केंद्र सरकार के एक आदेश के अनुसार अब किसान यदि पोपलर और सफेदा मंडी के बाहर सीधे उद्योग को बेचना चाहे तो उसे मार्केट टैक्स नहीं देना होगा। केंद्र सरकार के इस पहल से प्लाइवुड को बड़ी रहत दी है। इससे प्लाइवुड व्यापारियों की बड़े समय से लंबित मांग पूरी हो गई है, हालाँकि इससे मंडी की भूमिका समाप्त नहीं हो जाएगी और किसान यदि मंडी में बेचना चाहे तो बेच सकते हंै लेकिन वर्तमान व्यवस्था के अनुसार वहां 2 फीसदी मार्केट फीस लगेगी। आढ़ती भी इसे स्वीकार कर रहे हैं और उनका मानना है कि इससे उनकी जरूरत समाप्त नहीं होगी बल्कि, मंडी टैक्स नहीं होने से उन्हें भी कई फायदा होगा। एक अनुमान के अनुसार सिर्फ यमुनानगर के प्लाइवुड व्यापारियों को इससे सालाना 15 से 20 करोड़ रूपए की बचत होगी, हालांकि इस मामले में राज्य सरकार के आदेश का अभी भी इंतजार है। यमुनानगर को प्लाइवुड उद्योग लंबे समय से सरकार के मंडी टैक्स हटाने की मांग करता आ रहा है, अब केन्द्र के आदेश के बाद, उन्हें उम्मीद है कि हरियाणा सरकार भी मंडी टैक्स हटा लेगी।
हरियाणा प्लाइवुड मैन्युफक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान श्री जे के बिहानी ने प्लाई रिपोर्टर को बताया कि यह निर्देश केंद्र सरकार का है जिस पर राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती और उन्हें लागू करना पड़ेगा। हमारी राज्य सरकार से यह पुरानी मांग थी लेकिन केंद्र सरकार नंे पूरी की है। किसान अगर मंडी में बेचना चाहे या मंडी के बाहर बेचना चाहे तो कहीं भी बेच सकता है। आढ़ती खरीद सकता है सिर्फ मंडी टैक्स खत्म हो जाएगी। आढ़ती कमीशन के रूप में कमाई कर सकते हैं। पहले मंडी टैक्स के रूप में उद्योग से 15 से 20 करोड़ रूपए प्रति वर्ष सरकार को जाता था जो उद्योग की बचत होगी।
एसोसिएशन के पूर्व प्रधान श्री अजय मानिकतला ने कहा सरकार के निर्देशानुसार किसान को अपने माल बेचने के लिए मंडी में जाने की जरूरत नहीं होगी, हालांकि राज्य सरकार का कोई नोटिफिकेशन अभी नहीं आया है। पहले आढ़ती के माध्यम से ही माल खरीदना पड़ता था लेकिन इसके लागू होने के बाद फैक्ट्री मालिक अब सीधे किसान से खरीद सकेंगे क्योंकि अब ज्यादातर किसान भी पंजीकृत होते है। आढ़ती की भूमिका फिर भी रहेगी पर लोगों को टैक्स से निजात मिल जाएगी। नार्थन प्लाइवुड के निदेशक श्री संदीप जिंदल का कहना है कि प्रदेश सरकार को तुरंत मंडी टैक्स खत्म कर देना चाहिए, अन्यथा इस आदेश के बाद, उद्योग में भ्रम का माहौल बना रहेगा।
टिम्बर आढ़ती संगठन के प्रधान श्री शुभम राणा ने भी इसका समर्थन किया है, और प्लाई रिपोर्टर से बातचीत में कहा कि किसान भाइयों को फायदा होना चाहिए। हमें नहीं लगता कि आढती की भूमिका समाप्त हो जाएगी, क्योंकि हमें पहले भी एडवांस देना पड़ता था। यदि ये सरकारी खरीद या फैक्ट्री होती तो हमारी भूमिका समाप्त हो जाती। यहाँ सभी फैक्ट्रयां प्राइवेट है और सभी अपने जरूरत के हिसाब से अलग अलग तरह का माल लेते हैं, जिससे सभी फैक्ट्री मालिकों की कीमतें अलग अलग होती हैं तो वे यहीं मंडी से ही चुन कर ले जाएंगे। सरकार के इस कदम से हमारा फायदा ही होगा, क्योकि यदि मंडी टैक्स हट जाती है तो हमारी कागजी करवाई खत्म हो जाएगी, जिससे हमें राहत मिलेगी।