वुड इंडस्ट्री लाइसेंसः यूपी सरकार का एनजीटी में रिव्यू पिटीशन SC से वापस लिया केस

Tuesday, 08 December 2020

नई लाइसेंसिंग पर एनजीटी के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलयमें दायर याचिका को यूपी सरकार ने 18 फरवरी, 2020 को वापस ले ली है। याचिकाकर्ताओं द्वारा इसे एनजीटी में इसकी समीक्षा के लिए छुट्टी की मांग की गई क्योंकि समीक्षा दाखिल करने में देरी से इसमें अड़चने आएंगी। अपने आदेश में एनजीटी ने लकड़ी की उपलब्धता नहीं होने के आधार पर राज्य में नए वुड बेस्ड इंडस्ट्रीस्थापित करने के लिए लाइसेंस प्रक्रिया के साथ-साथ सरकार द्वारा जारी नोटिस को भी रद्द कर दिया था। बाद में वन विभाग ने भारत के सॉलिसिटर जनरल, श्री तुसार मेहता को नियुक्त किया, वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री ऐश्वर्या भाटी और अधिवक्ता श्री कमलेन्द्रमिश्रा ने एनजीटी के खिलाफ शीर्ष अदालत में मामला दायर किया था। यह रामपुर निवासी श्री प्रदीप जैन द्वारा दायर शिकायत केमद्देनजर किया गया था, जिन्होंने इस मामले की समीक्षा करने के लिए भारत सरकार को लिखा था और मसौदे के अनुमोदन के बाद मामला सर्वोच्च न्यायलय पहुंच गया था।

1 मार्च, 2019 को जारी नोटिस में, यूपी सरकार ने 1,350 नए वुड बेस्ड इंडस्ट्रीज के लिए लाइसेंस जारी करने का प्रस्ताव दिया थाऔर इसके लिए आवेदन आमंत्रित करने और लाइसेंस प्रक्रिया के बाद कई अनंरिम लाइसेंस भी जारी किए गए थे। उस आधार पर उद्योग के हितधारकों ने मशीनों, भूमि अधिग्रहण और प्रतिष्ठानों के लिए अन्य बुनियादी ढांचे बनाने में बड़ी पूंजी लगाई थी। यूपी सरकार के खिलाफ एनजीटी के आदेश के बाद विभाग नेस्टेकहोल्डर्स को आश्वासन दिया था कि वे अपने स्तर पर काफी प्रयास कर रहे हैं। अगर फैसला यूपी सरकार के पक्ष में आता है। वे बिना किसी देरी के प्रक्रिया आगे बढ़ेंगी।

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