें बढ़ती है, तो इनपुट काॅस्ट भी बढ़ता है और उन्हें इसको स्वीकार करने में परेशानी होती है।

यह ज्ञातव्य है कि सामान्यतः कोर विनियर और वुड विनियर की कीमतें भी ठंढ़ के दिनों में बढ़ जाती है। यमुनानगर के एक निर्माता का कहना है कि उनका ब्लाॅक बोर्ड और प्लश डोर की मैन्यूफैक्चिरिंग कैपिसिटी ठंढ़ के दिनों में 30 प्रतिशत तक घट जाती है। समान्यतः यह भी होता है कि बोर्ड और प्लश डोर की मांग ठंढ़ में बढ़ जाती है, क्योंकि उत्पादन कम रहता है।
 

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