गुजरात स्थित प्लाइवुड और पैनल उद्योग आयातित या तो उत्तर प्रदेश से प्राप्त लकड़ी या कोर विनियर पर निर्भर रहा है। लेकिन उभरता हुआ परिदृश्य इस पैटर्न में बदलाव का संकेत दे रही है जो नीलगिरी - स्थानीय स्तर पर किसानों द्वारा कृषि वानिकी के तहत उपजाए जाने वाले एक प्रकार का सफेदा है जिसे गुजरात स्थित प्लाइवुड एंडपार्टिकल बोर्ड इंडस्ट्री को अच्छी मात्रा में प्राप्त हो रही है।
मोरबी, गांधीधाम और राजकोट स्थित पार्टिकल बोर्ड के उत्पादकों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को नियमित रूप से भारी मात्रा में नीलगिरी की लकड़ी मिल रही है। उद्योगपतियों और किसानों को इसके फायदे होने और स्वीकार्यता बढ़ने से भविष्य के लिए नीलगिरी एक सस्ती और टिकाऊ कच्चे माल के रूप उभर रही है। सूरत, गांधीधाम और अहमदाबाद में स्थित प्लाइवुड इकाइयां भी नीलगिरि का उपयोग कर रही हैं और यूपी और पंजाब से आनेवाले सफेदा की जगह आसानी से ले रही हैं।
मोरबी स्थित रंगोली लैमिनेट्स के श्री कांति पटेल, का कहना है कि स्थानीय स्तर पर सस्ती कीमतों पर उगाई गई नीलगिरी की लकड़ी का पर्याप्त मात्रा में आने से बड़ी राहत है और इससे उद्योगों का आत्मविश्वास काफी बढा है। अब तक, आयातित लकड़ी का चूरा, पीलिंग के कचरे और गुच्छे पर बहुत अधिक निर्भरता रही है जिसने गुजरात स्थित प्लांट को हमेशा बड़े सेट की योजना बनाने से रोक रखा था । प्लाई रिपोर्टर का फिल्ड रिपोर्ट बताता है कि कच्छ और सौराष्ट्र में स्थित सभी पार्टिकल बोर्ड मैन्युफैक्चरर्स अपने कच्चे माल के रूप में नीलगिरि की कीमतों और उपलब्धता से खुश हैं।
कांडला और बाचू रीजन में स्थित प्लाईवुड निर्माताओं के अनुसार, कोविड के समय में नीलगिरि का आना बहुत सहायक रहा, क्योंकि लंबी दूरी की सड़क पर आवागमन प्रतिबंध होने से परिवहन हमेशा बाधित रहा। गांधीधाम स्थित जीएसएम इंडस्ट्रीज के श्री रमेश चिरानिया, का कहना है कि लकड़ी की गुणवत्ता अच्छी है इसलिए उन्होनें अपनी कोर विनियर की आवश्यकता का 30 फीसदी नीलगिरि से प्राप्त करते है। 0.5 के आसपास लकड़ी का घनत्व भी काफी अच्छा है।
नीलगिरि की लकड़ी से पैदावार कम होती है क्योंकि उद्योग को 12 इंच लॉग प्राप्त हो रहे हैं लेकिन यह आधुनिक पीलिंग मशीनों के लिए ठीक, सस्ती और व्यवहार्य भी है। उत्तर प्रदेश से आने वाले सफेदा के कोर विनियर की तुलना में, गुजरात में उत्पादित नीलगिरी कोर विनियर सस्ता है। सूरत के मालचंद ग्रुप के श्री अनूप अग्रवाल का कहना है कि उन्हें नीलगिरी की लकड़ी अच्छी मात्रा में मिल रही है और वे तैयार माल की गुणवत्ता से संतुष्ट हैं। गैरतलब है कि गुजरात में नीलगिरी की लकड़ी की बेहतर खरीद को देखतेहुए इन क्षेत्रों में दो दर्जन पीलिंग लाइनें स्थापित की गई हैं।