गुजरात का लैमिनेट उद्योग डेकोरेटिव लैमिनेट सेक्टर में क्रिएटिविटी, रिटेलर फ्रेंडली और ट्रेंड सेटर के लिए जाना जाता है, जो अब धीरे-धीरे बाजार में हो रहे बदलाव को स्वीकार कर रहा है। हाल ही में उद्योग में टेली-सर्वे के अनुसार, कोविड 19 यहाँ के लेमिनेट उत्पादकों को एक नया दृष्टिकोण दिया है। गुजरात को भारत में लैमिनेट उत्पादन के मैनचेस्टर के रूप में जाना जाता है। गुणवत्ता और इनोवेटिव डिजाइन के लिए 1.0 मिमी बड़े पैमाने पर वैल्यू एडेड प्रोडक्ट कटेगरी में रहा, लेकिन हाल के वर्षों में, डेकोरेटिव लेमिनेट सेगमेंट में गुजरात से बाहरn कारखानों के उदय ने कम मोटाई और सस्ते उत्पाद की ओर झुकाव पैदा किया है।
अब, गुजरात के लेमिनेट उत्पादक भी इकोनोमिकल ग्रेड 0.8 मिमी लेमिनेट की मांग को पूरा करने और अपनी उत्पादन क्षमता और भविष्य की विस्तार योजनाओं के लिए आगे आए हैं। कच्चे माल के सप्लायर और उत्पादकों की रिपोर्ट के अनुसार, 0.8 मिमी केटेगरी में गुजरात से जल्द ही लगभग 15 नए फोल्डर लॉन्च किए जाने हैं।
उद्योगों को लगता है कि अगर वे उत्तर और पूर्वी भारत के बाजार को ध्यान में रखते है तो इकोनॉमिकल ग्रेड लैमिनेट की उभरती मांग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पिछले दो वर्षों में, दक्षिण और पश्चिम के बाजार भी लगातार पतले मेटेरियल को स्वीकार कर रहे हैं। सिग्नेचर लेमिनेट के निदेशक श्री अमृत पटेल का कहना है कि गुजरात स्थित लैमिनेट उत्पादकों के पास हर तरह के लेमिनेट्स देने की क्षमता है, लेकिन पहले उन्होंने खुद को केवल 1 मिमी सेगमेंट में समेट रखा था, जो अब बदल रहे है। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 0.8 और लाइनर लेमिनेट निर्माताओं को कोविड के पहले स्तर के 70 फीसदी तक अपनी क्षमता का उपयोग करने में मदद की है, जबकि 1.0 मिमी उत्पादक कोविड के पहले स्तर के 35 से 40 प्रतिशत तक ही पहुंचे हैं। यह भी परिलक्षित हो रहा है कि उत्तर भारत स्थित इकाइयाँ कोविड के पहले स्तर के लगभग 65 फीसदी तक पहुँच गई हैं जहाँ गुजरात के उत्पादक आधे तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नॉर्थ बेस्ड एसएमई लेमिनेट सेक्टर इकोनॉमिकल ग्रेड उत्पादों की पेशकश करके वॉल्यूम और छोटे और ग्रामीण बाजार में नेटवर्क फैलाने के लिए जाने जाते है। पूरे भारतीय बाजार में कीमत आधारित ऑफरिंग और बड़ी कपैसिटी ने नए प्लेयर्स को पुराने प्लेयर्स का कुछ बाजार हासिल करने में मदद की है। धीरे-धीरे यह भी देखा जा रहा है कि दक्षिण भारत के बाजार में भी वहीं पेश किया जा रहा है, जो पारम्परिक रूप से गुजरात का 1 एमएम सेगमेंट का बाजार माना जाता है।